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Bilaspur : पैरा एथलीट स्वाति साहू की कहानी, अपनी कमजोरी को ताकत बनाकर बनीं प्लेयर

बिलासपुर खेल परिसर में खिलाड़ियों की नई पौध तैयार होती है. पैरालंपिक खिलाड़ी भी इस स्पोर्ट्स सेंटर में तैयारी कर रहे हैं. इस सेंटर में इन दिनों पैरालंपिक प्लेयर स्वाति साहू जी जान से तैयारियों में जुटी हैं. आइए आपको बताते हैं कि, कैसे स्वाति साहू दिव्यांग होने के बावजूद भी अपने मेहनत के बल पर भारत को पैरा ओलंपिक में प्रेजेंट करने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहीं हैं.. Paralympic athlete Swati Sahu

Para Olympic athlete Swati Sahu
पैरा लंपिक खिलाड़ी स्वाति साहू का संघर्ष
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Published : Apr 18, 2023, 8:12 PM IST

Updated : Apr 19, 2023, 3:11 PM IST

पैरा एथलीट स्वाति साहू के जज्बे को सलाम

बिलासपुर : खेल परिसर ने कई खिलाड़ियों का जीवन बदल दिया है. ऐसी ही एक खिलाड़ी स्वाति साहू हैं. जिनका एक हाथ नहीं है.बावजूद इसके पैरालंपिक खिलाड़ी बनकर उन्होंने देश का नाम रौशन किया.अब तक स्वाति ने 18 मेडल जीते हैं. स्वाति की इच्छा पैरा ओलंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने की है.15 साल की स्वाति कराटे, ताइक्वांडो और मार्शल आर्ट जैसे खेलों में लगातार जी तोड़ मेहनत कर रहीं हैं.

दुर्घटना में हाथ खोया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी : राज्य खेल प्रशिक्षण केंद्र बहतराई स्टेडियम के सामने स्वाति साहू का घर है. उसके माता पिता मजदूरी करते हैं. वह अपने दो भाइयों के साथ छोटे से मकान में रहती हैं. साल 2016 में साइकिल चलाते वक्त एक ट्रक ने स्वाति को अपने चपेट में ले लिया था. जिसमें उसका एक हाथ बुरी तरह से चोटिल हो गया. डॉक्टरों की कोशिश के बाद भी हाथ नहीं बचाया जा सका. तबसे, स्वाति बिना हाथ के अपना जीवन जीने लगी. स्वाति बताती हैं कि, दुर्घटना के बाद उसके हाथ जाने की वजह से वह जिंदगी से मायूस हो चुकी थी.उसे लगा कि, वो अब किसी काम की नहीं.लेकिन अपनी कमजोरी को स्वाति ने ताकत बनाकर मेहनत की.स्वाति ने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग लेनी शुरु की. जिसका नतीजा ये रहा कि, वो अब तक 18 मेडल जीत चुकी हैं.

कड़ी मेहनत से पाया मुकाम : स्वाति ने कड़ी मेहनत करके अपने आप को साबित किया है. राष्ट्रीय और स्टेट लेवल के खेलों में मार्शल आर्ट, कराटे, ताइक्वांडो ओर तलवारबाजी में स्वाति ने कई मेडल हासिल किए हैं. 3 साल के करियर में 11 नेशनल गेम खेले हैं. स्वाति अब तक 11 नेशनल गेम्स में हिस्सा ले चुकी हैं. वह, 11 नेशनल गेम्स में अब तक कुल 18 मेडल जीत चुकी हैं. इन मेडल्स में 8 स्वर्ण पदक, एक रजत पदक और 9 कांस्य पदक शामिल है. स्वाति पैरा ओलंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व कर मेडल जीतना चाहती हैं.


इंटरनेशनल गेम्स खेलने की इच्छा : स्वाति साहू की कोच किरण साहू ने बताया कि '' स्वाति का एक हाथ नहीं है. हाथ नहीं होने पर परेशानियां तो आती है. लेकिन स्वाति इन परेशानियों को नजरअंदाज करती है. सबसे अच्छी बात ये है कि, उसने अपनी कमजोरी पर जीत हासिल कर उसे, अपनी ताकत बनाने का काम किया है." कोच किरण ने कहा कि "स्वाति के खेल पर भरोसा है. वह पैरा ओलंपिक तक जाएंगी"

ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ में कैसे रूकेगा साइबर क्राइम


