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SPECIAL: कब मिलेगा बिलासपुर की जनता को 'अमृत' योजना का लाभ ?

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Published : Oct 20, 2020, 10:26 PM IST

Updated : Oct 20, 2020, 11:35 PM IST

2008 में शुरू हुई सीवरेज प्रोजेक्ट और अमृत मिशन योजना का बिलासपुर में बंटाधार हो गया है. 10 साल से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद बिलासपुर की जनता को सीवरेज प्रोजेक्ट और अमृत मिशन का लाभ नहीं मिल सका है. देखिये सरकार की अमृत मिशन योजना की जमीनी हकीकत पर विशेष रिपोर्ट.

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ETV भारत की योजनाओं पर खास रिपोर्ट

बिलासपुर: कोरोना काल में आम लोगों की जिंदगी काफी प्रभावित हुई है. साथ ही आम लोगों के हितों से जुडे़ महत्वपूर्ण योजनाओं का बंटाधार भी हुआ है. बिलासपुर के दो महत्वपूर्ण योजनाओं सीवरेज और अमृत मिशन प्रोजेक्ट सालों से निर्माणाधीन है. बेहद धीमी गति से चल रहे प्रोजेक्ट जस के तस पड़े हुए हैं. जिसका सीधा खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है.

ETV भारत की योजनाओं पर खास रिपोर्ट

बिलासपुर नगर निगम के दो बड़े प्रोजेक्ट सीवरेज और अमृत मिशन सियासी दलों के लिए शुरुआत से ही सियासत का मुद्दा रहा है. पूर्व की रमन सरकार के दौरान जब निगम में भी BJP का कब्जा था, तब अंडर ग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम के लिए सीवरेज प्रोजेक्ट शुरू की गई थी. इसकी बदहाली और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विपक्ष में बैठी कांग्रेस सरकार ने जमकर हंगामा किया था. सीवरेज प्रोजेक्ट को लेकर बिलासपुर के पूर्व विधायक और रमन सरकार कैबिनेट के मंत्री रहे अमर अग्रवाल की खूब किरकिरी भी हुई थी.

पढ़ें: राजभवन-सरकार में टकराव! : राज्यपाल के फाइल लौटाने पर बोले सीएम, 'सत्र बुलाने से नहीं रोक सकतीं राज्यपाल'

पानी निकासी एक गंभीर समस्या

हालिया सूरत में राज्य और बिलासपुर नगर निगम में सरकार बदल गई है, लेकिन अब भी बिलासपुर की जनता को सीवरेज प्रोजेक्ट अब तक पूर्ण रूप से नहीं मिल सका है. इस प्रोजेक्ट को लेकर बीते सत्र में स्थानीय विधायक शैलेष पांडेय ने मुद्दा भी उछाला था, लेकिन हजारों करोड़ के इस निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में अब तक कोई नया रोडमैप बनकर तैयार नहीं हो सका है. जिस कारण से शहर में पानी निकासी एक गंभीर समस्या बनी हुई है.

प्रोजेक्ट से जुड़ी जरूरी जानकारी

  • 2008 में सीवरेज प्रोजेक्ट को लाया गया था. तब उसकी लागत 310 करोड़ थी. बाद में काम में देरी के कारण 422.94 करोड़ के प्रोजेक्ट के रूप में इसे रिवाइज किया गया. अब तक शहर में महज 2000 से कुछ अधिक घरों में कनेक्शन के काम पूरे हुए हैं. शहर में अभी भी कई क्षेत्रों में पाइप लाइन बिछाने और पंपिंग स्टेशन जैसे महत्वपूर्ण कार्य होने बाकी है.
  • पिछले विधानसभा के मानसून सत्र में स्थानीय विधायक ने सदन में कहा था कि यह प्रोजेक्ट 295 करोड़ की कुल लागत के बाद इसके लागत में कुल 6 बार वृद्धि की गई है. यह 423 करोड़ के लगभग हो चुकी है. इस प्रोजेक्ट में ठेकेदारों ने मनमाने ढंग से काम किए हैं. जमकर आर्थिक अनियमितता भी बरती गई है. अब इस कार्य योजना को पूरा करने की अवधि अगले साल दिसंबर तक रखी गई है.
  • इसी तरह बिलासपुर में अमृत मिशन योजना को खूंटाघाट जलाशय से शहर में पानी पहुंचाने की योजना के रूप में रखा गया है. इस योजना के तहत 301 करोड़ खर्च किये जायेंगे, लेकिन निर्माणाधीन इस योजना की शिकायतें भी भरपूर हैं. शहर में जगह जगह खुदाई और गुणवत्ताहीन कार्यों की जमकर आलोचना हो रही है. इस योजना को पेयजल संकट खत्म करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

