बिलासपुर : अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस पर हम आपको उससे मिलवाने जा रहे हैं, जो आपके जेहन में बसी ग्रामीण महिला की छवि बदल देगी. इनसे मिलकर आप भी कहेंगे कि कौन कहता है कि महिलाओं के हाथ सिर्फ चूड़ी, कंगन और मेंहदी के लिए बने हैं. औजारों से खेलती इस औरत का नाम है सतरूपा, जिसने टैबू तोड़कर जब बाइक रिपेयरिंग शुरू की तो न सिर्फ अपनी जिंदगी बदली बल्कि परिवार को भी रोशन कर दिया.
सतरूपा अनंत, जैसा नाम, वैसा रूप. बेटी, पत्नी, मैकेनिक और गुरु भी. सतरूपा ने तमाम परेशानियों से निकलकर न सिर्फ खुद को मजबूत किया बल्कि समाज के सशक्तिकरण के लिए भी काम कर रही हैं. हां यहां ये बताना बहुत जरूरी है कि उन्हें मजबूत बनाने में उनके पति ने बहुत साथ दिया.
लोग कर रहे तारीफ
मंगला गांव की रहने वाली सतरूपा अनंत अपने गांव में गैरेज चलाने का काम करती हैं और अपने गैरेज में कई युवक-युवतियों को ऑटोमोबाइल की ट्रेनिंग भी देती हैं. 12वीं पास सतरूपा ने एक निजी संस्था से ऑटोमोबाइल के सेक्टर में ट्रेनिंग का कोर्स कम्प्लीट किया. ट्रेनिंग के बाद सतरूपा ने अपने घर के पास ही एक गैरेज खोल लिया. सतरूपा की तारीफ लोग भी दिल खोलकर की.
ऑटोमोबाइल की दे रही ट्रेनिंग
सतरूपा बतातीं हैं कि दो साल पहले मंगला गांव में उसकी शादी हुई थी. उनका ससुराल बेहद ही गरीबी में गुजारा कर रहा था. ये सब देख सतरूपा ने अपने परिवार की मदद करने के लिए ऑटोमोबाइल की ट्रेनिंग ली, औजार थामे और परिवार का सहारा बन गई.
हजारों महिलाओं के लिए उदाहरण है सतरूपा
आज सतरूपा के काम को देखकर हर कोई उनकी तारीफ करता है. पिछले डेढ़ साल की कमाई ने सतरूपा ने अपने ससुराल के कच्चे मकान को पक्के में बदल लिया है. स्थानीय बताते हैं कि सतरूपा ने न सिर्फ खुद को सशक्त बनाया है बल्कि हजारों महिलाओं के लिए उदाहरण पेश किया है. सतरूपा की चुनौतिपूर्ण जिंदगी से लड़ने की ये कहानी हमें बताती है कि मजबूती शरीर में नहीं, मन में होनी चाहिए. आत्मबल बड़ी से बड़ी चुनौतियों को हरा देता है.