बिलासपुर: हाईकोर्ट में आज बहुचर्चित झीरम हत्याकांड (famous jhiram murder case) मामले में NIA की तरफ से बहस पूरी हो गई है. बहस के दौरान दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए NIA के वकील विक्रमजीत बैनर्जी ने हाईकोर्ट के सामने कहा कि हम राजनीतिक षडयंत्र के तहत भी केस की जांच करने को तैयार हैं. ऐसे में राज्य सरकार को मामला हैंडओवर करने की कोई जरूरत दिखाई नहीं पड़ती. गुरुवार को अब मामले में राज्य सरकार और जितेंद्र मुदलियार के वकील अपना पक्ष अदालत के सामने रखेंगे.
NIA पर ठीक से जांच नहीं करने का आरोप लगाकर झीरम कांड में दिवंगत कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने जून 2020 में दरभा थाने में FIR दर्ज कराई थी. उनकी रिपोर्ट पर पुलिस ने धारा 302 और 120 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया था. जितेंद्र ने अपने FIR में कहा है कि NIA ने इस घटना में राजनीतिक षड्यंत्र की जांच ही नहीं की है. उन्होंने झीरम मामले की जांच राज्य सरकार के अधीन जांच एजेंसी को सौंपने की मांग उठाई है.
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दरभा थाने में दर्ज इस रिपोर्ट को चुनौती देते हुए NIA ने विशेष अदालत में याचिका दायर की थी. जिसे खारिज कर दिया गया था. जिसके बाद इस फैसले के खिलाफ NIA ने हाईकोर्ट में आपराधिक अपील प्रस्तुत की है. इसमें कहा गया है कि NIA केंद्रीय स्तर की जांच एजेंसी है. जिसकी जांच हो चुकी है. ऐसे में राज्य शासन को अधिकार नहीं है कि वो फिर से उसी प्रकरण में अपराध दर्ज कराये.
वहीं इस FIR मामले पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने पिछले दिनों पुलिस द्वारा आपराधिक प्रकरण की जांच पर रोक लगा दी है. इधर इस मामले में जितेंद्र मुदलियार ने हाईकोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका भी दायर की है. इसमें बताया गया है कि झीरम हमला सामान्य नक्सली घटना नहीं है बल्कि इसे राजनीतिक षड्यंत्र के तहत अंजाम दिया गया है.
25 मई 2013 को विधानसभा चुनाव से ठीक पहले झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला किया गया था. इस हमले में तत्कालीन PCC चीफ नंदकुमार पटेल उनके बेटे दिनेश पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा सहित 25 से अधिक नेताओं और अन्य लोगों की हत्या की गई थी.