बिलासपुर : कोरोना के खिलाफ जंग में पूरा देश अपनी सहभागिता निभा रहा है. इस लड़ाई में डॉक्टर्स और हॉस्पिटल की बड़ी भूमिका रही है. अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड की कमी को देखते हुए इंडियन रेलवे ने ट्रेन के बोगियों तक को आइसोलेशन वार्ड के रूप में तैयार किया है. डॉक्टर्स अपनी जान की परवाह न करते हुए कठिन हालातों से लड़ रहे हैं. जिसे ध्यान में रखकर बिलासपुर के छात्र ने कोरोना से लड़ने के लिए डबल डेकर ट्रेन का मॉडल तैयार किया है.
इस मॉडल की खासियत है कि इसमें कोरोना पीड़ितों को मेडिकल सुविधा के साथ-साथ कोरोना फाइटर डॉक्टरों की सुरक्षा और आराम का भी ध्यान रखा गया है. इस मॉडल के अनुसार ट्रेन में डॉक्टरों को ड्यूटी के बाद आराम करने की भी सुविधा है. अर्चित ने इस मॉडल को 'मां की गोद' नाम दिया है.
डॉक्टर्स कर सकते हैं आराम
अर्चित ने कहा कि 'डॉक्टर सुरक्षित हैं तो हम सुरक्षित हैं. इसी आधार पर यह मॉडल विकसित किया गया है. इंडियन रेलवे के तैयार किए गए कोच में सोशल डिस्टेंसिंग की कमी नजर आ रही थी. इस मॉडल ट्रेन में सोशल डिस्टेंसिंग का खासा ध्यान रखा गया है. डबल डेकर ट्रेन में डॉक्टर्स शिफ्ट चेंज के बाद ऊपर आराम भी कर सकते है. नार्मल ट्रेन और इस मॉडल ट्रेन की हाइट में ज्यादा अंतर नहीं है'.
'सभी डॉक्टर्स भी सुरक्षित रहे'
अर्चित की मां भारती हेमंत मोदी कहती है कि 'जिस तरह मां की गोद में बच्चा सुरक्षित रहता है. उसी तरह सभी डॉक्टर्स भी सुरक्षित रहे'
'भारतीय रेल को समर्पित करना चाहता हूं'
अर्चित की सोच है कि 'यह एक कम बजट में और कम जगह के उपयोग के साथ ज्यादा सुविधा देने वाली रेलवे कोच बन सकती है.अर्चित इसे भारतीय रेल को समर्पित करना चाहते हैं. ताकि कोरोना के खिलाफ वर्तमान में और भविष्य में भी भारतीय रेल एक वैश्विक मॉडल के रूप में उभर के सामने आए'.