पढ़ें: अतिक्रमण के खिलाफ वन विभाग सख्त, हटाए गए 150 जुग्गी-झोपड़ी

अमृत मिशन योजना का हाल बेहाल

पिछली सरकार के दौरान ही शुरू कि गई अमृत मिशन योजना का हाल भी बेहाल है. घर-घर पेयजल पहुंचाने का वादा अब तक पूरा नहीं हुआ है. लेकिन शहर के अधिकांश हिस्सों में योजना के नाम पर खुदाई जरूर कर दी गई है. दो बड़ी योजनाओं का हाल यह है कि 10 साल से भी ज्यादा वक्त हो गया है, लेकिन निर्माणा कार्य पूरा नहीं किया जा सका है. अमृत मिशन योजना के माध्यम से लोगों को अब तक पेयजल की आपूर्ति संभव नहीं हो सकी है.

पढ़ें: कोरिया: बोनस और डीए नहीं बढ़ने से परेशान रेलवे कर्मचारी, बाइक रैली निकालकर किया प्रदर्शन

सरकार बदली आरोप बदले

पूर्व की बीजेपी सरकार में मंत्री रहे अमर अग्रवाल पर तात्कालीन कांग्रेस नेता सिवरेज प्रोजेक्ट के तहत शहर में होने वाली खुदाई को लेकर कई आरोप लगाते थे. इस दौरान कई बार भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए गए. इसके साथ ही बिना योजना के कार्य करने के आरोप भी लगाए गए थे. लेकिन अब सरकार बदल गई है. पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. उन्होंने अमृत मिशन योजना को लेकर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि विधानसभा में सिवरेज का मुद्दा उठाने वाले नेता अमृत मिशन पर चुप क्यों हैं. अमृत मिशन के कारण शहर में बेतरतीब खुदाई की जा रही है. जिसके कारण शहर में जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं.

पढ़ें: बिलासपुर: संत कुमार नेताम ने हाईकोर्ट में फाइल की दो कैविएट याचिका

सिवरेज का बंटाधार

निगम सभापति शेख नजीरुद्दीन का कहना है कि सीवरेज प्रोजेक्ट की शुरुआत ही भ्रष्टाचार से हुई है. सभापति ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने दोबारा इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का प्रयास तो कर रही है. करोडों रुपये खर्च भी किए गए हैं. लेकिन पुराने गुणवत्ताहीन कामों के कारण इस प्रोजेक्ट के अभी भी सफल होने की उम्मीद नहीं झलक रही है. उन्होंने कहा कि 423 करोड़ की लागत वाले प्रोजेक्ट पर 365 करोड़ खर्च करने के बावजूद कोई आसार नजर नहीं आ रहा है.

पढ़ें: बड़ा फैसला: छत्तीसगढ़ में धान और गन्ने से बनाया जाएगा एथेनॉल, 54 रुपए लीटर में खरीदेगी केंद्र सरकार

महापौर ने साधी चुप्पी

बिलासपुर नगर निगम महापौर रामशरण यादव से जब हमने सीवरेज प्रोजेक्ट के बारे में सवाल किया तो वो झल्ला गए. उन्होंने इस मुद्दे पर बात करने से इंकार कर दिया. करोड़ों की लागत के बाद नेता अमृत मिशन और सीवरेज जैसे मुद्दों पर बात तक नहीं करना चाहते हैं. इन दोनों योजनाओं को लेकर महापौर रामशरण ने कैमरे पर कुछ भी कहने से इंकार किया है.

