ETV Bharat / state

Gaurela Pendra Marwahi: सरई बीज का संग्रहण शुरू, उचित कीमत न मिलने से ग्रामीण परेशान

गौरेला पेंड्रा मरवाही में सरई के बीज का संग्रहण शुरू हो गया है. 15 दिनों में बीज बेचने के लिए तैयार हो जाएगा. हालांकि ग्रामीण परेशान है. क्योंकि बाजार में बीज की इनको सही कीमत नहीं मिल रही है.

Sarai Seed Collection
सरई बीज संग्रहण
author img

By

Published : Jun 1, 2023, 6:39 PM IST

सरई बीज का संग्रहण शुरू

गौरेला पेंड्रा मरवाही: छत्तीसगढ़ की प्रमुख वनोपज में से एक सरई के बीज संग्रहण का काम ग्रामीणों ने शुरू कर दिया है. भीषण गर्मी के साथ-साथ जंगली जानवरों के डर के बीच जीपीएम के वनांचल क्षेत्र के ग्रामीण सरई के बीज का संग्रहण कर रहे हैं. हालांकि बीज का सही मूल्य इन्हें नहीं मिल रहा. जितनी इस बीज संग्रहण में इनकी मेहनत है, उसके मुताबिक इनको भुगतान नहीं किया जा रहा है.

इस तरह तैयार होता है बीज: इन दिनों जिले के जंगलों में साल सरई के बीज अधिक मात्रा में गिर रहे हैं, जिसे ग्रामीण महिलाएं सुबह से ही संग्रहण करने जाती है. इस बीज को तैयार करने में काफी मेहनत करनी पड़ती है. जंगल से बीज इकट्ठा करके इसे सुखाना पड़ता है. फिर जला कर दलना पड़ता है. इस पूरे प्रोसेस में कुल 15 दिनों का वक्त लगता है. तब जाकर ये बीज बेचने योग्य बनता है.

15 दिन बाद बेचने योग्य बनेगा बीज: बीज संग्रहण के बाद तैयार होने में कुल 15 दिनों का वक्त लगता है. इसके बाद बीज को बिचौलियों के पास ये ग्रामीण बेचने ले जाते हैं. साल सरई के बीज व्यापारी और बिचौलिए 10 से 15 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदते हैं. जिला लघु वनोपज संघ होने के बावजूद सरकार इस बीज को नहीं खरीद रही है. अधिक मेहनत के बाद भी कम कीमत मिलने के कारण ये ग्रामीण खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.

जंगली जानवरों का रहता है डर: हर दिन सुबह से ही ग्रामीण सरई के बीज संग्रहण करने पहुंच जाते हैं. भीषण गर्मी में भी ये लोग बीज संग्रहण करते हैं. इस बीच जंगली जानवर जैसे भालू, जंगली सूअर का खतरा बना रहता है. जान जोखिम में डालकर ये ग्रामीण सरई बीज एकत्रित कर तैयार करते हैं.

वन विभाग की जिम्मेदारी: बता दें कि जंगली उत्पादों को खरीदने की जिम्मेदारी वन विभाग की होती है. इसके लिए विभाग में जिला वनोपज संघ का गठन किया गया है, जो इस तरह के वन उत्पादों की खरीदी करती है. हर साल इसके लिए लक्ष्य निर्धारित किया जाता है. साथ ही एमएसपी का भी निर्धारण होता है. जिले में इस बार विभाग ने 6000 किविंटल साल बीज खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसकी खरीदी 15 मई से 15 जून तक करनी थी. हालांकि अब तक साल बीज की खरीदी का काम शुरू नहीं हुआ है.

"मौसम की खराबी की वजह से खरीदी में देरी हुई है. जल्द ही जिला वनोपज संघ की खरीदी शुरू करेगा. साथ ही एमएसपी से कम में हो रही खरीदी पर कार्रवाई की जाएगी." -वन मंडल अधिकारी

GPM News : तेंदूपत्ता सग्राहकों के हक में मुंशियों का डाका, सरा वसूली का लगा आरोप
Mahua Collection in MCB: एमसीबी के जंगलों में बिछी महुआ की चादर, ग्रामीणों के चेहरे खिले
Kawardha News: हरा सोना ने बदला लोगों का जीवन, समर्थन मूल्य और छात्रवृत्ति से मिला लाभ

नहीं मिल रहा उचित दाम: बात अगर एमएसपी की बात करें तो ग्रेड ए की खरीदी 20 रुपए प्रति किलो है. ग्रेड बी की खरीदी 18 रुपए प्रति किलो की दर से होनी थी. यानी 18 रुपए से कम में खरीदी ही नहीं हो सकती. लेकिन इन ग्रामीणों को 10-12 रुपए ही मिलते हैं. यानी ग्रामीणों को मेहनत के बाद भी उचित दाम नहीं मिल रहा है.

