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इस स्कूल के हेडमास्टर ने किया अनोखा काम, बागवानी के जरिए छात्रों को दे रहे ज्ञान

बिलासपुर के पेंड्रा ब्लॉक के मुरमुर में सरकारी स्कूल के प्रधान पाठक टीका दास मरावी की एक नेक पहल सामने आई है. टीका दास मरावी स्कूल में बागवानी कराने के साथ ही यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को कृषि विज्ञान की पढ़ाई भी कराते हैं. शिक्षकों द्वारा बॉटनिकल गार्डन बनाया गया है, जिससे बच्चों को पोषक आहार भी मिल रहा है.

स्कूल के हेडमास्टर ने किया अनोखा काम
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Published : Sep 5, 2019, 11:50 PM IST

बिलासपुर : ये तस्वीरें न तो किसी गार्डन की हैं और न ही किसी नर्सरी की. ये नजारा बिलासपुर जिले के पेंड्रा ब्लॉक के दूरस्थ इलाके मुरमुर का है. यहां के सरकारी स्कूल के प्रधान पाठक टीका दास मरावी स्कूल में बागवानी कराने के साथ ही यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को कृषि विज्ञान की पढ़ाई भी कराते हैं.

स्कूल के हेडमास्टर ने किया अनोखा काम

स्कूल के शिक्षकों ने एक बॉटनिकल गार्डन बनाया है और स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को पोषक आहार देने के साथ ही शिक्षक आदिवासी बच्चों को कृषि विज्ञान का ज्ञान भी देते हैं. दरअसल पेंड्रा विकासखंड के मुर मुर गांव में मौजूद मिडिल स्कूल परिषद के पास 40 डिसमिल जमीन थी जो जर्जर थी, जिस पर स्कूल के शिक्षकों ने अपनी मेहनत के बूते जमीन पर बॉटनिकल गार्डन बनाया है.

छठी से आठवीं तक के 150 से अधिक छात्र-छात्राएं नियमित तौर से पढ़ाई करते हैं, इसमें आदिवासी छात्रों की संख्या 70 फीसदी है. स्कूल के शिक्षक बताते हैं कि विद्यार्थियों को कृषि वैज्ञानिक बनाने के उद्देश्य से स्कूल परिसर के चारों तरफ गार्डन बनाकर पेड़ पौधे लगाए हैं. विद्यार्थियों को उन्नत किस्म की खेती करने के बारे में जानकारी दी जाती है स्कूल में हिंदी अंग्रेजी सहित अन्य विषयों की प्रतिदिन पढ़ाई करवाई जाती है. स्कूल के सभी बच्चों को गुरुवार और शनिवार को गार्डन में ले जाकर कृषि संबंधित प्रैक्टिकल कराया जाता है इसी मेहनत और लगन की बदौलत जमीन पर फलदार पेड़ लगाए गए हैं. इसके साथ ही साथ यहां सब्जियां भी उगा रहे हैं यहां के 70 फीसदी आदिवासी बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ बागवानी भी कर रहे हैं.

शिक्षकों और छात्रों ने फलदार वृक्षों के साथ ही स्कूल परिसर में अलग-अलग किस्म के पेड़-पौधों के से लेकर सब्जियां तक लगाई हैं. सब्जियों का उपयोग स्कूल प्रबंधन मिड-डे मील में कर रहा है, ताकि स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को पोषण आहार मिल सके.

स्कूल की शिक्षिका ने बताया कि स्कूल में बच्चों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. यहां पढ़ने वाली छात्राओं के लिए सेनेटरी पैड की सुविधा भी स्कूल में उपलब्ध है. इतना ही नहीं क्लास में प्रमुख विषयों की पढ़ाई खत्म होने के बाद बच्चों को कृषि विषय की जानकारी देने के लिए अतिरिक्त क्लास लगाई जाती है.

शिक्षक सभी छात्र-छात्राओं को गार्डन में ले जाकर पेड़-पौधे, सब्जी, फलदार वृक्षों की पहचान कराने के साथ ही बकायदा उनसे प्रैक्टिकल कराने के साथ ही हर बुधवार उन्हें सब्जी उगाने के तौर तरीके सिखाए जाते हैं. इसके साथ ही उन्हें बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है.

