दंतेवाड़ा : नक्सलियों की विचारधारा से तंग आकर 16 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. 'लोन वर्राटू' अभियान के तहत नक्सलियों ने ये हथियार डाले हैं. सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने एसपी अभिषेक पल्लव के समक्ष समाज की मुख्य धारा में शामिल होने की इच्छा जताई है. इससे पहले गणतंंत्र दिवस पर 'लोन वर्राटू' अभियान के तहत 24 नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. कार्यक्रम में एसपी अभिषेक पल्लव आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों के साथ जमकर थिरकते नजर आए थे.
![16 naxali surrendered in dantewada](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/cg-dantewada-lake-cg10031_30012021143607_3001f_1611997567_679.jpg)
बीते 6 महीने से दन्तेवाड़ा में 'लोन वर्राटू' अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान से जुड़कर कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. साथ ही पुलिस जवानों की ओर से भी लगातार नक्सलियों से ये अपील की जा रही है कि, वे नक्सल विचारधारा को छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ें. 'लोन वर्राटू' अभियान के तहत 400 से ज्यादा नक्सलियों ने सरेंडर किया है. इसमें कई इनामी नक्सली शामिल हैं. अभियान की सफलता के बाद इसे बस्तर संभाग के सभी जिलों में चलाने पर विचार किया जा रहा है.
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क्या है लोन वर्राटू अभियान ?
लोन वर्राटू गोंडी शब्द है जिसका अर्थ 'घर वापस आइए' होता है. इस अभियान से ग्रामीणों को जोड़ने पुलिस ने आत्मसमर्पण के फायदे के बैनर पोस्टर के साथ ही नक्सलियों के नामों की लिस्ट भी जिले के हर गांव पंचायत में लगाई है. ग्रामीण अपने परिवार के वे लोग जो नक्सल संगठन से जुड़े हैं उनको वापस मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पुलिस के पास ला रहे हैं. ग्रामीण भी अपने गांव के नक्सलियों को आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ने की अपील कर रहे हैं. यही वजह है कि लोन वर्राटू अभियान के तहत आदिवासी ग्रामीण लगातार नक्सल संगठन छोड़ मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.
लोन वर्राटू अभियान की खास बात
- इस अभियान में जो भी नक्सली सरेंडर कर रहे हैं, उनके लिए पुलिस और जिला प्रशासन उन्हें तत्काल रोजगार की व्यवस्था कर रहा है.
- सरेंडर नक्सलियों से बिल्डिंग, स्कूल, सड़क और पुल-पुलिया का निर्माण कार्य कराया जाता है, जिसे नक्सली नुकसान पहुंचा चुके होते हैं.
- सरेंडर नक्सली अपने गांव पंचायत के विकास कार्यों में योगदान दे रहे हैं.
- यह अभियान फिलहाल बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले में ही चलाया जा रहा है और इसकी सफलता को देखते हुए अन्य जिलों में भी इस अभियान को शुरू करने की तैयारी पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही है.
- इस अभियान के तहत सरेंडर करने वालों में एक लाख से लेकर 10 लाख के इनामी नक्सली भी शामिल हैं.
- लोन वर्राटू अभियान के तहत सरेंडर करने वाले नक्सलियों को बस्तर पुलिस अपने साथ पुलिस में भी नौकरी दे रही है और इसके लिए बकायदा उन्हें ट्रेनिंग देने के साथ ही नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे हैं एंटी नक्सल ऑपरेशन में भी शामिल कर रही है.
हाल ही में दंतेवाड़ा के कटेकल्याण के चिकपाल में पहली बार तिरंगा फहराया गया. इस क्षेत्र में आत्मसमर्पण कर चुके एक लाख के इनामी नक्सली ने झंडा फहराया. लोन वर्राटू से प्रभावित होकर कार्यक्रम के दौरान एक-एक कर कुल 24 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया. एसपी अभिषेक पल्लव के साथ पुलिस विभाग और आत्मसमर्पण कर चुके नक्सली ने हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास का दामन थामा. इस खुशी में सरेंडर कर चुके नक्सली जमकर थिरके. इन लोगों के साथ दंतेवाड़ा के एसपी भी अपने कदम रोक नहीं पाए.
'लोन वर्राटू' अभियान से मिल रही सफलता
बस्तर में स्थानीय कैडर के नक्सलियों को सही रास्ते पर लाने के लिए पुलिस लगातार कोशिश कर रही है. इसके तहत दंतेवाड़ा में नक्सलियों के लिए एक अनोखी पहल की शुरुआत की गई है. जिसका नाम 'लोन वर्राटू' दिया गया. 'लोन वर्राटू' गोंडी शब्द है जिसका अर्थ 'घर वापस आइए' होता है. इस अभियान से ग्रामीणों को जोड़ने पुलिस ने आत्मसमर्पण के फायदे के बैनर पोस्टर के साथ ही नक्सलियों के नामों की लिस्ट भी जिले के हर गांव पंचायत में लगाई है. ग्रामीण अपने परिवार के वे लोग जो नक्सल संगठन से जुड़े हैं उनको वापस मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पुलिस के पास ला रहे हैं. ग्रामीण भी अपने गांव के नक्सलियों को आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ने की अपील कर रहे हैं. यही वजह है कि 'लोन वर्राटू' अभियान के तहत आदिवासी ग्रामीण लगातार नक्सल संगठन छोड़ मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.
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नक्सलियों को मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश
पुलिस इससे पहले भी साल 2005 में नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने के लिए अभियान चला चुकी है. इस अभियान को शुरू करने से पहले पुलिस ने 266 पन्नों में 600 नक्सलियों के नाम के लिस्ट तैयार की थी और हर गांव पंचायत में लिस्ट को चस्पा कर ग्रामीणों के बीच नक्सलियों के पहचान की स्पष्ट जानकारी दी है. 'लोन वर्राटू' अभियान की खास बात यह है कि इस अभियान के तहत जो भी नक्सली सरेंडर कर रहे हैं, उनके लिए पुलिस और जिला प्रशासन की तरफ से रोजगार की व्यवस्था की जा रही है.