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कोरोना संकट से प्रिंटिंग और पब्लिशिंग इंडस्ट्री तबाह, छपाई बंद होने से आर्थिक तंगी में कामगार

कोरोना वायरस ने हर सेक्टर पर प्रभाव डाला है. एक ऐसा ही सेक्टर है प्रिंटिंग, जिसकी हालत कोरोना काल में बदत्तर हो गई है. कोरोना और डिजिटलाइजेशन ने छपाई कारोबार को रोक दिया है. इस कारोबार से जुड़े लोगों के सामने अब रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है.

corona effect on printing industry
कोरोना ने बंद की छपाई
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Published : Aug 28, 2020, 9:17 PM IST

बिलासपुर: कोरोना महामारी से देश की अर्थव्यवस्था बेपटरी हो गई है. इस संकट का असर सभी कारोबार पर देखने को मिला है. छपाई का कारोबार पहले से ही बढ़ते डिजिटल चलन के कारण डगमगाया हुआ था और अब कोरोना संकट की वजह से यह कारोबार बुरी तरह से चरमरा गया है. शादियों का सीजन निकल गया, स्कूल-कॉलेज भी बंद पड़े हैं और अब धार्मिक आयोजन भी नहीं हो रहे, इन सभी चीजों ने प्रिंटिंग कारोबारियों की कमर तोड़ दी है.

कोरोना संकट से प्रिंटिंग और पब्लिशिंग इंडस्ट्री तबाह

बिलासपुर शहर के दर्जनों प्रिंटिंग कारोबारियों के कारोबार का जायजा लेने जब ETV-भारत की टीम पहुंची तो इन कारोबारियों का हाल खास्ता दिखा. कारोबार लगभग चौपट होने से चिंता की लकीरें साफ-साफ कारोबारियों के माथे पर दिख रही थी. इन कारोबारियों का कहना है कि बाजार में डिमांड लगभग समाप्त है,लिहाजा उनका कारोबार चौपट हो गया है.

कारोबारियों ने बताया कि यह समय त्यौहारों का था और लोग बड़े ही शौक से इन दिनों कार्ड वगैरह छपवाते थे, लेकिन इस साल कोरोना के भय और जरुरी बंदिशों के कारण बाजार में डिमांड शून्य हो गया है.जिसका खामियाजा वो भुगत रहे हैं. स्थिति ऐसी है कि बड़े कारोबारियों ने या तो अपने कर्मचारियों को मजबूरन बाहर का रास्ता दिखा दिया है या फिर गंभीर आर्थिक संकट के बीच वो जैसे-तैसे अपने कर्मचारियों का पेट पाल रहे हैं.

बढ़ते डिजिटलाइजेशन ने धंधा किया मंदा

दूसरी ओर छपाई का कारोबार बढ़ते डिजिटलाइजेशन के कारण भी मंदा हुआ है. कारोबारी बताते हैं कि लोग अब डिजिटल कार्ड और डिजिटल इन्विटेशन कार्ड को ज्यादा तवज्जो देने लगे हैं. विभिन्न ऐप से कागजों पर रिकॉर्ड मेंटेन करने का चलन भी बड़ी तेजी से घट चुका है. डिजिटल उपयोग का बढ़ता चलन आकर्षक, आसान और सस्ता भी है. इस तरह नए दौर में छपाई का कारोबार चारों तरफ से कमजोर हो रहा है. कारोबारियों ने शासन-प्रशासन से इन विषम परिस्थितियों में ETV-भारत के माध्यम से मदद की गुहार लगाई है.

पढ़ें- Special: छत्तीसगढ़ में मंदी और कोरोना को मात देता ऑटोमोबाइल सेक्टर, अनलॉक-1 में 2 प्रतिशत का ग्रोथ

प्रिंटिंग व्यवसाय के शहर में 150 से अधिक कारोबारी

बिलासपुर की बात करें तो यहां शहरी क्षेत्र में 150 से अधिक छोटे-बड़े प्रिंटिंग से जुड़े कारोबारी हैं. जिनके पास हजारों वर्कर काम करते हैं. इन कामगारों की रोजी-रोटी पर अब संकट मंडराने लगा है. इस कोरोना काल में इनका कारोबार 85 से 90 फीसदी प्रभावित हुआ है और अब तक करोड़ों का कारोबार इसकी भेंट चढ़ चुका है. ये कारोबारी अब अपने मुख्य कारोबार से हटकर आय के अन्य साधन तलाशने में जुट गए हैं.

स्कूल-कॉलेज के बंद होने से भी प्रभावित हुआ व्यापार

शादियों के सीजन में सबसे ज्यादा कार्ड्स की प्रिंटिंग होती है लेकिन कोरोना ने शादियों के सीजन पर भी ग्रहण लगाया. वहीं अब धार्मिक आयोजन भी इस संकट काल में प्रभावित हुए हैं. इन आयोजनों के प्रभावित होने से प्रिंटिंग कारोबारियों के व्यवसाय पर सर्वाधिक असर पड़ा है. इस बीच स्कूल-कॉलेजों के बंद होने से भी प्रिंटिंग का कारोबार बहुत हद तक प्रभावित हुआ है. प्रिंटिंग कारोबार में स्कूल- कॉलेजों की हिस्सेदारी 25 से 30 फीसदी है.