योजना की शुरूआत से लेकर अब तक बिलासपुर की जनता दंश झेल रही है. धूल, गली मोहल्लों में गड्ढे और हादसों ने लोगों की उम्मीद तोड़ दी है. सालों से पूरे नहीं हो सके प्रोजेक्ट को लेकर लोगों में आक्रोश के साथ हताशा भी है. अब देखना होगा कि आखिर कब तक अमृत मिशन और सिवरेज का लाभ लोगों को मिल पाता है.

बिलासपुर: कोरोना काल में आम लोगों की जिंदगी काफी प्रभावित हुई है. साथ ही आम लोगों के हितों से जुडे़ महत्वपूर्ण योजनाओं का बंटाधार भी हुआ है. बिलासपुर के दो महत्वपूर्ण योजनाओं सीवरेज और अमृत मिशन प्रोजेक्ट सालों से निर्माणाधीन है. बेहद धीमी गति से चल रहे प्रोजेक्ट जस के तस पड़े हुए हैं. जिसका सीधा खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है.

ETV भारत की योजनाओं पर खास रिपोर्ट

बिलासपुर नगर निगम के दो बड़े प्रोजेक्ट सीवरेज और अमृत मिशन सियासी दलों के लिए शुरुआत से ही सियासत का मुद्दा रहा है. पूर्व की रमन सरकार के दौरान जब निगम में भी BJP का कब्जा था, तब अंडर ग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम के लिए सीवरेज प्रोजेक्ट शुरू की गई थी. इसकी बदहाली और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विपक्ष में बैठी कांग्रेस सरकार ने जमकर हंगामा किया था. सीवरेज प्रोजेक्ट को लेकर बिलासपुर के पूर्व विधायक और रमन सरकार कैबिनेट के मंत्री रहे अमर अग्रवाल की खूब किरकिरी भी हुई थी.

पढ़ें: राजभवन-सरकार में टकराव! : राज्यपाल के फाइल लौटाने पर बोले सीएम, 'सत्र बुलाने से नहीं रोक सकतीं राज्यपाल'

पानी निकासी एक गंभीर समस्या

हालिया सूरत में राज्य और बिलासपुर नगर निगम में सरकार बदल गई है, लेकिन अब भी बिलासपुर की जनता को सीवरेज प्रोजेक्ट अब तक पूर्ण रूप से नहीं मिल सका है. इस प्रोजेक्ट को लेकर बीते सत्र में स्थानीय विधायक शैलेष पांडेय ने मुद्दा भी उछाला था, लेकिन हजारों करोड़ के इस निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में अब तक कोई नया रोडमैप बनकर तैयार नहीं हो सका है. जिस कारण से शहर में पानी निकासी एक गंभीर समस्या बनी हुई है.

प्रोजेक्ट से जुड़ी जरूरी जानकारी

  • 2008 में सीवरेज प्रोजेक्ट को लाया गया था. तब उसकी लागत 310 करोड़ थी. बाद में काम में देरी के कारण 422.94 करोड़ के प्रोजेक्ट के रूप में इसे रिवाइज किया गया. अब तक शहर में महज 2000 से कुछ अधिक घरों में कनेक्शन के काम पूरे हुए हैं. शहर में अभी भी कई क्षेत्रों में पाइप लाइन बिछाने और पंपिंग स्टेशन जैसे महत्वपूर्ण कार्य होने बाकी है.
  • पिछले विधानसभा के मानसून सत्र में स्थानीय विधायक ने सदन में कहा था कि यह प्रोजेक्ट 295 करोड़ की कुल लागत के बाद इसके लागत में कुल 6 बार वृद्धि की गई है. यह 423 करोड़ के लगभग हो चुकी है. इस प्रोजेक्ट में ठेकेदारों ने मनमाने ढंग से काम किए हैं. जमकर आर्थिक अनियमितता भी बरती गई है. अब इस कार्य योजना को पूरा करने की अवधि अगले साल दिसंबर तक रखी गई है.
  • इसी तरह बिलासपुर में अमृत मिशन योजना को खूंटाघाट जलाशय से शहर में पानी पहुंचाने की योजना के रूप में रखा गया है. इस योजना के तहत 301 करोड़ खर्च किये जायेंगे, लेकिन निर्माणाधीन इस योजना की शिकायतें भी भरपूर हैं. शहर में जगह जगह खुदाई और गुणवत्ताहीन कार्यों की जमकर आलोचना हो रही है. इस योजना को पेयजल संकट खत्म करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