शिक्षकों की यह मुहिम बीते कई सालों से लगातार जारी है. स्कूल के गार्डन में आम, कटहल, लीची, मुनगा, पपीता, आंवला, केला, अनार के पेड़ लगाए गए है. इसके अलावा यहां मौसम के अनुसार गोभी, लाल भाजी, बैगन, प्याज, आलू, लहसुन, मिर्च, धनिया की भी खेती की जाती है.

मिडिल स्कूल में प्रयोगशाला के जरिए विज्ञान विषय की पढ़ाई करने वाले बच्चों को जल कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन बनाने के उपयोग में आने वाले तत्वों के प्रयोग के बारे में जानकारी दी जाती है. इसके साथ ही स्कूल में लाइब्रेरी की स्थापना की गई है, जिसकी मदद से स्कूल में नियमित रूप से पढ़ाए जाने वाले विषयों की किताबों के अलावा सामान्य ज्ञान और उपन्यास से संबंधित किताबें भी उपलब्ध हैं.

छात्र-छात्राएं खाली समय में लाइब्रेरी से किताबें लेकर गार्डन में बैठकर पढ़ाई करते हैं. इसकी वजह से विद्यार्थियों को जटिल विषयों की पढ़ाई में भी दिलचस्पी होने लगी है. इस काम के लिए स्कूल के प्रधान पाठक टीका दास मरावी को राज्यपाल की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है. मुरमुर के स्कूल के प्रधान पाठक टीका दास मरावी ने अपना कोरम पूरा करने के साथ ही कृषि और परंपरागत खेती के प्रति जो दिलचस्पी दिखाई है वो किसी मिसाल के कम नहीं है.

बिलासपुर : ये तस्वीरें न तो किसी गार्डन की हैं और न ही किसी नर्सरी की. ये नजारा बिलासपुर जिले के पेंड्रा ब्लॉक के दूरस्थ इलाके मुरमुर का है. यहां के सरकारी स्कूल के प्रधान पाठक टीका दास मरावी स्कूल में बागवानी कराने के साथ ही यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को कृषि विज्ञान की पढ़ाई भी कराते हैं.

स्कूल के हेडमास्टर ने किया अनोखा काम

स्कूल के शिक्षकों ने एक बॉटनिकल गार्डन बनाया है और स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को पोषक आहार देने के साथ ही शिक्षक आदिवासी बच्चों को कृषि विज्ञान का ज्ञान भी देते हैं. दरअसल पेंड्रा विकासखंड के मुर मुर गांव में मौजूद मिडिल स्कूल परिषद के पास 40 डिसमिल जमीन थी जो जर्जर थी, जिस पर स्कूल के शिक्षकों ने अपनी मेहनत के बूते जमीन पर बॉटनिकल गार्डन बनाया है.

छठी से आठवीं तक के 150 से अधिक छात्र-छात्राएं नियमित तौर से पढ़ाई करते हैं, इसमें आदिवासी छात्रों की संख्या 70 फीसदी है. स्कूल के शिक्षक बताते हैं कि विद्यार्थियों को कृषि वैज्ञानिक बनाने के उद्देश्य से स्कूल परिसर के चारों तरफ गार्डन बनाकर पेड़ पौधे लगाए हैं. विद्यार्थियों को उन्नत किस्म की खेती करने के बारे में जानकारी दी जाती है स्कूल में हिंदी अंग्रेजी सहित अन्य विषयों की प्रतिदिन पढ़ाई करवाई जाती है. स्कूल के सभी बच्चों को गुरुवार और शनिवार को गार्डन में ले जाकर कृषि संबंधित प्रैक्टिकल कराया जाता है इसी मेहनत और लगन की बदौलत जमीन पर फलदार पेड़ लगाए गए हैं. इसके साथ ही साथ यहां सब्जियां भी उगा रहे हैं यहां के 70 फीसदी आदिवासी बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ बागवानी भी कर रहे हैं.

शिक्षकों और छात्रों ने फलदार वृक्षों के साथ ही स्कूल परिसर में अलग-अलग किस्म के पेड़-पौधों के से लेकर सब्जियां तक लगाई हैं. सब्जियों का उपयोग स्कूल प्रबंधन मिड-डे मील में कर रहा है, ताकि स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को पोषण आहार मिल सके.