फिलहाल मार्केट में प्रिंटिंग और छपाई की डिमांड बिल्कुल नहीं है और लोग किताबों की खरीददारी भी कम कर रहे हैं. पढ़ने के शौकीन भी अब ऑनलाइन ही पढ़ाई कर रहे हैं. साथ ही शैक्षणिक गतिविधियां भी अब ऑनलाइन हो रही है. बहरहाल इस इंडस्ट्री के लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने की जरुरत है. जिससे इस कारोबार से जुड़े व्यापारियों को संकट काल में राहत मिल सके.

बिलासपुर: कोरोना महामारी से देश की अर्थव्यवस्था बेपटरी हो गई है. इस संकट का असर सभी कारोबार पर देखने को मिला है. छपाई का कारोबार पहले से ही बढ़ते डिजिटल चलन के कारण डगमगाया हुआ था और अब कोरोना संकट की वजह से यह कारोबार बुरी तरह से चरमरा गया है. शादियों का सीजन निकल गया, स्कूल-कॉलेज भी बंद पड़े हैं और अब धार्मिक आयोजन भी नहीं हो रहे, इन सभी चीजों ने प्रिंटिंग कारोबारियों की कमर तोड़ दी है.

कोरोना संकट से प्रिंटिंग और पब्लिशिंग इंडस्ट्री तबाह

बिलासपुर शहर के दर्जनों प्रिंटिंग कारोबारियों के कारोबार का जायजा लेने जब ETV-भारत की टीम पहुंची तो इन कारोबारियों का हाल खास्ता दिखा. कारोबार लगभग चौपट होने से चिंता की लकीरें साफ-साफ कारोबारियों के माथे पर दिख रही थी. इन कारोबारियों का कहना है कि बाजार में डिमांड लगभग समाप्त है,लिहाजा उनका कारोबार चौपट हो गया है.

कारोबारियों ने बताया कि यह समय त्यौहारों का था और लोग बड़े ही शौक से इन दिनों कार्ड वगैरह छपवाते थे, लेकिन इस साल कोरोना के भय और जरुरी बंदिशों के कारण बाजार में डिमांड शून्य हो गया है.जिसका खामियाजा वो भुगत रहे हैं. स्थिति ऐसी है कि बड़े कारोबारियों ने या तो अपने कर्मचारियों को मजबूरन बाहर का रास्ता दिखा दिया है या फिर गंभीर आर्थिक संकट के बीच वो जैसे-तैसे अपने कर्मचारियों का पेट पाल रहे हैं.

बढ़ते डिजिटलाइजेशन ने धंधा किया मंदा

दूसरी ओर छपाई का कारोबार बढ़ते डिजिटलाइजेशन के कारण भी मंदा हुआ है. कारोबारी बताते हैं कि लोग अब डिजिटल कार्ड और डिजिटल इन्विटेशन कार्ड को ज्यादा तवज्जो देने लगे हैं. विभिन्न ऐप से कागजों पर रिकॉर्ड मेंटेन करने का चलन भी बड़ी तेजी से घट चुका है. डिजिटल उपयोग का बढ़ता चलन आकर्षक, आसान और सस्ता भी है. इस तरह नए दौर में छपाई का कारोबार चारों तरफ से कमजोर हो रहा है. कारोबारियों ने शासन-प्रशासन से इन विषम परिस्थितियों में ETV-भारत के माध्यम से मदद की गुहार लगाई है.

पढ़ें- Special: छत्तीसगढ़ में मंदी और कोरोना को मात देता ऑटोमोबाइल सेक्टर, अनलॉक-1 में 2 प्रतिशत का ग्रोथ

प्रिंटिंग व्यवसाय के शहर में 150 से अधिक कारोबारी

बिलासपुर की बात करें तो यहां शहरी क्षेत्र में 150 से अधिक छोटे-बड़े प्रिंटिंग से जुड़े कारोबारी हैं. जिनके पास हजारों वर्कर काम करते हैं. इन कामगारों की रोजी-रोटी पर अब संकट मंडराने लगा है. इस कोरोना काल में इनका कारोबार 85 से 90 फीसदी प्रभावित हुआ है और अब तक करोड़ों का कारोबार इसकी भेंट चढ़ चुका है. ये कारोबारी अब अपने मुख्य कारोबार से हटकर आय के अन्य साधन तलाशने में जुट गए हैं.

स्कूल-कॉलेज के बंद होने से भी प्रभावित हुआ व्यापार

शादियों के सीजन में सबसे ज्यादा कार्ड्स की प्रिंटिंग होती है लेकिन कोरोना ने शादियों के सीजन पर भी ग्रहण लगाया. वहीं अब धार्मिक आयोजन भी इस संकट काल में प्रभावित हुए हैं. इन आयोजनों के प्रभावित होने से प्रिंटिंग कारोबारियों के व्यवसाय पर सर्वाधिक असर पड़ा है. इस बीच स्कूल-कॉलेजों के बंद होने से भी प्रिंटिंग का कारोबार बहुत हद तक प्रभावित हुआ है. प्रिंटिंग कारोबार में स्कूल- कॉलेजों की हिस्सेदारी 25 से 30 फीसदी है.

फिलहाल मार्केट में प्रिंटिंग और छपाई की डिमांड बिल्कुल नहीं है और लोग किताबों की खरीददारी भी कम कर रहे हैं. पढ़ने के शौकीन भी अब ऑनलाइन ही पढ़ाई कर रहे हैं. साथ ही शैक्षणिक गतिविधियां भी अब ऑनलाइन हो रही है. बहरहाल इस इंडस्ट्री के लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने की जरुरत है. जिससे इस कारोबार से जुड़े व्यापारियों को संकट काल में राहत मिल सके.

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