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स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष ने महाधिवक्ता पर लगाए गंभीर आरोप - मल्लिका बल की गिरफ्तारी का मामला

मल्लिका बल की गिरफ्तारी मामले में स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष प्रभाकर चंदेल ने महाधिवक्ता पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि पुलिस की ओर से बीते दिनों की गई कार्रवाई महाधिवक्ता के इशारे पर हुई है.

serious allegations against Advocate General
प्रभाकर चंदेल ने लगाए गंभीर आरोप
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Published : Jun 17, 2020, 8:37 PM IST

Updated : Jun 17, 2020, 10:38 PM IST

बिलासपुर: बीते दिनों हुई मल्लिका बल की गिरफ्तारी मामले पर स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष प्रभाकर सिंह चंदेल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने महाधिवक्ता पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पुलिस की ओर से बीते दिनों की गई कार्रवाई महाधिवक्ता के इशारे पर हुई है. आगे उन्होंने कहा कि कुंदन सिंह ठाकुर की शिकायत पर बीते दिनों कारण बताओ नोटिस महाधिवक्ता को जारी किया था. यह पुलिसिया कार्रवाई उसी का परिणाम थी.

स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष का गंभीर आरोप

बता दें कि 2015 स्टेट बार काउंसिल चुनाव में मल्लिका बल पर बैलेट पेपर के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगा था. वर्तमान में मल्लिका बल स्टेट बार काउंसिल में सहसचिव के पद पर पदस्थ हैं. मामले को लेकर तब बिलासपुर के सिविल लाइन थाने में मल्लिका बल के खिलाफ FIR भी दर्ज कराई गई थी.

मल्लिका बल ने जिला अदालत में की जमानत याचिका दायर

शिकायत दर्ज कराने के 5 साल बाद अचानक 12 जून को बिलासपुर पुलिस ने मल्लिका बल को गिरफ्तार किया था. उन्हें उनके निवास स्थान से हिरासत में लेकर महिला थाने में ले जाया गया था. जहां पर कुछ देर तक पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. वहीं दूसरी ओर गिरफ्तारी के बाद मल्लिका बल ने जिला अदालत में जमानत याचिका दायर की थी, जिसे बीते मंगलवार को जज पंकज जैन की बेंच ने स्वीकार कर लिया है.

पढे़ं: मतपत्र से छेड़छाड़ के आरोप में स्टेट बार काउंसिल की सह-सचिव मल्लिका बल गिरफ्तार

वहीं अपने खिलाफ दर्ज हुई FIR को निरस्त कराने के लिए मल्लिका बल ने हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की है, जिसपर जस्टिस संजय के अग्रवाल कि सिंगल बेंच ने निजी कारण बताते हुए सुनवाई से इंकार कर दिया है.

क्या था पूरा मामला ?

जानकारी के मुताबिक पांच साल पहले छत्तीसगढ़ स्टेट बार काउंसिल चुनाव के लिए मतदान हुआ था. इस दौरान मतपत्रों को स्टेट बार कार्यालय में रखा गया था. बार काउंसिल के चुनाव में वरीयता क्रम में वोट डाले गए थे. जिसके बाद मतगणना के पहले चरण में प्रथम वरीयता वोटों की गिनती की गई थी. वहीं दूसरे चरण में दूसरी वरीयता की मतगणना हुई थी. इसी क्रम में मतगणना के दौरान गड़बड़ी का मामला सामने आया था.

मतपत्र से छेड़छाड़ करने का आरोप

प्रथम चरण की गिनती में बहुत पीछे रहने वाले वकीलों को सेकेंड वरीयता में रिकार्ड तोड़ वोट मिले थे. जिसपर अधिवक्ताओं ने मतपत्र से छेड़छाड़ और टैम्परिंग का आरोप लगाया था. साथ ही मतगणना रोकने और जांच की मांग को लेकर सिविल लाइन थाने में बार काउंसिल की तत्कालीन सचिव मल्लिका बल के खिलाफ शिकायत की गई थी. जिसके बाद मामला कोर्ट में था, इसलिए पुलिस शिकायत दर्ज होने के बाद भी कार्रवाई नहीं कर रही थी. बाद में कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं की कमेटी बनाकर मामले की जांच के आदेश दिए थे.

कार्रवाई के निर्देश

कोर्ट के निर्देश के बाद जांच समिति ने जांच के बाद रिपोर्ट पेश की थी. रिपोर्ट में बताया गया कि मतपत्र में टैम्परिंग की गई थी. ऐसा कर वरीयता क्रम को बढ़ाया गया था. जिसके बाद रिपोर्ट पर कोर्ट ने पुलिस को दोषी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे.

सही पाया गया टैम्परिंग का मामला

मामले को खत्म करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टैम्परिंग को लेकर ट्रिब्यूनल में जाने को कहा था. इसके साथ ही एक आदेश के बाद हैंडराइटिंग मिलान के लिए बैलेट को हैदराबाद भी भेजा गया था. हैदराबाद की रिपोर्ट में टैम्परिंग का मामला सही पाया गया था. इसके बाद पुलिस ने मामले में FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी.