स्कूल की शिक्षिका ने बताया कि स्कूल में बच्चों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. यहां पढ़ने वाली छात्राओं के लिए सेनेटरी पैड की सुविधा भी स्कूल में उपलब्ध है. इतना ही नहीं क्लास में प्रमुख विषयों की पढ़ाई खत्म होने के बाद बच्चों को कृषि विषय की जानकारी देने के लिए अतिरिक्त क्लास लगाई जाती है.

शिक्षक सभी छात्र-छात्राओं को गार्डन में ले जाकर पेड़-पौधे, सब्जी, फलदार वृक्षों की पहचान कराने के साथ ही बकायदा उनसे प्रैक्टिकल कराने के साथ ही हर बुधवार उन्हें सब्जी उगाने के तौर तरीके सिखाए जाते हैं. इसके साथ ही उन्हें बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है.

शिक्षकों की यह मुहिम बीते कई सालों से लगातार जारी है. स्कूल के गार्डन में आम, कटहल, लीची, मुनगा, पपीता, आंवला, केला, अनार के पेड़ लगाए गए है. इसके अलावा यहां मौसम के अनुसार गोभी, लाल भाजी, बैगन, प्याज, आलू, लहसुन, मिर्च, धनिया की भी खेती की जाती है.

मिडिल स्कूल में प्रयोगशाला के जरिए विज्ञान विषय की पढ़ाई करने वाले बच्चों को जल कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन बनाने के उपयोग में आने वाले तत्वों के प्रयोग के बारे में जानकारी दी जाती है. इसके साथ ही स्कूल में लाइब्रेरी की स्थापना की गई है, जिसकी मदद से स्कूल में नियमित रूप से पढ़ाए जाने वाले विषयों की किताबों के अलावा सामान्य ज्ञान और उपन्यास से संबंधित किताबें भी उपलब्ध हैं.

छात्र-छात्राएं खाली समय में लाइब्रेरी से किताबें लेकर गार्डन में बैठकर पढ़ाई करते हैं. इसकी वजह से विद्यार्थियों को जटिल विषयों की पढ़ाई में भी दिलचस्पी होने लगी है. इस काम के लिए स्कूल के प्रधान पाठक टीका दास मरावी को राज्यपाल की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है. मुरमुर के स्कूल के प्रधान पाठक टीका दास मरावी ने अपना कोरम पूरा करने के साथ ही कृषि और परंपरागत खेती के प्रति जो दिलचस्पी दिखाई है वो किसी मिसाल के कम नहीं है.

Intro:cg_bls_01_teacher_avb_CGC10013


बिलासपुर आदिवासी ब्लॉक पेंड्रा के दूरस्थ क्षेत्र मुरमुर के सरकारी स्कूल में प्रधान पाठक टीका दास मरावी आदिवासी बच्चों की सेहत सुधारने व कृषि वैज्ञानिक के गुर सिखाने स्कूल में ही बागवानी बनाकर अनोखा मिसाल पेश कर रहे हैं जहां शिक्षकों ने बॉटनिकल गार्डन बनाने के साथ-साथ यहां के बच्चों को कृषि वैज्ञानिक के गुर भी सिखा रहे हैं


