रायपुरः शारदीय नवरात्रि की अष्टमी को मां गौरी की साधना और आराधना की जाती है. ये मां का धवल रूप है, श्वेत रूप है, सिंह उनकी सवारी है. मां का यह स्वरूप शक्ति प्रदान करने वाला स्वरूप है.
महागौरी के स्वरूप की महिमा
महागौरी की पूजा अर्चना से पूर्व जन्म के पाप नष्ट होते हैं. इसके साथ ही इस जन्म के दुख, दरिद्रता और कष्ट भी मिट जाते हैं.
देवी महागौरी की पूजा अर्चना से कुंडली का कमजोर शुक्र मजबूत होता है. इसलिए शादी विवाह में आई हुई परेशानियों को दूर करने के लिए महागौरी का पूजन किया जाता है. महागौरी की पूजा अर्चना से दांपत्य जीवन सुखद होता है साथ ही पारिवारिक कलह क्लेश खत्म होता है.
मां गौरी की पूजा विधि
- पीले वस्त्र धारण करके पूजा आरंभ करें.
- मां के समक्ष दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें.
- पूजा में मां को श्वेत या पीले फूल अर्पित करें.
- उसके बाद इनके मन्त्रों का जाप करें.
- अगर पूजा मध्य रात्रि में की जाय तो इसके परिणाम ज्यादा शुभ होंगे.
- कुछ लोग अष्टमी को कन्या पूजन करते हैं, हालांकि पंडित अरुणेश शर्मा का कहना है कि नवमी को ही कन्या पूजन करें.
माता महागौरी का मंत्र
श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।