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जोगी जाति मामला: याचिकाकर्ता संत कुमार नेताम से ETV भारत की सीधी बात

मरवाही उपचुनाव के बीच अब जोगी परिवार की जाति का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार अजीत जोगी की बहू ऋचा जोगी, जाति मामले को लेकर मुश्किलों में हैं. उनकी जाति प्रमाण पत्र को लेकर विवाद शुरू हो गया है.

Jogi caste case petitioner Santkumar Netam
संतकुमार नेताम से सीधी बात
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Published : Oct 7, 2020, 9:57 PM IST

Updated : Oct 8, 2020, 1:33 AM IST

बिलासपुर: जोगी जाति मामले में याचिकाकर्ता संतकुमार नेताम ने एकबार फिर जोगी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. नेताम ने पूर्व विधायक अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी के अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र के वैधता को जिला स्तरीय जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति के समक्ष चुनौती दी है. जिससे एकबार फिर से सियासी उबाल देखने को मिल रहा है. जोगी का जाति प्रकरण दोबारा सुर्खियों में आ चुका है. ETV भारत ने जोगी के जाति प्रकरण को याचिकाकर्ता संतकुमार नेताम की जुबानी सिलसिलेवार ढंग से समझने की कोशिश की है.

जोगी जाति मामले में संतकुमार नेताम से खास बातचीत

संतकुमार नेताम ने बताया कि आदिवासी समाज को पहले से ही जोगी के जाति प्रमाण पत्र पर संदेह था. जब अजीत जोगी मरवाही सीट से चुनाव जीते, तो उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद हमने सबसे पहले 21 जनवरी 2001 को मुख्य चुनाव आयुक्त और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के सामने जोगी की जाति प्रमाणपत्र की वैधता के खिलाफ शिकायत पत्र दिया.

अजीत जोगी पर चला 420 का मुकदमा

जाति मामले को लेकर लंबी सुनवाई चली और अजीत जोगी से आयोग ने कई बार जवाब-तलब किया. फिर 16 अक्टूबर 2001 को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग ने जोगी के खिलाफ फैसला सुनाया. साथ ही प्रमाणपत्र को फर्जी करार देते हुए जोगी के खिलाफ 420 का मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की भी बात कही. आयोग के फैसले के खिलाफ अजीत जोगी 22 अक्टूबर 2001 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट पहुंचे. उन्होंने आयोग के फैसले के खिलाफ अपील की.

पढ़ें: ऋचा जोगी जाति मामला: 'जज और जल्लाद दोनों की भूमिका निभा रही भूपेश सरकार'

आयोग के फैसले को चुनौती

एक बार फिर मामले में लंबी सुनवाई चली और 15 दिसंबर 2006 को जोगी के हक में फैसला आया. हाईकोर्ट के फैसले में कहा गया कि आयोग को जाति निर्धारण का अधिकार नहीं है. इस तरह शिकायतकर्ता के खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई भी की गई. फिर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शिकायतकर्ता संतकुमार नेताम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट से उन्हें बड़ी राहत मिली और जुर्माने के फैसले को निरस्त कर दिया गया.

हाई पावर कमेटी ने जाति प्रमाणपत्र को निरस्त करने योग्य माना

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हाई पावर कमेटी का गठन किया गया. कमेटी से जोगी को एकबार फिर झटका मिला. कमेटी ने जोगी के जाति प्रमाणपत्र को संदिग्ध मानते हुए इसे निरस्त करने योग्य माना. मामला चलता गया और एक बार फिर जोगी इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गए. उन्होंने सितंबर 2018 में हाईकोर्ट में फिर से अपील की. संतकुमार नेताम ने बताया कि 2013 में जब अमित जोगी मरवाही से चुनाव जीते तो उनके खिलाफ तत्कालीन बीजेपी प्रत्याशी समीरा पैकरा हाईकोर्ट पहुंची थी.

पढ़ें: ऋचा जोगी की जाति का मामला: राज्यपाल से कांग्रेस विधायक शिशुपाल सोरी ने की शिकायत

अमित जोगी पर भी लागू होता है मामला: संतकुमार

समीरा पैकरा के हाईकोर्ट पहुंचने के बाद दोबारा हाई पावर कमेटी का गठन हुआ. कमेटी ने 27 जून 2017 के रिपोर्ट में प्रमाणपत्र को फर्जी करार दे दिया. साथ ही आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की बात कही. संतकुमार नेताम ने कहा कि अब यह मामला अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी पर भी लागू होता है. क्योंकि अमित जोगी ने भी फर्जी स्थाई जाति प्रमाण पत्र बनाकर रखा है. इसलिए इस बात की शिकायत 19 जून 2020 को गौरेला-पेंड्रा-मरवाही कलेक्टर से भी की गई है.

अमित जोगी की उम्मीदवारी के लिए भी तैयारी पूरी: संतकुमार

संतकुमार नेताम ने कहा कि उन्होंने आगामी मरवाही उपचुनाव में अमित जोगी की उम्मीदवारी के मद्देनजर अपनी तैयारी कर ली है. संभावना है कि अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी को मरवाही सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है. लिहाजा मुंगेली एसडीएम को भी इस मामले की शिकायत की गई है. संतकुमार नेताम ने अपनी लड़ाई आगे भी जारी रखने की बात कही है. मुंगेली कलेक्टर के सामने की गई शिकायत के बाद जिला स्तरीय सत्यापन समिति ने 8 सितंबर तक ऋचा जोगी से जवाब मांगा है.