पढ़ें: मल्लिका बल को राहत, मतपत्र से छेड़छाड़ केस में मिली जमानत

वहीं सिविल लाइन पुलिस ने इस मामले में काउंसिल के कर्मचारियों का बयान दर्ज किया था, जिसके बाद 12 जून को काउंसिल के तत्कालीन सचिव मल्लिका बल को गिरफ्तार कर लिया गया था.

बिलासपुर: बीते दिनों हुई मल्लिका बल की गिरफ्तारी मामले पर स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष प्रभाकर सिंह चंदेल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने महाधिवक्ता पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पुलिस की ओर से बीते दिनों की गई कार्रवाई महाधिवक्ता के इशारे पर हुई है. आगे उन्होंने कहा कि कुंदन सिंह ठाकुर की शिकायत पर बीते दिनों कारण बताओ नोटिस महाधिवक्ता को जारी किया था. यह पुलिसिया कार्रवाई उसी का परिणाम थी.

स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष का गंभीर आरोप

बता दें कि 2015 स्टेट बार काउंसिल चुनाव में मल्लिका बल पर बैलेट पेपर के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगा था. वर्तमान में मल्लिका बल स्टेट बार काउंसिल में सहसचिव के पद पर पदस्थ हैं. मामले को लेकर तब बिलासपुर के सिविल लाइन थाने में मल्लिका बल के खिलाफ FIR भी दर्ज कराई गई थी.

मल्लिका बल ने जिला अदालत में की जमानत याचिका दायर

शिकायत दर्ज कराने के 5 साल बाद अचानक 12 जून को बिलासपुर पुलिस ने मल्लिका बल को गिरफ्तार किया था. उन्हें उनके निवास स्थान से हिरासत में लेकर महिला थाने में ले जाया गया था. जहां पर कुछ देर तक पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. वहीं दूसरी ओर गिरफ्तारी के बाद मल्लिका बल ने जिला अदालत में जमानत याचिका दायर की थी, जिसे बीते मंगलवार को जज पंकज जैन की बेंच ने स्वीकार कर लिया है.

पढे़ं: मतपत्र से छेड़छाड़ के आरोप में स्टेट बार काउंसिल की सह-सचिव मल्लिका बल गिरफ्तार

वहीं अपने खिलाफ दर्ज हुई FIR को निरस्त कराने के लिए मल्लिका बल ने हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की है, जिसपर जस्टिस संजय के अग्रवाल कि सिंगल बेंच ने निजी कारण बताते हुए सुनवाई से इंकार कर दिया है.

क्या था पूरा मामला ?

जानकारी के मुताबिक पांच साल पहले छत्तीसगढ़ स्टेट बार काउंसिल चुनाव के लिए मतदान हुआ था. इस दौरान मतपत्रों को स्टेट बार कार्यालय में रखा गया था. बार काउंसिल के चुनाव में वरीयता क्रम में वोट डाले गए थे. जिसके बाद मतगणना के पहले चरण में प्रथम वरीयता वोटों की गिनती की गई थी. वहीं दूसरे चरण में दूसरी वरीयता की मतगणना हुई थी. इसी क्रम में मतगणना के दौरान गड़बड़ी का मामला सामने आया था.

मतपत्र से छेड़छाड़ करने का आरोप

प्रथम चरण की गिनती में बहुत पीछे रहने वाले वकीलों को सेकेंड वरीयता में रिकार्ड तोड़ वोट मिले थे. जिसपर अधिवक्ताओं ने मतपत्र से छेड़छाड़ और टैम्परिंग का आरोप लगाया था. साथ ही मतगणना रोकने और जांच की मांग को लेकर सिविल लाइन थाने में बार काउंसिल की तत्कालीन सचिव मल्लिका बल के खिलाफ शिकायत की गई थी. जिसके बाद मामला कोर्ट में था, इसलिए पुलिस शिकायत दर्ज होने के बाद भी कार्रवाई नहीं कर रही थी. बाद में कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं की कमेटी बनाकर मामले की जांच के आदेश दिए थे.

कार्रवाई के निर्देश

कोर्ट के निर्देश के बाद जांच समिति ने जांच के बाद रिपोर्ट पेश की थी. रिपोर्ट में बताया गया कि मतपत्र में टैम्परिंग की गई थी. ऐसा कर वरीयता क्रम को बढ़ाया गया था. जिसके बाद रिपोर्ट पर कोर्ट ने पुलिस को दोषी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे.

सही पाया गया टैम्परिंग का मामला

मामले को खत्म करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टैम्परिंग को लेकर ट्रिब्यूनल में जाने को कहा था. इसके साथ ही एक आदेश के बाद हैंडराइटिंग मिलान के लिए बैलेट को हैदराबाद भी भेजा गया था. हैदराबाद की रिपोर्ट में टैम्परिंग का मामला सही पाया गया था. इसके बाद पुलिस ने मामले में FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी.

पढ़ें: मल्लिका बल को राहत, मतपत्र से छेड़छाड़ केस में मिली जमानत

वहीं सिविल लाइन पुलिस ने इस मामले में काउंसिल के कर्मचारियों का बयान दर्ज किया था, जिसके बाद 12 जून को काउंसिल के तत्कालीन सचिव मल्लिका बल को गिरफ्तार कर लिया गया था.

Last Updated : Jun 17, 2020, 10:38 PM IST

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