बिलासपुर: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे को 2022 के लदान का नया लक्ष्य मिल गया (passenger train in Bilaspur ) है. रेलवे बोर्ड ने 252. 8 मिलियन टन का भारी भरकम लक्ष्य दिया है. इसे पूरा करने को रेलवे ने अभी से काम शुरू कर दिया है. बिलासपुर जोन ने लक्ष्य पूरा करने के लिए एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनों को आउटर और छोटे स्टेशनों पर रोकना शुरू कर दिया है, जिस कारण ट्रेन लेट हो रही है और माल गाड़ियों को पास किया जा रहा है. लगातार ट्रेनों में हो रही लेटलतीफी से जहां यात्री परेशान हैं. वहीं, इस आरोप को बिलासपुर जोन के अधिकारी बेबुनियाद बता रहे हैं.
इस कारण हो रही यात्री ट्रेन रद्द: बता दें कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर जोन पूरे भारत में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला जोन है. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर जोन रेलवे बोर्ड को अच्छा खासा राजस्व भी देता है. 2022-23 वित्तीय वर्ष में रेलवे बोर्ड ने बिलासपुर जोन को लदान का 252.8 मिलियन टन का लक्ष्य दिया हैं. ऐसे में लक्ष्य को पूरा करने को रेल प्रशासन यात्री ट्रेनों को बीच रास्ते में रोक देता है, ताकि माल गाड़ियों को पासिंग दी जा सके. पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान एसईसीआर को रेलवे बोर्ड ने 218 मिलियन टन लदान के लक्ष्य को पूरा करने का टारगेट दिया था. लदान को पूरा करने के लिए रेल अफसरों ने बिलासपुर से झारसुगुड़ा के बीच चौथी लाइन, बिलासपुर से कटनी के बीच तीसरी लाइन और अधोसंरचना का सहारा लेकर कई यात्री ट्रेनों को रद्द कर दिया है. इन यात्री ट्रेनों के रद्द होने के बाद टिकट रिफंड कर दिया जाता है, जो यात्री यात्रा के लिए टिकट बुक करवाए थे, उन्हें काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है. अपनी यात्रा भी यात्रियों को कैंसिल करनी पड़ रही है, जिससे उन्हें काफी नुकसान भी होता है.
इस लक्ष्य के कारण यात्री परेशान: रेलवे बोर्ड से मिले 252 मिलियन के लक्ष्य ने बिलासपुर जोन के यात्रियों को परेशान कर रखा है. इस मामले में यात्रियों से बातचीत करने पर यात्रियों ने दुख प्रकट करते हुए बताया कि ट्रेनों को बेवजह छोटे स्टेशनों पर और आउटर पर रोका जा रहा है, जिससे ट्रेनों के लेट होने से उनको कई परेशानी होती है. जहां जल्दी पहुंचना होता है, वहां देर से पहुंचने पर काम पूरा नहीं होता और आर्थिक रूप से नुकसान होता है.
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लेट चलने वाली ट्रेनें: यात्री ट्रेनों को बीच रास्ते में खड़ी करने के कारण स्टेशन में हर रोज ट्रेन लेट हो रही है. पिछले 1 सप्ताह में लेट चलने वाली ट्रेनों में सारनाथ एक्सप्रेस, अमरकंटक एक्सप्रेस, इंटरसिटी एक्सप्रेस, छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस, उत्कल एक्सप्रेस, अहमदाबाद एक्सप्रेस शामिल है, जो एक से डेढ़ घंटे लेट से चल रही है. इन ट्रेनों के लेट चलने के पीछे यात्रियों का कहना है कि माल गाड़ियों को पासिंग देने के लिए ट्रेनों को रेलवे प्रबंधन जानबूझकर लेट कर रहा है और इससे यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
ट्रेनों के लेट होने पर अधिकारियों ने दी सफाई: यात्री ट्रेनों के लेट होने के मामले में रेल प्रबंधन का कहना है कि, यात्री ट्रेनों को चलाना सही समय पर उनकी पहली प्राथमिकता है. रेल प्रबंधन अपनी प्राथमिकता के तहत ही यात्री ट्रेनों को सही समय पर चलाने की कोशिश करता है. कई बार ट्रेनों के लेट होने के कई अलग-अलग कारण होते हैं. कई बार लोको में खराबी के साथ ही दोहरी और तीसरी लाइन की कनेक्टिविटी कारण बनती है. इसके अलावा पूरे देश के अलग-अलग जोन में अधोसंरचना विकास के मद्देनजर काम चल रहा है. यही कारण है कि लाइन नहीं मिल पाने की वजह से ट्रेनों को देर से चलाया जाता है. उन्होंने यात्री ट्रेनों के लेट होने की बात तो स्वीकार की है लेकिन उन्होंने माल गाड़ियों की पासिंग की वजह से यात्री ट्रेनों को लेट करने की बात को बेबुनियाद आरोप करार दिया है. बिलासपुर जोन के चीफ पीआरओ ने कहा कि यात्री ट्रेन 120-30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है. मालगाड़ी 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है तो संभव ही नहीं है कि यात्री ट्रेनों को माल गाड़ी की वजह से लेट किया जाए.