बिलासपुर: कोटा विधानसभा के आदिवासी क्षेत्रों में ग्रामीणों के स्वास्थ्य और पोषण का ख्याल विगत 20 वर्षों से जन स्वास्थ्य सहयोग संस्था रख रही है. इसी कड़ी में शुक्रवार को ग्राम कूपाबांधा (झरना) में संरक्षण और संवर्धन कार्यक्रम के तहत बैगा आदिम जनजाति के आदिवासियों को बीज वितरित किया गया है.
संस्था ने ग्रामीणों को परंपरागत बीज माड़िया, कोदो, कुटकी, कांग, मक्का, ज्वार सहित अन्य बीजों के बीज का वितरण किया है.
परंपरागत बीज विलुप्त होने की कगार पर
वर्तमान में परंपरागत बीज विलुप्त होने की कगार पर है. उन बीजों को कैसे सहेज कर सुरक्षित किया जाए और ग्रामीण खाद्य सुरक्षा और पोषण विविधता को कैसे जीवित रखा जाए. इन उद्देश्यों के साथ बीजों का वितरण किया गया है.
फर्टिलाइजर खेती ने बहुत नुकसान किया
सामाजिक कार्यकर्ता अनिल बामने कहते हैं कि मौजूदा हालात पोषण की दृष्टि से ग्रामीण क्षत्रों में ठीक नहीं है. यह NFHS- 4 का डेटा दर्शाता है. इसी श्रृंखला में देखें तो पोषण विविधता ग्रामीण क्षेत्रों से विलुप्त होते जा रही है, फर्टिलाइजर खेती ने बहुत नुकसान किया है. जिसका असर मानव स्वास्थ्य पर सीधा देखा जा सकता है. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि जहर मुक्त परंपरागत जैविक खेती की जाए. ऐसे प्रयासों से ही ग्रामीण खाद्य सुरक्षा और विलुप्त होने वाले बीजों को बचाया जा सकता है.
बीज लेने पहुंचे आदिवासी
बीज वितरण कार्यक्रम के दौरान ग्रामीण एक-एक करके बीज लेने पहुंचे. ग्रामीणों का मानना है कि परंपरागत बीज उनके लिए बहुत ही लाभदायक होती है. इसका कई प्रकार से उपयोग करते हैं.