बिलासपुर: शारदीय नवरात्र का पर्व चल रहा है. इस मौके पर हम आपको छत्तीसगढ़ के सतबहिनिया देवी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. यहां 7 महुआ के पेड़ों में माता विराजमान हैं. इन्हें सतबहिनिया देवी कहा जाता है. नवरात्र के मौके पर यहां भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है.
सात महुआ के पेड़ों में बसी है माता: दरअसल, बिलासपुर जिले के अरपा नदी के पास अरविंद नगर है. यहां के वार्ड 63 में आदिशक्ति मां सतबहिनिया देवी का मंदिर है. इस मंदिर में देवी के रूप में महुआ का पेड़ स्थित है. इन पेड़ों को सतबहिनिया देवी कहा जाता है. मंदिर का निर्माण भले ही यहां 38 साल पहले किया गया हो, लेकिन जब इस क्षेत्र में जंगल हुआ करता था, तब से लोग इन महुआ के पेड़ों की पूजा करते थे. भक्तों का मानना था कि देवी इन सात महुआ के पेड़ों में है.
क्या कहते हैं मंदिर के पुजारी: ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मंदिर के पुजारी पंडित शंकरलाल पाटनवार ने बताया कि, " सालों पहले यहां जंगल हुआ करता था. उस समय महुआ के सात पेड़ों की पूजा की जाती थी. तब से ही लोगों की आस्था है. कहा जाता है कि देवी के सात रूप इन पेड़ों में विद्यमान हैं. इसलिए इसकी पूजा की जाती है. जिस समय जंगल हुआ करता था, उस समय लोग यहां आकर नवरात्र में देवी की पूजा करते थे और चुनरी अर्पण करते थे. उन्हें इसका लाभ भी मिलता था. तब से उनकी ख्याति प्रचलित होती गई. अब शहरी क्षेत्र बनने के बाद आसपास के लोगों ने 1985 में मंदिर का निर्माण कराया है. इस मंदिर में के निर्माण में नेता से लेकर भिखारी सभी वर्गों के दान किए हुए पैसे लगे हैं.
क्या कहते हैं भक्त: ईटीवी से बातचीत के दौरान एक भक्त ने बताया कि, " देवी के सात रूप इन सातों पेड़ों पर एक साथ वास करती हैं. यही कारण है कि आसपास के भक्त इन पेड़ों को देवियों का रूप मानकर पूजा करते हैं.
बता दें कि बिलासपुर में अरपा नदी के पास अरविंद नगर है. यहां हिंदू धर्म के लोग महुआ के पेड़ों की देवी के रूप में पूजा करते हैं. यहां सात महुआ के पेड़ हैं. इन महुआ के पेड़ों की पूजा सदियों से की जा रही है.सालों से इस मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है.