बिलासपुर : भाजपा हाईकमान की ओर से छत्तीसगढ़ के वर्तमान सांसदों के टिकट काटे जाने से राजनीति गर्मा गई है. कल तक जो सांसद अपने टिकट को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे थे आज उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. वहीं प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीट बिलासपुर की बात करें तो इस सीट से टिकट किसे दिए जाएगा ये कह पाना बहुत ही मुश्किल है.
दरअसल भजपा केंद्रीय चुनाव समिति ने ये ऐलान किया है कि प्रदेश में किसी भी वर्तमान सांसद को टिकट नहीं दिया जाएगा. पार्टी के इस कड़े निर्णय के बाद पूरे प्रदेश के साथ-साथ बिलासपुर सीट पर अब किसे टिकट मिलेगा, ये अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है. हाल ही में ईटीवी भारत से बात करते हुए सांसद लखनलाल साहू ने कहा था कि, 'उन्हें पूरा यकीन है कि पार्टी उन्हें दोबारा मौका देगी', लेकिन भाजपा हाईकमान के फैसले के बाद लखनलाल साहू समेत प्रदेश के तमाम 10 सांसदों के हाथ निराशा लगी है.
इन्हेंटिकट मिलने की संभावनाएं कम
वहीं दूसरी ओर सीईसी ने अपने फैसले में ये साफ कह दिया है कि, 'प्रदेश के हारे उम्मीदवारों और जीते हुए किसी भी एमएलए को टिकट नहीं दिया जाएगा'. ऐसे में अमर अग्रवाल और धरमलाल कौशिक को भी टिकट मिलने की संभावनाएं कम हैं.
एकमात्र चुनावी चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
चुनावी जानकारों की मानें तो भाजपा इस पूरे मामले में दो रणनीति पर काम कर रही है. पहला ये कि वर्तमान सांसदों को टिकट दिए जाने की स्थिति में एन्टी इनकंबेंसी फैक्टर के दुष्परिणाम भी आ सकते हैं इसीलिए एन्टीइनकम्बेंसी फैक्टर को नए चेहरे को मौका देकर बहुत हद तक डाइल्यूट किया जा सकता है. वहीं दूसरी ओर ये भी सम्भव है कि भाजपा इस बार भी 2014 की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एकमात्र चुनावी चेहरा बनाए रखना चाहती है और इसी आधार पर एक बार फिर जीत हासिल करना चाहती है'.