पढ़ें: अतिक्रमण के खिलाफ वन विभाग सख्त, हटाए गए 150 जुग्गी-झोपड़ी

अमृत मिशन योजना का हाल बेहाल

पिछली सरकार के दौरान ही शुरू कि गई अमृत मिशन योजना का हाल भी बेहाल है. घर-घर पेयजल पहुंचाने का वादा अब तक पूरा नहीं हुआ है. लेकिन शहर के अधिकांश हिस्सों में योजना के नाम पर खुदाई जरूर कर दी गई है. दो बड़ी योजनाओं का हाल यह है कि 10 साल से भी ज्यादा वक्त हो गया है, लेकिन निर्माणा कार्य पूरा नहीं किया जा सका है. अमृत मिशन योजना के माध्यम से लोगों को अब तक पेयजल की आपूर्ति संभव नहीं हो सकी है.

पढ़ें: कोरिया: बोनस और डीए नहीं बढ़ने से परेशान रेलवे कर्मचारी, बाइक रैली निकालकर किया प्रदर्शन

सरकार बदली आरोप बदले

पूर्व की बीजेपी सरकार में मंत्री रहे अमर अग्रवाल पर तात्कालीन कांग्रेस नेता सिवरेज प्रोजेक्ट के तहत शहर में होने वाली खुदाई को लेकर कई आरोप लगाते थे. इस दौरान कई बार भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए गए. इसके साथ ही बिना योजना के कार्य करने के आरोप भी लगाए गए थे. लेकिन अब सरकार बदल गई है. पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. उन्होंने अमृत मिशन योजना को लेकर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि विधानसभा में सिवरेज का मुद्दा उठाने वाले नेता अमृत मिशन पर चुप क्यों हैं. अमृत मिशन के कारण शहर में बेतरतीब खुदाई की जा रही है. जिसके कारण शहर में जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं.

पढ़ें: बिलासपुर: संत कुमार नेताम ने हाईकोर्ट में फाइल की दो कैविएट याचिका

सिवरेज का बंटाधार

निगम सभापति शेख नजीरुद्दीन का कहना है कि सीवरेज प्रोजेक्ट की शुरुआत ही भ्रष्टाचार से हुई है. सभापति ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने दोबारा इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का प्रयास तो कर रही है. करोडों रुपये खर्च भी किए गए हैं. लेकिन पुराने गुणवत्ताहीन कामों के कारण इस प्रोजेक्ट के अभी भी सफल होने की उम्मीद नहीं झलक रही है. उन्होंने कहा कि 423 करोड़ की लागत वाले प्रोजेक्ट पर 365 करोड़ खर्च करने के बावजूद कोई आसार नजर नहीं आ रहा है.

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महापौर ने साधी चुप्पी

बिलासपुर नगर निगम महापौर रामशरण यादव से जब हमने सीवरेज प्रोजेक्ट के बारे में सवाल किया तो वो झल्ला गए. उन्होंने इस मुद्दे पर बात करने से इंकार कर दिया. करोड़ों की लागत के बाद नेता अमृत मिशन और सीवरेज जैसे मुद्दों पर बात तक नहीं करना चाहते हैं. इन दोनों योजनाओं को लेकर महापौर रामशरण ने कैमरे पर कुछ भी कहने से इंकार किया है.

योजना की शुरूआत से लेकर अब तक बिलासपुर की जनता दंश झेल रही है. धूल, गली मोहल्लों में गड्ढे और हादसों ने लोगों की उम्मीद तोड़ दी है. सालों से पूरे नहीं हो सके प्रोजेक्ट को लेकर लोगों में आक्रोश के साथ हताशा भी है. अब देखना होगा कि आखिर कब तक अमृत मिशन और सिवरेज का लाभ लोगों को मिल पाता है.

Last Updated : Oct 20, 2020, 11:35 PM IST
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