बिलासपुर : शहर के हेमूनगर में रहने वाली एक गृहिणी (Subhada Chatterjee of Bilaspur) को लव बर्ड्स पालने के शौख ने इतना सुकून दिया कि अब वह सैकड़ों लव बर्ड्स पालने लगी हैं. उनके इस शौख ने उन्हें इलाके में "चिड़ियाघर मैडम" की पहचान दे दी है. आलम यह है कि इलाके के लोग अब उन्हें इसी नाम से बुलाने लगे हैं.
वेलेंटाइन डे का भी प्रतीक हैं लव बर्ड्स
प्रेम का प्रतीक माने जाने वाले लव बर्ड्स को वेलेंटाइन डे का भी प्रतीक माना जाता है. पंछी के इस जोड़े को अटूट प्रेम और प्रेमी के प्रति वफादार भी कहा जाता है. ये पंछी अपनी पूरी जिंदगी एक दूसरे के साथ रहते हैं. किसी एक के भी नहीं रहने से दूसरा भी जीवित नहीं रहता. लव बर्ड्स को पूरी दुनिया में प्रेम का इकलौता प्रतीक माना जाता है. यह जीवन भर अपने जोड़े के साथ ही जीते और जोड़े के साथ ही मर जाते हैं. यही कारण है कि प्रेमी जोड़े लव बर्ड्स की तरह अपने आप को महसूस करते हैं और एक-दूसरे के साथ जीवन बिताने की बात कहते हैं. साथ ही वह उदाहरण भी देते हैं कि वह लव बर्ड्स की तरह अपने जोड़े के साथ रहेंगे. लव बर्ड्स की तरह ही एक-दूसरे के बिना जी भी नहीं पाएंगे.
लव बर्ड्स पालने की शौकीन हैं हेमूनगर की सुभदा
बिलासपुर के हेमूनगर में रहने वाली सुभदा चटर्जी एक ऐसी महिला हैं, जो लव बर्ड्स पालने की शौकीन हैं. उन्होंने 2-4 या 10-20 नहीं बल्कि 500 से भी ज्यादा लव बर्ड्स अपने घर की छत पर पाल रखा है. सुभदा एक सामान्य गृहणी हैं और आम महिलाओ की तरह ही कई शौक रखती हैं. सुभदा ने बताया कि वह लव बर्ड्स पालने की शौकीन पहले से नहीं थीं. करीब 7 साल पहले दीपावली के दिन जब घर पर थीं तो कहीं से लव बर्ड के जोड़े में से एक पंछी उनके घर आ गया था. वह उनके घर पर ही रहने लग गया. कुछ दिन उन्होंने उसे अपने पास रखा फिर उन्हें लव बर्ड्स के बारे में जानकारी मिली कि वह अपने साथी के बिना अकेले नहीं रहते और मर जाते हैं. इस वजह से वो बाजार से कुछ लव बर्ड्स के जोड़े अपने साथ ले आईं. तभी यह सिलसिला चल पड़ा और आज तक वे उन लव बर्ड्स की देखरेख कर रही हैं. साथ उन्हीं कुछ जोड़ों से बाकी के बर्ड्स प्रजनन कर अपना कुनबा बढ़ाते रहे हैं.
अबतक 600 से 700 लव बर्ड्स छोड़ चुकी हैं जंगल में
सुभदा ने बताया कि वे अब तक 6 से 700 लव बर्ड जंगल में छोड़ चुकी हैं. और जैसे ही इनकी संख्या अधिक होती है, वह थोड़ा-थोड़ा कर उन्हें जंगल में छोड़ देती हैं. सुभदा का कहना है कि वह किसी को इन्हें बेचती नहीं हैं. क्योंकि वह जिस प्यार और सेवा भावना से लव बर्ड को रखती हैं, शायद कोई न रखे और उन्हें तकलीफ हो या मर जाए तो उन्हें काफी दर्द होगा. शुभदा कहती हैं कि अपने पंछियों को किसी को देना उन्हें पसंद नहीं है.
"चिड़ियाघर मैडम" कहते हैं पड़ोसी
शुभदा चटर्जी ने बताया कि पूरे दिन सुबह से लेकर शाम तक उनके पंछियों की चहचहाट पूरे इलाके में गूंजती हैं. उनकी चहचहाट को पूरे मोहल्ले के लोग पसंद करते हैं. उन्होंने बताया कि अब तो आसपास के लोग उनके पंछियों की आवाज से सुबह जल्दी उठ जाते हैं. सुभदा ने बताया कि अब इन पंछियों की चहचहाट सुने बिना उनके मन को सुकून नहीं मिलता. लोग उनके घर आकर उनके पंछियों को देखते हैं और खुश होते हैं. साथ ही शुभदा की तारीफ भी करते हैं. लोगों के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर उन्हें महसूस होता है कि उनकी मेहनत बेकार नहीं जाती. अब तो आस पड़ोस के लोग अपने जान पहचान वालों को अपने घर का पता बताते समय यह कहने लगे हैं कि चिड़ियाघर के आस-पास उनका घर है. जिस जगह में पंछियों के चहचहाट की आवाज सुनाई दे, उसी के आस पास उनका घर है. लोग उन्हें "चिड़ियाघर मैडम" कहने लगे हैं.
पंछियों की देखरेख पर बड़ी राशि होती है खर्च
सुभदा के पास 4 से 5 साल के लव बर्ड्स हैं और वो पका हुआ खाना या गीला खाना पसंद नहीं करते. उन्हें सूखा खाना देना पड़ता है. इसके अलावा हरी सब्जी भी यह खाते हैं. लव बर्ड्स चना, फल्ली, भुट्टा, गेहूं और हरा मटर, फूलगोभी, पत्ता गोभी, पालक भाजी और कच्ची सब्जियां खाना पसंद करते हैं. सुभदा को अपने पंछियों के लिए महीने में करीब 8 से 10 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं. लेकिन उन्हें इस खर्चे की चिंता नहीं रहती. जब लोग उन्हें बर्ड्स बेचने की बात कहते हैं तो वह मना कर देती हैं. उनका कहना है कि भले ही खर्च होता है, लेकिन उन्हें काफी सुकून मिलता है. इसके साथ ही लोगों की तारीफ उन्हें खर्च के टेंशन से दूर कर देती है. हंसी-खुशी वह अपने पंछियों को पालने के साथ ही प्यार से उनकी देखरेख भी करती हैं.