बिलासपुर: 2020 अब खत्म होनेवाला है. यह साल करीब-करीब कोरोना के आगे नतमस्तक दिखा. जीवन के हर पहलू पर कोरोना की मार दिखी. राजनीति भी इससे अछूती नहीं रही, लेकिन इस साल के खत्म होते ही भूपेश सरकार के दो साल भी पूरे हो गए और अब प्रदेश में छिड़ चुका है सियासी संग्राम. विपक्ष भी कुछ हद तक रिचार्ज नजर आ रहा है, तो वहीं सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी भी फ्रंटफुट पर नजर आ रही है.
प्रभारी के दौरे से रिचार्ज हुई बीजेपी
हाल ही में जब बीजेपी की प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी का छत्तीसगढ़ दौरा हुआ, तो प्रदेशभर में बीजेपी कुछ हद तक रिचार्ज होती दिखी. विधानसभा चुनाव में मुट्ठीभर सीटों पर सिमटे मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के लिए यह एक खास अवसर था कि वो अपने तेजतर्रार अनुभवी नई प्रदेश प्रभारी से कुछ गूढ़ ज्ञान ले. ऐसा हुआ भी, प्रदेश प्रभारी से मिले टिप्स के बाद मुख्य विपक्षी दल में ऊर्जा का एक नया संचार भी हुआ.
सियासत के गहरे मायने
इस साल बीजेपी के तमाम नेता और कार्यकर्ता उत्साह से लबरेज दिखे. साल के आखिरी दिनों में हुए इस सियासी हलचल के बड़े गहरे मायने हैं. विपक्ष का कहना है कि अब तक वो भूपेश सरकार के कामों को बारीकी से गौर कर रहे थे, लेकिन अब लड़ाई आमने-सामने की होगी. आधारभूत संरचनाओं के विकास में कमी, किसानों-युवाओं की समस्या, प्रशासनिक भ्रष्टाचार, बेरोजगारी भत्ता, पूर्ण शराबबंदी और नियमितीकरण जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अब सीधी लड़ाई होगी. विपक्ष की मानें तो प्रदेश सरकार अब तक अपने ही तय किए गए एजेंडे में पिछड़ रही है, इसलिए आनेवाले दिनों में आम लोगों के बीच सरकार की नाकामियों को उजागर किया जाएगा, साथ ही भूपेश सरकार की नाकामियों को बेनकाब किया जाएगा.
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मुद्दाविहीन हुआ विपक्ष: कांग्रेस
सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी भी विपक्ष के तमाम आरोपों को सिरे से खारिज करने में जुटी हुई नजर आ रही है. यही वजह है कि सरकार के दो साल पूरा होते ही राज्य सरकार पूरे तामझाम के साथ अपने किए हुए कामों को गिना रही है. वहीं कांग्रेस पार्टी विपक्ष को मुद्दाविहीन बता रही है.
नहीं हुआ प्रदेश का विकास: बीजेपी
कोरोना काल में विकासकार्यों में कमी जहां विपक्ष के लिए एक हथियार बन चुका है, तो वहीं कोरोना काल की दुहाई देकर सत्ताधारी कांग्रेस भी आम लोगों से सहानुभूति बटोरने में लगी है. दो प्रमुख दलों के इस सियासी संघर्ष के कई अलग-अलग पेंच हैं. बीजेपी जहां कोरोना पीरियड में प्रदेश के विकासकार्यों के अवरुद्ध होने की बात कह रही है, तो वहीं प्रदेश की रूलिंग पार्टी कांग्रेस इस बीच केंद्र से मिले असहयोग को एक बड़ा मुद्दा मान रही है. इसमें कहीं कोई शक नहीं कि पूरे देश में कांग्रेस पार्टी अगर आज सबसे अच्छी हालात में कहीं है, तो वो है छत्तीसगढ़. लगातार उपचुनावों में मिली जीत से भी कांग्रेस पार्टी के हौसले बुलंद हैं. यही वजह है कि महज कुछ सीटों पर सिमटी बीजेपी अभी से अपने संगठन को मजबूत करने में जुट गई है
बैठे-बिठाए मिला मुद्दा
सत्ताधारी कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं के बीच की खींचातानी से भी विपक्ष को बैठे-बिठाए एक मौका मिल गया है. बहरहाल प्रदेश की जनता की तो बस यही चाहती है कि दो दलों के इस दलदल में सूबे के विकास का पहिया बिल्कुल न थमे. राज्य सरकार अपने किए वादों को पूरा करे.