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अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस: सतरूपा ने जब औजार थामे, तो परिवार के दुख दूर हो गए

आज अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस है. इस मौके पर हम आपको एक ऐसी महिला से मिलाने जा रहे हैं, जिसने अपनी मेहनत से अपने परिवार की जिंदगी बदल दी.

सतरूपा
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Published : Oct 14, 2019, 11:51 PM IST

Updated : Oct 15, 2019, 7:23 AM IST

बिलासपुर : अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस पर हम आपको उससे मिलवाने जा रहे हैं, जो आपके जेहन में बसी ग्रामीण महिला की छवि बदल देगी. इनसे मिलकर आप भी कहेंगे कि कौन कहता है कि महिलाओं के हाथ सिर्फ चूड़ी, कंगन और मेंहदी के लिए बने हैं. औजारों से खेलती इस औरत का नाम है सतरूपा, जिसने टैबू तोड़कर जब बाइक रिपेयरिंग शुरू की तो न सिर्फ अपनी जिंदगी बदली बल्कि परिवार को भी रोशन कर दिया.

सतरूपा की कहानी.

सतरूपा अनंत, जैसा नाम, वैसा रूप. बेटी, पत्नी, मैकेनिक और गुरु भी. सतरूपा ने तमाम परेशानियों से निकलकर न सिर्फ खुद को मजबूत किया बल्कि समाज के सशक्तिकरण के लिए भी काम कर रही हैं. हां यहां ये बताना बहुत जरूरी है कि उन्हें मजबूत बनाने में उनके पति ने बहुत साथ दिया.

बाइक सुधारती सतरूपा.
बाइक सुधारती सतरूपा.

लोग कर रहे तारीफ

मंगला गांव की रहने वाली सतरूपा अनंत अपने गांव में गैरेज चलाने का काम करती हैं और अपने गैरेज में कई युवक-युवतियों को ऑटोमोबाइल की ट्रेनिंग भी देती हैं. 12वीं पास सतरूपा ने एक निजी संस्था से ऑटोमोबाइल के सेक्टर में ट्रेनिंग का कोर्स कम्प्लीट किया. ट्रेनिंग के बाद सतरूपा ने अपने घर के पास ही एक गैरेज खोल लिया. सतरूपा की तारीफ लोग भी दिल खोलकर की.

सतरूपा ने जीता अवार्ड.
सतरूपा ने जीता अवार्ड.

ऑटोमोबाइल की दे रही ट्रेनिंग
सतरूपा बतातीं हैं कि दो साल पहले मंगला गांव में उसकी शादी हुई थी. उनका ससुराल बेहद ही गरीबी में गुजारा कर रहा था. ये सब देख सतरूपा ने अपने परिवार की मदद करने के लिए ऑटोमोबाइल की ट्रेनिंग ली, औजार थामे और परिवार का सहारा बन गई.

गैरेज में काम करती सतरूपा.
गैरेज में काम करती सतरूपा.

हजारों महिलाओं के लिए उदाहरण है सतरूपा
आज सतरूपा के काम को देखकर हर कोई उनकी तारीफ करता है. पिछले डेढ़ साल की कमाई ने सतरूपा ने अपने ससुराल के कच्चे मकान को पक्के में बदल लिया है. स्थानीय बताते हैं कि सतरूपा ने न सिर्फ खुद को सशक्त बनाया है बल्कि हजारों महिलाओं के लिए उदाहरण पेश किया है. सतरूपा की चुनौतिपूर्ण जिंदगी से लड़ने की ये कहानी हमें बताती है कि मजबूती शरीर में नहीं, मन में होनी चाहिए. आत्मबल बड़ी से बड़ी चुनौतियों को हरा देता है.

बिलासपुर : अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस पर हम आपको उससे मिलवाने जा रहे हैं, जो आपके जेहन में बसी ग्रामीण महिला की छवि बदल देगी. इनसे मिलकर आप भी कहेंगे कि कौन कहता है कि महिलाओं के हाथ सिर्फ चूड़ी, कंगन और मेंहदी के लिए बने हैं. औजारों से खेलती इस औरत का नाम है सतरूपा, जिसने टैबू तोड़कर जब बाइक रिपेयरिंग शुरू की तो न सिर्फ अपनी जिंदगी बदली बल्कि परिवार को भी रोशन कर दिया.

सतरूपा की कहानी.

सतरूपा अनंत, जैसा नाम, वैसा रूप. बेटी, पत्नी, मैकेनिक और गुरु भी. सतरूपा ने तमाम परेशानियों से निकलकर न सिर्फ खुद को मजबूत किया बल्कि समाज के सशक्तिकरण के लिए भी काम कर रही हैं. हां यहां ये बताना बहुत जरूरी है कि उन्हें मजबूत बनाने में उनके पति ने बहुत साथ दिया.

