दंतेवाड़ा: जिले की अलग-अलग महिला स्व सहायता समूह बड़े पैमाने पर कड़कनाथ का उत्पादन कर रही है. कड़कनाथ पालन में कृषि विज्ञान केंद्र की भूमिका भी अहम है. केंद्र के मार्गदर्शन में 10 महिला स्व-सहायता समूह का कुल 5 लाख 40 हजार रुपए का कड़कनाथ सप्लाई किया गया. गाजियाबाद की फर्म द मीट विलेज ने इसे खरीदा है. जिनसे समूहों की महिलाएं बहुत खुश हैं.
द मीट विलेज के संचालक प्रदीप सिसोदिया ने दंतेवाड़ा के कड़कनाथ को झाबुआ के कड़कनाथ से बेहतर बताया है. कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर नारायण साहू ने बताया कि केंद्र खनिज संस्थान न्यास निधि (डीएमएफ) के जरिए कड़कनाथ परियोजना संचालित कर रहा है. परियोजना के तहत महिला समूहों को मात्र 5 प्रतिशत की अंश राशि लेकर उन्हें कड़कनाथ पालन परियोजना स्वीकृत किया जाता है. उन्हें दो चक्र मे 300-300 चूजे दिए जाते हैं. ताकि बाद में महिलाएं इन्हें पाल कर बेच सकें.
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इन समूहों को मिला लाभ
पूना माड़ाकाल के तहत यह कार्य गरीबी उन्नमूलन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. जिन समूहों का कड़कनाथ सप्लाई किया गया उनमें स्व-सहायता समूह चितालूर, मां दंतेश्वरी स्व-सहायता समूह रोंजे, मां लक्ष्मी स्व-सहायता समूह रोंजे, माड़का स्व-सहायता समूह भोगाम, पूजा स्व-सहायता समूह भांसी, माता नंदपूरीन स्व-सहायता झोडि़याबाड़म, माड़काराज स्व-सहायता समूह मटेनार, मां दन्तेश्वरी स्व-सहायता समूह चितालंका प्रमुख रूप से शामिल थे.
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कलेक्टर दीपक सोनी, सीईओ जिला पंचायत अश्वनी देवांगन ने कड़कनाथ मुर्गे-मुर्गियों से भरे वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. उन्होंने स्व-सहायता की महिलाओं को चेक भी दिया. उन्हें कड़कनाथ पालन कर बेहतर कार्य करने की सराहना भी की. कलेक्टर दीपक सोनी ने कुक्कुट पालन के कार्य को जिले में बढ़ावा देने की बात कही है. महिलाओं से चर्चा करते हुए कहा कि जिला प्रशासन ऐसे कार्य लगातार करते रहेगा.