बिलासपुर: सर्व आदिवासी समाज के आह्वान पर आर्थिक नाकेबंदी करते हुए सभी माल वाहक गाड़ियों को रोककर प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने 14 सूत्रीय मांगें सरकार के सामने रखी. प्रदर्शनकारियों ने जल्द ही मांगें पूरी नहीं होने पर मजबूरन प्रदर्शन करने की बात कही है. इस दौरान सड़क पर दोनों ओर भारी वाहनों की लंबी कतारें लग गई. हालांकि इस दौरान अन्य वाहनों को आने जाने दिया गया और मालवाहक वाहनों को रोके गया.
इस प्रकार है 14 सूत्रीय मांग
1. पदोन्नति में आरक्षण तत्काल लागू किया जाए. नहीं तो पिंगुआ रिपोट आने तक सामान्य जाति के लिए किये गये पदोन्नति को निरस्त कर आगे रोक लगाई जाए.
2. वर्षों से लंबित बैकलाग आरक्षित पदों पर तत्काल भर्ती प्रारंभ किया जाए.
3. स्वामी आत्मानंद विद्यालय में विद्यार्थियों के भर्ती में भी आरक्षण रोस्टर पदपति का अनुपालन किया जाए.
4. तखतपुर क्षेत्र के नरेश कुमार धुवंशी जो धुरी जाति के है, गौड़ जनजाति का प्रमाण पत्र बनवाकर बलौदा बाजार न्यायालय में उप संचालक अभियोजन के पद पर कार्यरत है. उसे तुरंत बर्खास्त किया जाए. उनका जाति प्रमाण पत्र उच्च स्तरीय छानबीन समिति से निरस्त किया जा चुका है.
5. छात्रवृत्ति योजना में आरक्षित वर्ग के पालकों का निर्धारित वार्षिक आय सीमा ढ़ाई लाख रूपये को तत्काल समाप्त किया जाय.
6. आदिवासी समाज की बहन- बेटियों को बहला फुसलाकर उनसे शादी करके उनके नाम पर जमीन खरीदने एवं सरपंच/पार्षद बने लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए और जमीन वापस लिया जाय.
7. छत्तीसगढ़ में 18 जनजातियों को मात्रात्मक त्रुटियों की वजह से जाति प्रमाण जारी नहीं है. उसमें शीघ्र सुधार कर प्रमाण पत्र जारी किया जाए. ताकि शिकायत एवं सुझाव दर्ज किया जा सके.
8. आदिवासी सलाहकार परिषद का अध्यक्ष आदिवासी समाज से ही होना चाहिए.
9. 5वीं अनुसूची क्षेत्रों में पीइएसएचए (पेशा) एक्ट का अनुपालन किया जाए.
10. आदिवासी बहन बेटियों के साथ अन्याय अत्याचार तथा प्रताड़ना रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाया जाए.
11. आदिवासी क्षेत्र में रह रहे बाहरी घुसपैठियों को पहचान कर उन्हें आदिवासी क्षेत्र से बाहर भेजा जाए.
12. अभयारण्य और टाइगर रिजर्व के नाम पर आदिवासियों का विस्थान बंद हो. आदिवासियों की जमीन को खनन के लिए अधिग्रहण करने के बजाय लीज में लिया जाय. आदिवासी भूमि स्वामी को शेयर धारक बनाया जाए.
13. आदिवासियों के जमीन पर गैर आदिवासियों के कब्जे के प्रकरणों पर शासन संवेदनशील होकर प्रभावी कार्रवाई करें. बेरोजगार आदिवासी युवकों को बेरोजगार भत्ता दिया जाए.
14. जनगणना में आदिवासियों की जनसंख्या पलायन, प्रताड़ना, जबरदस्ती विस्थापन आदि कारणों से कम हो रही है. इसे तत्काल संज्ञान में लिया जाए.
आर्थिक नाकेबंदी के बाद सर्व आदिवासी समाज ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है. आदिवासियों ने मांगे पूरी नहीं होने पर इससे भी बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है.