पैरा ओलंपिक में ला सकती है मेडल : स्वाति के साथ प्रैक्टिस करने वाले उसके साथी सूरज साहू ने बताया कि '' शुरुआत में स्वाति जब प्रैक्टिस करने आती थी तो, काफी मायूस रहती थी. उसी समय उसके साथ घटना हुई .उसका हाथ नहीं रहा. यही वजह है कि, वह शुरुआत में गुमसुम रहती थी. दूसरों से दूरी बनाई रखी थी. लेकिन धीरे-धीरे स्वाति खेल में ध्यान देने लगी. अब वह एक माहिर खिलाड़ी हो गई है. उसने कई मेडल हासिल किए हैं. वह आने वाले समय में पैरा ओलंपिक में जा सकती है. उसका कॉन्फिडेंस लेवल काफी हाई है "

पैरा एथलीट स्वाति साहू के जज्बे को सलाम

बिलासपुर : खेल परिसर ने कई खिलाड़ियों का जीवन बदल दिया है. ऐसी ही एक खिलाड़ी स्वाति साहू हैं. जिनका एक हाथ नहीं है.बावजूद इसके पैरालंपिक खिलाड़ी बनकर उन्होंने देश का नाम रौशन किया.अब तक स्वाति ने 18 मेडल जीते हैं. स्वाति की इच्छा पैरा ओलंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने की है.15 साल की स्वाति कराटे, ताइक्वांडो और मार्शल आर्ट जैसे खेलों में लगातार जी तोड़ मेहनत कर रहीं हैं.

दुर्घटना में हाथ खोया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी : राज्य खेल प्रशिक्षण केंद्र बहतराई स्टेडियम के सामने स्वाति साहू का घर है. उसके माता पिता मजदूरी करते हैं. वह अपने दो भाइयों के साथ छोटे से मकान में रहती हैं. साल 2016 में साइकिल चलाते वक्त एक ट्रक ने स्वाति को अपने चपेट में ले लिया था. जिसमें उसका एक हाथ बुरी तरह से चोटिल हो गया. डॉक्टरों की कोशिश के बाद भी हाथ नहीं बचाया जा सका. तबसे, स्वाति बिना हाथ के अपना जीवन जीने लगी. स्वाति बताती हैं कि, दुर्घटना के बाद उसके हाथ जाने की वजह से वह जिंदगी से मायूस हो चुकी थी.उसे लगा कि, वो अब किसी काम की नहीं.लेकिन अपनी कमजोरी को स्वाति ने ताकत बनाकर मेहनत की.स्वाति ने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग लेनी शुरु की. जिसका नतीजा ये रहा कि, वो अब तक 18 मेडल जीत चुकी हैं.

कड़ी मेहनत से पाया मुकाम : स्वाति ने कड़ी मेहनत करके अपने आप को साबित किया है. राष्ट्रीय और स्टेट लेवल के खेलों में मार्शल आर्ट, कराटे, ताइक्वांडो ओर तलवारबाजी में स्वाति ने कई मेडल हासिल किए हैं. 3 साल के करियर में 11 नेशनल गेम खेले हैं. स्वाति अब तक 11 नेशनल गेम्स में हिस्सा ले चुकी हैं. वह, 11 नेशनल गेम्स में अब तक कुल 18 मेडल जीत चुकी हैं. इन मेडल्स में 8 स्वर्ण पदक, एक रजत पदक और 9 कांस्य पदक शामिल है. स्वाति पैरा ओलंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व कर मेडल जीतना चाहती हैं.


इंटरनेशनल गेम्स खेलने की इच्छा : स्वाति साहू की कोच किरण साहू ने बताया कि '' स्वाति का एक हाथ नहीं है. हाथ नहीं होने पर परेशानियां तो आती है. लेकिन स्वाति इन परेशानियों को नजरअंदाज करती है. सबसे अच्छी बात ये है कि, उसने अपनी कमजोरी पर जीत हासिल कर उसे, अपनी ताकत बनाने का काम किया है." कोच किरण ने कहा कि "स्वाति के खेल पर भरोसा है. वह पैरा ओलंपिक तक जाएंगी"

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पैरा ओलंपिक में ला सकती है मेडल : स्वाति के साथ प्रैक्टिस करने वाले उसके साथी सूरज साहू ने बताया कि '' शुरुआत में स्वाति जब प्रैक्टिस करने आती थी तो, काफी मायूस रहती थी. उसी समय उसके साथ घटना हुई .उसका हाथ नहीं रहा. यही वजह है कि, वह शुरुआत में गुमसुम रहती थी. दूसरों से दूरी बनाई रखी थी. लेकिन धीरे-धीरे स्वाति खेल में ध्यान देने लगी. अब वह एक माहिर खिलाड़ी हो गई है. उसने कई मेडल हासिल किए हैं. वह आने वाले समय में पैरा ओलंपिक में जा सकती है. उसका कॉन्फिडेंस लेवल काफी हाई है "

Last Updated : Apr 19, 2023, 3:11 PM IST
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