बिलासपुर: जोगी जाति मामले में याचिकाकर्ता संतकुमार नेताम ने एकबार फिर जोगी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. नेताम ने पूर्व विधायक अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी के अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र के वैधता को जिला स्तरीय जाति प्रमाणपत्र सत्यापन समिति के समक्ष चुनौती दी है. जिससे एकबार फिर से सियासी उबाल देखने को मिल रहा है. जोगी का जाति प्रकरण दोबारा सुर्खियों में आ चुका है. ETV भारत ने जोगी के जाति प्रकरण को याचिकाकर्ता संतकुमार नेताम की जुबानी सिलसिलेवार ढंग से समझने की कोशिश की है.

जोगी जाति मामले में संतकुमार नेताम से खास बातचीत

संतकुमार नेताम ने बताया कि आदिवासी समाज को पहले से ही जोगी के जाति प्रमाण पत्र पर संदेह था. जब अजीत जोगी मरवाही सीट से चुनाव जीते, तो उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद हमने सबसे पहले 21 जनवरी 2001 को मुख्य चुनाव आयुक्त और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के सामने जोगी की जाति प्रमाणपत्र की वैधता के खिलाफ शिकायत पत्र दिया.

अजीत जोगी पर चला 420 का मुकदमा

जाति मामले को लेकर लंबी सुनवाई चली और अजीत जोगी से आयोग ने कई बार जवाब-तलब किया. फिर 16 अक्टूबर 2001 को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग ने जोगी के खिलाफ फैसला सुनाया. साथ ही प्रमाणपत्र को फर्जी करार देते हुए जोगी के खिलाफ 420 का मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की भी बात कही. आयोग के फैसले के खिलाफ अजीत जोगी 22 अक्टूबर 2001 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट पहुंचे. उन्होंने आयोग के फैसले के खिलाफ अपील की.

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आयोग के फैसले को चुनौती

एक बार फिर मामले में लंबी सुनवाई चली और 15 दिसंबर 2006 को जोगी के हक में फैसला आया. हाईकोर्ट के फैसले में कहा गया कि आयोग को जाति निर्धारण का अधिकार नहीं है. इस तरह शिकायतकर्ता के खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई भी की गई. फिर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शिकायतकर्ता संतकुमार नेताम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट से उन्हें बड़ी राहत मिली और जुर्माने के फैसले को निरस्त कर दिया गया.

हाई पावर कमेटी ने जाति प्रमाणपत्र को निरस्त करने योग्य माना

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हाई पावर कमेटी का गठन किया गया. कमेटी से जोगी को एकबार फिर झटका मिला. कमेटी ने जोगी के जाति प्रमाणपत्र को संदिग्ध मानते हुए इसे निरस्त करने योग्य माना. मामला चलता गया और एक बार फिर जोगी इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गए. उन्होंने सितंबर 2018 में हाईकोर्ट में फिर से अपील की. संतकुमार नेताम ने बताया कि 2013 में जब अमित जोगी मरवाही से चुनाव जीते तो उनके खिलाफ तत्कालीन बीजेपी प्रत्याशी समीरा पैकरा हाईकोर्ट पहुंची थी.

पढ़ें: ऋचा जोगी की जाति का मामला: राज्यपाल से कांग्रेस विधायक शिशुपाल सोरी ने की शिकायत

अमित जोगी पर भी लागू होता है मामला: संतकुमार

समीरा पैकरा के हाईकोर्ट पहुंचने के बाद दोबारा हाई पावर कमेटी का गठन हुआ. कमेटी ने 27 जून 2017 के रिपोर्ट में प्रमाणपत्र को फर्जी करार दे दिया. साथ ही आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की बात कही. संतकुमार नेताम ने कहा कि अब यह मामला अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी पर भी लागू होता है. क्योंकि अमित जोगी ने भी फर्जी स्थाई जाति प्रमाण पत्र बनाकर रखा है. इसलिए इस बात की शिकायत 19 जून 2020 को गौरेला-पेंड्रा-मरवाही कलेक्टर से भी की गई है.

अमित जोगी की उम्मीदवारी के लिए भी तैयारी पूरी: संतकुमार

संतकुमार नेताम ने कहा कि उन्होंने आगामी मरवाही उपचुनाव में अमित जोगी की उम्मीदवारी के मद्देनजर अपनी तैयारी कर ली है. संभावना है कि अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी को मरवाही सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है. लिहाजा मुंगेली एसडीएम को भी इस मामले की शिकायत की गई है. संतकुमार नेताम ने अपनी लड़ाई आगे भी जारी रखने की बात कही है. मुंगेली कलेक्टर के सामने की गई शिकायत के बाद जिला स्तरीय सत्यापन समिति ने 8 सितंबर तक ऋचा जोगी से जवाब मांगा है.

Last Updated : Oct 8, 2020, 1:33 AM IST
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