बाइक सुधारती सतरूपा.
बाइक सुधारती सतरूपा.

लोग कर रहे तारीफ

मंगला गांव की रहने वाली सतरूपा अनंत अपने गांव में गैरेज चलाने का काम करती हैं और अपने गैरेज में कई युवक-युवतियों को ऑटोमोबाइल की ट्रेनिंग भी देती हैं. 12वीं पास सतरूपा ने एक निजी संस्था से ऑटोमोबाइल के सेक्टर में ट्रेनिंग का कोर्स कम्प्लीट किया. ट्रेनिंग के बाद सतरूपा ने अपने घर के पास ही एक गैरेज खोल लिया. सतरूपा की तारीफ लोग भी दिल खोलकर की.

सतरूपा ने जीता अवार्ड.
सतरूपा ने जीता अवार्ड.

ऑटोमोबाइल की दे रही ट्रेनिंग
सतरूपा बतातीं हैं कि दो साल पहले मंगला गांव में उसकी शादी हुई थी. उनका ससुराल बेहद ही गरीबी में गुजारा कर रहा था. ये सब देख सतरूपा ने अपने परिवार की मदद करने के लिए ऑटोमोबाइल की ट्रेनिंग ली, औजार थामे और परिवार का सहारा बन गई.

गैरेज में काम करती सतरूपा.
गैरेज में काम करती सतरूपा.

हजारों महिलाओं के लिए उदाहरण है सतरूपा
आज सतरूपा के काम को देखकर हर कोई उनकी तारीफ करता है. पिछले डेढ़ साल की कमाई ने सतरूपा ने अपने ससुराल के कच्चे मकान को पक्के में बदल लिया है. स्थानीय बताते हैं कि सतरूपा ने न सिर्फ खुद को सशक्त बनाया है बल्कि हजारों महिलाओं के लिए उदाहरण पेश किया है. सतरूपा की चुनौतिपूर्ण जिंदगी से लड़ने की ये कहानी हमें बताती है कि मजबूती शरीर में नहीं, मन में होनी चाहिए. आत्मबल बड़ी से बड़ी चुनौतियों को हरा देता है.

Intro:कई बार हमारे सामने जीवंत महिलाओं के कुछ ऐसे किस्से भी सामने आ जाते हैं जिसे सुन मन प्रेरणा से भर जाता है और हमें महिला की शक्ति और सामर्थ्य का अंदाजा लग जाता है । कुछ ऐसी ही कहानी है बिलासपुर जिले के गांव मंगला की रहनेवाली सतरुपा अनंत की । अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस पर एक ख़ास रिपोर्ट ।।


Body:सतरूपा बिलासपुर से लगे मंगला गांव में गैरेज चलाने का काम करती है और अपने गैरेज में दर्जनों युवक युवतियों को ऑटोमोबाइल की ट्रेनिंग भी देती है । दो साल पहले जब सतरूपा की शादी मंगला गांव में हुई तब सतरूपा का ससुराल बेहद ही गरीबी की स्थिति में गुजारा कर रहा था । सतरुपा का पति और उसकी सास जैसे तैसे मजदूरी कर अपना गुजारा कर रहे थे । फिर सतरुपा ने ऑटोमोबाइल की ट्रेनिंग लेने की ठान ली और 12वीं पास सतरुपा ने एक निजी संस्था से ऑटोमोबाइल के सेक्टर में ट्रेनिंग का कोर्स कम्प्लीट किया ।ट्रेनिंग के बाद सतरूपा ने अपने घर के पास ही एक गैरेज खोल लिया और इस तरह शुरू हो गई सतरूपा की कमाई ।
सतरूपा बतातीं हैं कि इस बीच उसके पति का भरपूर सहयोग मिला और दुख सुख के इन पलों में पति ने सतरूपा का भरपूर साथ दिया । आज सतरूपा को उसके बारीक कामको देखकर हर कोई उसकी तारीफ करते हैं । कच्चे मकान में अपने ससुराल में आई सतरूपा ने बीते डेढ़ साल की अपनी कमाई से पक्का घर भी बना लिया है और बहुत जल्दी सतरूपा पूरे परिवार के साथ अब अपने नए घर में जाएगी ।






Conclusion:आज सतरूपा ने ना सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर कर समाज में एक मिसाल कायम की है बल्कि अन्य लोगों को ट्रेंड करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को भी वो बखूबी निभा रही है । सचमुच सतरूपा की चुनौतीपूर्ण जीवन से लड़ने की यह कहानी हमें यह बताती है कि जीवन की कठिनाई हमारे हौसलों के आगे एक ना एक दिन जरूर पस्त होती है । .
बाईट..आम ग्रामीणों के
बाईट..सतरूपा अनंत.. महिला मोटर मैकेनिक
विशाल झा.... बिलासपुर
Last Updated : Oct 15, 2019, 7:23 AM IST
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