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दशहरा में एक दिन खुलता है बिलासपुर का मंदिर, कुछ घंटों में ही सैकड़ों श्रद्धालु करते हैं दर्शन - temple opens only on Dussehra in Bilaspur

temple opens only on Dussehra in Bilaspur बिलासपुर शहर के जूना बिलासपुर रोड पर स्थित श्रीराम सीता हनुमान मंदिर साल में सिर्फ एक बार ही खुलता है. यह मंदिन दशहरा के दिन ही खुलता है, वो भी कुछ घंटों के लिए. इस मंदिर में भगवान श्रीराम सीता और हनुमान की प्रतिमा स्थापित है. यह मंदिर लगभग 150 वर्ष पुराना है.

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Published : Oct 5, 2022, 7:21 PM IST

बिलासपुर: विजयादशमी का पर्व दशहरा शहर में धूमधाम से मनाया जाता है. 9 दिन देवी की आराधना के बाद इस पर्व को मनाते हैं. इसी दिन बिलासपुर में एक ऐसा मंदिर है जिसमें स्थापित भगवान के दर्शन के लिए लोग पूरे साल इंतजार करते हैं. इस दिन का इंतजार श्रद्धालु इसलिए भी करते हैं क्योंकि यह मंदिर साल में एक ही बार दशहरा के दिन खुलता है. Shri Ram Sita Hanuman temple

temple opens only on Dussehra in Bilaspur
दशहरा में एक दिन खुलता है बिलासपुर का मंदिर

बिलासपुर के हटरी चौक में श्री राम सीता हनुमान मंदिर है. यह मंदिर 150 साल पुराना पुराना है. इस मंदिर को फैजाबाद से आए पंडितजी ने स्थापित किया है. मंदिर को दशहरे के दिन खोलने से पूर्व उसकी बाहरी दीवार में रंग-रोगन, साज सज्जा की जाती है. पूजा-अर्चना के बाद फिर मंदिर एक साल के लिए बंद कर दिया जाता है.

हटरी चौक स्थित मंदिर श्री राम सीता हनुमान मंदिर के नाम से यह प्रसिद्ध है. इस मंदिर में भगवान राम, सीता और हनुमान जी की प्रतिमा है. इनके दर्शन के लिए पूरे साल भक्तों को इंतजार रहता है. मुंबई, दिल्ली,हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश से भक्त आते हैं. दशहरे के दिन मंदिर खुलने के दो से तीन घंटे पहले ही भक्तों की लंबी लाइन लग जाती है.

मंदिर की देख रेख करने वाले तो इस मान्यता को लेकर कोई जानकारी तो नही देते लेकिन इसके दर्शन करने आने वाले भक्त मंदिर से जुड़ी कुछ बाते बताते है।उन्होंने कहा कि वे अपने बड़े बुजुर्गों से जूना है कि इस मंदिर का निर्माण करने वाले फैजाबाद के रहने वाले थे। उनके पूर्वजों ने 150 साल पहले मंदिर की स्थापना की थी। किंवदंती के अनुसार नीम का एक पेड़ था, जो सूखकर अपने आप ही गिर गया। पेड़ के गिरते ही उसकी जड़ों से श्रीराम, माता जानकी और भाई लक्ष्मण की प्रतिमा प्रकट हुई थी। इस अलौकिक घटना के बाद उक्त स्थान पर विधि-विधान से मंदिर की स्थापना की गई। उन्होंने बताया कि मंदिर खुलने और प्रभु की प्रतिमाओं को स्पर्श करने से कई अप्रिय घटनाएं हुई। इसी वजह से इसे बंद रखा जाता है। दशहरे के दिन भगवान खुश रहते हैं, इसके कारण सभी की त्रुटियों को माफ कर देते हैं। इसलिए साल में एक बार दशहरे के दिन शाम 6 से 9 बजे तक मंदिर के पट आम जनता के दर्शनार्थ खोले जाते हैं। इस दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना होती है। भक्त मन्नत मांग कर नारियल बांधते हैं। और पूरी होने पर अगले बरस दशहरे पर फिर मंदिर पहुंच कर उसे फोड़ते हैं।

बिलासपुर: विजयादशमी का पर्व दशहरा शहर में धूमधाम से मनाया जाता है. 9 दिन देवी की आराधना के बाद इस पर्व को मनाते हैं. इसी दिन बिलासपुर में एक ऐसा मंदिर है जिसमें स्थापित भगवान के दर्शन के लिए लोग पूरे साल इंतजार करते हैं. इस दिन का इंतजार श्रद्धालु इसलिए भी करते हैं क्योंकि यह मंदिर साल में एक ही बार दशहरा के दिन खुलता है. Shri Ram Sita Hanuman temple

temple opens only on Dussehra in Bilaspur
दशहरा में एक दिन खुलता है बिलासपुर का मंदिर

बिलासपुर के हटरी चौक में श्री राम सीता हनुमान मंदिर है. यह मंदिर 150 साल पुराना पुराना है. इस मंदिर को फैजाबाद से आए पंडितजी ने स्थापित किया है. मंदिर को दशहरे के दिन खोलने से पूर्व उसकी बाहरी दीवार में रंग-रोगन, साज सज्जा की जाती है. पूजा-अर्चना के बाद फिर मंदिर एक साल के लिए बंद कर दिया जाता है.

हटरी चौक स्थित मंदिर श्री राम सीता हनुमान मंदिर के नाम से यह प्रसिद्ध है. इस मंदिर में भगवान राम, सीता और हनुमान जी की प्रतिमा है. इनके दर्शन के लिए पूरे साल भक्तों को इंतजार रहता है. मुंबई, दिल्ली,हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश से भक्त आते हैं. दशहरे के दिन मंदिर खुलने के दो से तीन घंटे पहले ही भक्तों की लंबी लाइन लग जाती है.

मंदिर की देख रेख करने वाले तो इस मान्यता को लेकर कोई जानकारी तो नही देते लेकिन इसके दर्शन करने आने वाले भक्त मंदिर से जुड़ी कुछ बाते बताते है।उन्होंने कहा कि वे अपने बड़े बुजुर्गों से जूना है कि इस मंदिर का निर्माण करने वाले फैजाबाद के रहने वाले थे। उनके पूर्वजों ने 150 साल पहले मंदिर की स्थापना की थी। किंवदंती के अनुसार नीम का एक पेड़ था, जो सूखकर अपने आप ही गिर गया। पेड़ के गिरते ही उसकी जड़ों से श्रीराम, माता जानकी और भाई लक्ष्मण की प्रतिमा प्रकट हुई थी। इस अलौकिक घटना के बाद उक्त स्थान पर विधि-विधान से मंदिर की स्थापना की गई। उन्होंने बताया कि मंदिर खुलने और प्रभु की प्रतिमाओं को स्पर्श करने से कई अप्रिय घटनाएं हुई। इसी वजह से इसे बंद रखा जाता है। दशहरे के दिन भगवान खुश रहते हैं, इसके कारण सभी की त्रुटियों को माफ कर देते हैं। इसलिए साल में एक बार दशहरे के दिन शाम 6 से 9 बजे तक मंदिर के पट आम जनता के दर्शनार्थ खोले जाते हैं। इस दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना होती है। भक्त मन्नत मांग कर नारियल बांधते हैं। और पूरी होने पर अगले बरस दशहरे पर फिर मंदिर पहुंच कर उसे फोड़ते हैं।

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