सरई बीज का संग्रहण शुरू

गौरेला पेंड्रा मरवाही: छत्तीसगढ़ की प्रमुख वनोपज में से एक सरई के बीज संग्रहण का काम ग्रामीणों ने शुरू कर दिया है. भीषण गर्मी के साथ-साथ जंगली जानवरों के डर के बीच जीपीएम के वनांचल क्षेत्र के ग्रामीण सरई के बीज का संग्रहण कर रहे हैं. हालांकि बीज का सही मूल्य इन्हें नहीं मिल रहा. जितनी इस बीज संग्रहण में इनकी मेहनत है, उसके मुताबिक इनको भुगतान नहीं किया जा रहा है.

इस तरह तैयार होता है बीज: इन दिनों जिले के जंगलों में साल सरई के बीज अधिक मात्रा में गिर रहे हैं, जिसे ग्रामीण महिलाएं सुबह से ही संग्रहण करने जाती है. इस बीज को तैयार करने में काफी मेहनत करनी पड़ती है. जंगल से बीज इकट्ठा करके इसे सुखाना पड़ता है. फिर जला कर दलना पड़ता है. इस पूरे प्रोसेस में कुल 15 दिनों का वक्त लगता है. तब जाकर ये बीज बेचने योग्य बनता है.

15 दिन बाद बेचने योग्य बनेगा बीज: बीज संग्रहण के बाद तैयार होने में कुल 15 दिनों का वक्त लगता है. इसके बाद बीज को बिचौलियों के पास ये ग्रामीण बेचने ले जाते हैं. साल सरई के बीज व्यापारी और बिचौलिए 10 से 15 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदते हैं. जिला लघु वनोपज संघ होने के बावजूद सरकार इस बीज को नहीं खरीद रही है. अधिक मेहनत के बाद भी कम कीमत मिलने के कारण ये ग्रामीण खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.

जंगली जानवरों का रहता है डर: हर दिन सुबह से ही ग्रामीण सरई के बीज संग्रहण करने पहुंच जाते हैं. भीषण गर्मी में भी ये लोग बीज संग्रहण करते हैं. इस बीच जंगली जानवर जैसे भालू, जंगली सूअर का खतरा बना रहता है. जान जोखिम में डालकर ये ग्रामीण सरई बीज एकत्रित कर तैयार करते हैं.

वन विभाग की जिम्मेदारी: बता दें कि जंगली उत्पादों को खरीदने की जिम्मेदारी वन विभाग की होती है. इसके लिए विभाग में जिला वनोपज संघ का गठन किया गया है, जो इस तरह के वन उत्पादों की खरीदी करती है. हर साल इसके लिए लक्ष्य निर्धारित किया जाता है. साथ ही एमएसपी का भी निर्धारण होता है. जिले में इस बार विभाग ने 6000 किविंटल साल बीज खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसकी खरीदी 15 मई से 15 जून तक करनी थी. हालांकि अब तक साल बीज की खरीदी का काम शुरू नहीं हुआ है.

"मौसम की खराबी की वजह से खरीदी में देरी हुई है. जल्द ही जिला वनोपज संघ की खरीदी शुरू करेगा. साथ ही एमएसपी से कम में हो रही खरीदी पर कार्रवाई की जाएगी." -वन मंडल अधिकारी

GPM News : तेंदूपत्ता सग्राहकों के हक में मुंशियों का डाका, सरा वसूली का लगा आरोप
Mahua Collection in MCB: एमसीबी के जंगलों में बिछी महुआ की चादर, ग्रामीणों के चेहरे खिले
Kawardha News: हरा सोना ने बदला लोगों का जीवन, समर्थन मूल्य और छात्रवृत्ति से मिला लाभ

नहीं मिल रहा उचित दाम: बात अगर एमएसपी की बात करें तो ग्रेड ए की खरीदी 20 रुपए प्रति किलो है. ग्रेड बी की खरीदी 18 रुपए प्रति किलो की दर से होनी थी. यानी 18 रुपए से कम में खरीदी ही नहीं हो सकती. लेकिन इन ग्रामीणों को 10-12 रुपए ही मिलते हैं. यानी ग्रामीणों को मेहनत के बाद भी उचित दाम नहीं मिल रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.