बिलासपुर: इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि नवरात्र में श्रद्धालु मां महामाया के दर्शन से वंचित गए हैं. कोरोना संकटकाल को देखते हुए मां रतनपुर महामाया के पट भक्तों के लिए बद कर दिए गए हैं. हर साल जहां नवरात्र में लोगों की भीड़ और दर्शन के लिए लंबी लाइन लगी होती थी, उस मां का आंगन आज सूना है. तमाम नियमों के बाद भी श्रद्धालु रतनपुर पहुंच रहे हैं और मंदिर के बाहर पूजा-अर्चना कर माथा टेक रहे हैं. ETV भारत की टीम रतनपुर महामाया के दर पर पहुंची और मंदिर की वर्तमान परिस्थिति का जायजा लिया.
नवरात्र शुरू हो चुके हैं और रतनपुरवाली माता के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंच भी रहे हैं, लेकिन कोरोना गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए सभी के लिए मंदिर के कपाट बंद हैं. मंदिर पहुंचने वाले भक्तों को इस बात का दुख है कि वह माता रानी के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं. श्रद्धालुओं का कहना है कि जीवन में ऐसा कभी नहीं हुआ कि मंदिर पहुंचने के बाद मां के दर्शन न हुए हों. मंदिर के बाहर ही लोग कोरोना महामारी से विश्व को जल्द निजात दिलाने की कामना कर रहे हैं.
आर्थिक तंगी से जूझ रहे छोटे व्यापारी
दर्शनार्थी और सैलानियों के यहां नहीं आने से मंदिर के बाहर पूजा सामानों, फूल-फल की छोटी दुकान लगाने वाले व्यापारी भी मायूस हैं. करीब 7 महीने पहले से ही कोरोना संकट के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन में वे पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे. अब जब त्योहार में थोड़ी बहुत कमाई के दिन आए तो फिर से उनके ऊपर कोरोना ने ग्रहण लगा दिया.
त्योहार में नहीं हो रही कमाई
दुकानदार कहते हैं कि पहले यहां आम दिनों में भी हजारों श्रद्धालु दर्शन को पहुंचते थे, लेकिन कोरोना काल के दौरान अब पहले से आधे भी नहीं पहुंच रहे. नवरात्र में यहां की रौनक देखने लायक होती थी. पूरे प्रदेश के साथ ही दूसरे राज्यों से भी लोग माता रानी के दर्शन करने अपनी मन्नत लेकर आते थे. कोरोना संकट का काला साया सभी पर मंडरा रहा है. दुकानदारों ने बताया कि कई महीने बीत गए, उन्हें घर चलाने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ये साल भी खत्म होने को है. उनका कहना है कि नवरात्र से लेकर दीपावली तक ही कुछ कमाई होती थी, लेकिन अब उन्हें इसकी भी उम्मीद नहीं है.
मंदिर परिसर में तैनात हैं पुलिसकर्मी
इस दौरान मंदिर परिसर और बाहर में पुलिसकर्मी भी अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. पुलिस का काम मुख्य रूप से मंदिर परिसर के लॉ एंड ऑर्डर को दुरुस्त रखना है और लोगों के ऊपर ध्यान रखना है कि वो विशेषकर फिजिकल डिस्टेंसिंग के कायदे को न तोड़े.
श्रद्धालु कर सकते हैं माता रानी के ऑनलाइन दर्शन
मंदिर प्रशासन इस बार भक्तों को ऑनलाइन दर्शन की सुविधा दे रहा है. महामाया माता के तीनों वक्त की आरती भक्त ऑनलाइन देख सकते हैं. मंदिर में इस साल 21 हजार ज्योति कलश प्रज्जवलित किए गए हैं. माता रानी का दर्शन करने वाले यू-ट्यूब के माध्यम से भी दर्शन कर सकते हैं. मंदिर प्रशासन का कहना है कि कोरोना संकट की वजह से उन्हें आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन स्थिति अभी नियंत्रण में है.
कल्चुरी शासक राजा रत्नदेव ने कराया मां महामाया मंदिर का निर्माण
किवदंती है कि तत्कालीन कल्चुरी शासक राजा रत्नदेव हजार साल पहले शिकार पर निकले और इस दौरान वे रतनपुर पहुंचे. शिकार के लिए जाते वक्त वे रास्ता भूल गए और रतनपुर में ही रात में आराम करने का मन बनाया. उन्होंने रतनपुर में एक वट वृक्ष के नीचे रात गुजारी. इस बीच उन्हें आभास हुआ कि यह जगह कोई सिद्ध स्थान है और दैवीय शक्ति से भरपूर है.
राजा ने रतनपुर को बनाई थी राजधानी
इसके बाद वो अगले दिन रतनपुर से निकल गए और फिर उन्हें दोबारा सपना आया. बताया जाता है कि राजा के सपने में मां महामाया ने रतनपुर में मंदिर स्थापना और रतनपुर को राजधानी बनाने की बात कही थी. जिसपर राजा रत्नदेव ने तत्काल रतनपुर में एक भव्य मंदिर को स्थापित किया और रतनपुर को अपनी राजधानी बनाई. बताया जाता है कि हजार वर्ष पहले घटित इस घटना के बाद से रतनपुर महामाया मंदिर अस्तित्व में आया और इस मंदिर की ख्याति बढ़ती चली गई.
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धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक विश्वभर के 108 शक्तिपीठों में रतनपुर भी एक शक्तिपीठ है. माता सती का दाहिना स्कंध रतनपुर में गिरा था. इसलिए इसे शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त है. यहां मां कौमार्य शक्तिपीठ के रूप में पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं. यहां मां की महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली तीनों स्वरूपों में पूजा की जाती है. जानकार बताते हैं कि नवरात्र में शक्ति की उपासना होती है और इस दौरान तमाम ग्रहों को शांत किया जाता है.