बिलासपुर: बिलासपुर के रतनपुर क्षेत्र के गिरजाबन में नारी स्वरुप हनुमानजी विराजमान हैं. यहां हनुमानजीका देवी वाला रुप हर किसी के कष्ट हर लेता है. हनुमानजी के मंदिर के पीछे एक बड़ा सा कुंड है. इस कुंड में नहाने से हर कष्ट और रोग दूर हो जाता है. यही कारण है कि दूर-दराज से लोग इस कुंड में डुबकी लगाने आते हैं. कहते हैं कि इस कुंड में जो भी नहाता है, निरोग हो जाता है.
पहाड़ों पर बसा हनुमानजी का मंदिर: बिलासपुर से 30 किलोमीटर दूर रतनपुर क्षेत्र के गिरजाबन इलाके के पहाड़ों के बीच देवी रुप में हनुमानजी विराजमान हैं. घने जंगल और पहाड़ों के बीच में सिद्धपीठ गिरजाबन हनुमान जी हैं. हनुमान मंदिर में स्थापित हनुमान जी का अर्धनारीश्वर रूप हर किसी का कष्ट हर लेता है. इस मंदिर में हनुमानजी के चमत्कार के साथ ही यहां मौजूद कुंड का पानी भी चमत्कारिक है. इस मंदिर में भूत बाधा तो दूर होती ही है, यहां के कुंड का पानी कुष्ठ रोग, चर्म रोग को दूर करता है.
कुंड से प्रकट हुए नारीश्वर हनुमान: गिरजाबन मंदिर में स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा को लेकर लोगों का कहना है कि, हनुमान जी नारी रूप में कुंड में थे. बाद में प्रतिमा को निकालकर मंदिर बनवाया गया.
रतनपुर के राजा ने देखा था सपना: इस मंदिर से जुड़ी एक कथा काफी मशहूर है. तकरीबन 10 हजार साल पहले रतनपुर में राज करने वाले राजा पृथ्वी देवजू को कोढ़ का रोग हो गया था. कोढ़ की बीमारी के कारण राजा पृथ्वी देवजू का जीवन मौत से भी बदतर हो गया था. तभी एक रात उन्होंने सपने में हनुमान जी को देखा. भेष देवी सा, जिनके एक हाथ में मोदक से भरी थाली और दूसरे हाथ में राम मुद्रा अंकित था. कान में कुंडल, माथे पर सुंदर मुकुट, देवी स्वरूप में लंगूर का रूप लेकिन पूंछ नहीं थी.
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सपने में हनुमानजी ने दिया आदेश: राजा पृथ्वी देवजू को हनुमान जी ने आदेश दिया कि, वो यहां विधिवत मंदिर बनवाकर मूर्ति की स्थापना करे. मंदिर के पीछे के भाग में कुंड बनवाकर उसमें नहाकर विधिवत पूजा करे. इससे उसके शरीर का कोढ़ नाश हो जाएगा. हनुमान जी के बताए अनुसार, राजा पृथ्वी देवजू ने महामाया मंदिर के कुंड में जाकर उनकी प्रतिमा की खोज की. जहां राजा पृथ्वी देवजू को नारी स्वरूप में बजरंगबली जल के भीतर विराजमान मिले. राजा ने उन्हें गिरजावन लाकर प्रतिष्ठित किया. मंदिर में स्थापित करने के बाद मंदिर के पीछे कुंड खुदवाया और उसमें स्नान किया. स्नान के बाद राजा का रोग खत्म हो गया. तब से चर्म और कुष्ट रोग से पीड़ित रोगी यहां आकर नहाते हैं और निरोग होकर घर जाते हैं.
मंदिर से जुड़े कई किस्से: पुजारी गजेंद्र प्रसाद दुबे ने बताया कि," नारीश्वर के रूप में विराजमान हनुमान जी की प्रतिमा को लेकर कई तरह की कहानियां हैं. यहां लोग कुंड से जुड़े चमत्कार के दावों को लेकर खिंचे चले आते हैं. तरह तरह की मान्यताएं भी है. लोगों का कहना है कि, "उनके पूर्वजों ने हनुमान जी के नारीश्वर रूप में प्रकट होने के कई किस्से बताए हैं. भक्त भी मंदिर और नारीश्वर रुप में विराजित हनुमान के रोचक किस्से बताते रहते हैं."