Body:cg_bls_01_teacher_avb_CGC10013


पेंड्रा के मुरमुर गांव के सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने की बागवानी की अनूठी पहल जिसमें शिक्षकों ने बॉटनिकल गार्डन बनाया है यहां के बच्चों को पोषक आहार देने के साथ ही साथ शिक्षक आदिवासी बच्चों को कृषि वैज्ञानिक के गुर भी सिखा रहे हैं दरअसल पेंड्रा विकासखंड के मुर मुर गांव में स्थित मिडिल स्कूल परिषद की 40 डिसमिल बंजर भूमि थी आदिवासी बहुल क्षेत्र के विद्यार्थियों को कृषि वैज्ञानिक बनाने के लिए शिक्षकों ने मिलकर मुरमुर स्कूल परिसर में इस 40 डिसमिल जमीन पर मेहनत और लगन कर बॉटनिकल गार्डन बनाया है पेंड्रा ब्लाक के ग्राम पंचायत मुरमुर की शासकीय कन्या पूर्व माध्यमिक शाला में कक्षा छठवीं से आठवीं तक के 150 से अधिक बच्ची नियमित रूप से पढ़ाई करते हैं इसमें आदिवासी छात्रों की संख्या 70 फीस दी है स्कूल के शिक्षक बताते हैं कि विद्यार्थियों को कृषि वैज्ञानिक बनाने के उद्देश्य स्कूल परिसर के चारों तरफ गार्डन बनाकर पेड़ पौधे लगाए हैं विद्यार्थियों को उन्नत किस्म की खेती करने के बारे में जानकारी दी जाती है स्कूल में हिंदी अंग्रेजी सहित अन्य विषयों की प्रतिदिन पढ़ाई की जाती है स्कूल के सभी बच्चों को गुरुवार व शनिवार को गार्डन में ले जाकर कृषि संबंधित प्रैक्टिकल कराया जाता है इसी मेहनत और लगन की बदौलत जमीन पर फलदार पेड़ लगाए गए हैं इसके साथ ही साथ यहां सब्जियां भी उगा रहे हैं यहां के 70 फ़ीसदी आदिवासी बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ बागवानी भी कर रहे हैं शिक्षकों और छात्रों ने फलदार वृक्षों के अलावा अलग-अलग किस्म के पेड़ पौधों के से लेकर सब्जियां तक लगाई है सब्जियों का उपयोग स्कूल प्रबंधन मध्यान भोजन में कर रहे हैं जिससे बच्चों को पोषण आहार मिल सके साथ ही स्कूल के महिला शिक्षक ने बताया कि स्कूल में बच्चों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगवाया गया है 7 छात्राओं के लिए पैड की सुविधा भी स्कूल में उपलब्ध है इतना ही नहीं क्लास में मुख्य विषयों की पढ़ाई खत्म होने के बाद बच्चों को कृषि विषय की जानकारी देने के लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाई जाती है शिक्षक सभी बच्चों को गार्डन में ले जाकर पेड़ पौधे सब्जी फलदार वृक्षों की पहचान करवाते हैं बकायदा बच्चों से प्रैक्टिकल करवाकर उन्हें बुधवार सब्जी उगाने के तौर तरीके सिखाए जाते हैं इसके साथ ही बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है शिक्षकों की यह मुहिम बीते कई सालों से चल रही है स्कूल के गार्डन में आम कटहल लीची मुनगा पपीता आंवला केला अनार आदि के वृक्ष लगाए गए हैं इसके अलावा मौसम के अनुसार गोभी लाल भाजी बैगन प्याज आलू लहसुन मिर्च धनिया की भी खेती की जाती है मिडिल स्कूल में प्रयोगशाला की सुविधा भी है विज्ञान विषय की पढ़ाई करने वाले बच्चों को जल कार्बन डाइऑक्साइड तथा ऑक्सीजन बनाने के उपयोग में आने वाले तत्वों के प्रयोग के बारे में जानकारी दी जाती है इसके साथ ही स्कूल में पुस्तकालय की स्थापना की गई है स्कूल में नियमित रूप से पढ़ाए जाने वाले विषयों की किताबों के अलावा सामान्य ज्ञान और उपन्यास से संबंधित पुस्तकें भी उपलब्ध है विद्यार्थी खाली समय में पुस्तकालय में पुस्तक निकालकर गार्डन में बैठकर पढ़ाई करते हैं इसके बच्चों को जटिल विषयों की पढ़ाई में अब दिलचस्पी आने लगी है इन कार्यों के लिए स्कूल के प्रधान पाठक टीका दास मरावी को राज्यपाल के द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है मुरमुर के स्कूल के प्रधान पाठक टीका दास मरा हुआ स्टॉप अध्यापक कार्य के साथ ही साथ कृषि और परंपरागत खेती के प्रति जो दिलचस्पी दिखाते हुए मिसाल पेश की है उसकी जितनी सराहना की जावे कम ही होगी


Conclusion:cg_bls_01_teacher_avb_CGC10013


बाइट पीके दास मरावी प्रधान पाठक मुरमुर स्कूल

बाइट ज्योति मिश्रा शिक्षिका मुरमुर स्कूल

बाईट अशोक कुमार काशीपुरी शिक्षक मुरमुर

बाइट छात्र-छात्राओं की बाइट
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