बिलासपुर : ये तस्वीरें न तो किसी गार्डन की हैं और न ही किसी नर्सरी की. ये नजारा बिलासपुर जिले के पेंड्रा ब्लॉक के दूरस्थ इलाके मुरमुर का है. यहां के सरकारी स्कूल के प्रधान पाठक टीका दास मरावी स्कूल में बागवानी कराने के साथ ही यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को कृषि विज्ञान की पढ़ाई भी कराते हैं.
स्कूल के शिक्षकों ने एक बॉटनिकल गार्डन बनाया है और स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को पोषक आहार देने के साथ ही शिक्षक आदिवासी बच्चों को कृषि विज्ञान का ज्ञान भी देते हैं. दरअसल पेंड्रा विकासखंड के मुर मुर गांव में मौजूद मिडिल स्कूल परिषद के पास 40 डिसमिल जमीन थी जो जर्जर थी, जिस पर स्कूल के शिक्षकों ने अपनी मेहनत के बूते जमीन पर बॉटनिकल गार्डन बनाया है.
छठी से आठवीं तक के 150 से अधिक छात्र-छात्राएं नियमित तौर से पढ़ाई करते हैं, इसमें आदिवासी छात्रों की संख्या 70 फीसदी है. स्कूल के शिक्षक बताते हैं कि विद्यार्थियों को कृषि वैज्ञानिक बनाने के उद्देश्य से स्कूल परिसर के चारों तरफ गार्डन बनाकर पेड़ पौधे लगाए हैं. विद्यार्थियों को उन्नत किस्म की खेती करने के बारे में जानकारी दी जाती है स्कूल में हिंदी अंग्रेजी सहित अन्य विषयों की प्रतिदिन पढ़ाई करवाई जाती है. स्कूल के सभी बच्चों को गुरुवार और शनिवार को गार्डन में ले जाकर कृषि संबंधित प्रैक्टिकल कराया जाता है इसी मेहनत और लगन की बदौलत जमीन पर फलदार पेड़ लगाए गए हैं. इसके साथ ही साथ यहां सब्जियां भी उगा रहे हैं यहां के 70 फीसदी आदिवासी बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ बागवानी भी कर रहे हैं.
शिक्षकों और छात्रों ने फलदार वृक्षों के साथ ही स्कूल परिसर में अलग-अलग किस्म के पेड़-पौधों के से लेकर सब्जियां तक लगाई हैं. सब्जियों का उपयोग स्कूल प्रबंधन मिड-डे मील में कर रहा है, ताकि स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को पोषण आहार मिल सके.
स्कूल की शिक्षिका ने बताया कि स्कूल में बच्चों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. यहां पढ़ने वाली छात्राओं के लिए सेनेटरी पैड की सुविधा भी स्कूल में उपलब्ध है. इतना ही नहीं क्लास में प्रमुख विषयों की पढ़ाई खत्म होने के बाद बच्चों को कृषि विषय की जानकारी देने के लिए अतिरिक्त क्लास लगाई जाती है.
शिक्षक सभी छात्र-छात्राओं को गार्डन में ले जाकर पेड़-पौधे, सब्जी, फलदार वृक्षों की पहचान कराने के साथ ही बकायदा उनसे प्रैक्टिकल कराने के साथ ही हर बुधवार उन्हें सब्जी उगाने के तौर तरीके सिखाए जाते हैं. इसके साथ ही उन्हें बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है.
शिक्षकों की यह मुहिम बीते कई सालों से लगातार जारी है. स्कूल के गार्डन में आम, कटहल, लीची, मुनगा, पपीता, आंवला, केला, अनार के पेड़ लगाए गए है. इसके अलावा यहां मौसम के अनुसार गोभी, लाल भाजी, बैगन, प्याज, आलू, लहसुन, मिर्च, धनिया की भी खेती की जाती है.
मिडिल स्कूल में प्रयोगशाला के जरिए विज्ञान विषय की पढ़ाई करने वाले बच्चों को जल कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन बनाने के उपयोग में आने वाले तत्वों के प्रयोग के बारे में जानकारी दी जाती है. इसके साथ ही स्कूल में लाइब्रेरी की स्थापना की गई है, जिसकी मदद से स्कूल में नियमित रूप से पढ़ाए जाने वाले विषयों की किताबों के अलावा सामान्य ज्ञान और उपन्यास से संबंधित किताबें भी उपलब्ध हैं.
छात्र-छात्राएं खाली समय में लाइब्रेरी से किताबें लेकर गार्डन में बैठकर पढ़ाई करते हैं. इसकी वजह से विद्यार्थियों को जटिल विषयों की पढ़ाई में भी दिलचस्पी होने लगी है. इस काम के लिए स्कूल के प्रधान पाठक टीका दास मरावी को राज्यपाल की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है. मुरमुर के स्कूल के प्रधान पाठक टीका दास मरावी ने अपना कोरम पूरा करने के साथ ही कृषि और परंपरागत खेती के प्रति जो दिलचस्पी दिखाई है वो किसी मिसाल के कम नहीं है.