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Bilaspur : राम के नाम को चरितार्थ कर रहा रामनामी समाज - श्रीरामनाम संकीर्तन

छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल है. माता कौशिल्या का मायका छत्तीसगढ़ में होने के कारण राम का प्रदेश से अटूट नाता है. प्रदेश के चंद्रखुरी में देश का इकलौता माता कौशिल्या का मंदिर है.लेकिन छत्तीसगढ़ का एक समाज ऐसा है जिसने अपने जीवन के साथ पूरा तन भी राम के नाम समर्पित किया है.

Ramnami Samaj of bilaspur
रामनामी समाज का त्याग
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Published : Mar 29, 2023, 6:46 PM IST

Updated : Mar 30, 2023, 8:06 AM IST

रामनामी समाज का त्याग

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ का रामनामी समाज अपने नाम के अनुसार ही पूरे विश्व में जाना जाता है.इस समुदाय से आने वाले लोगों ने अपने पूरे शरीर को राममय कर रखा है.शरीर का ऐसा कोई भी हिस्सा नहीं बचा है जहां, राम का नाम ना लिखा हो.राम का नाम लिखाने की अनोखी शैली के कारण इनके समाज को रामनामी समाज के नाम से प्रसिद्धि मिल गई. राम नवमी के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामनामी समाज के लोगों को श्रीरामनाम संकीर्तन के लिए आमंत्रित किया है.


क्या है रामनामी समाज की पहचान : इस समाज की सबसे बड़ी पहचान ये है कि इनके पूरे शरीर में राम नाम का गोदना गुदा रहता है. ये टैटू किसी खास मशीन और स्याही से बनाया जाता है. इसी वजह से मिटता नहीं.जीवन के आखिरी समय में भी राम का नाम इनके शरीर के साथ जाता है. भगवान राम के प्रति श्रद्धा को देखते हुए इन्हें रामनामी समाज कहा जाता है.


सादगी से जीते हैं जीवन : रामनामी समाज के गोपाल कृष्ण रामानुज दास ने इस बारे में जानकारी दी है. रामानुज दास के मुताबिक ''आज के युवा राम नाम कहने में संकोच करते हैं. लेकिन जंगल में रहने वाले आदिवासी रामनामी लोग अपने पूरे शरीर पर राम नाम अंकित कराते हैं. आदिवासी राम की भक्ति में रम कर भजन करते हैं. रामनामी समाज से जुड़े लोग अपने पूरे जीवन में ना नशा करते हैं और ना ही मांसाहार लेते हैं. समाज सादगी से अपना पूरा जीवन बिताता है.''

ये भी पढ़ें- शहीदों का चलता फिरता स्मारक, नाम है टैटू मैन


यूपी सरकार ने किया है आमंत्रित : उत्तरप्रदेश में राम नवमी के अवसर पर राम जन्मभूमि अयोध्या में कई आयोजन होने वाले हैं. इस आयोजन के लिए यूपी सरकार ने छत्तीसगढ़ के रामनामी समाज को आमंत्रित किया है. रामनामी समाज बिलासपुर से उत्तर प्रदेश जाकर रामनवमी पर समाज के मूल उद्देश्य और भगवान राम के प्रति उनकी श्रद्धा को लोगों तक पहुचाएंगे.

रामनामी समाज का त्याग

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ का रामनामी समाज अपने नाम के अनुसार ही पूरे विश्व में जाना जाता है.इस समुदाय से आने वाले लोगों ने अपने पूरे शरीर को राममय कर रखा है.शरीर का ऐसा कोई भी हिस्सा नहीं बचा है जहां, राम का नाम ना लिखा हो.राम का नाम लिखाने की अनोखी शैली के कारण इनके समाज को रामनामी समाज के नाम से प्रसिद्धि मिल गई. राम नवमी के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामनामी समाज के लोगों को श्रीरामनाम संकीर्तन के लिए आमंत्रित किया है.


क्या है रामनामी समाज की पहचान : इस समाज की सबसे बड़ी पहचान ये है कि इनके पूरे शरीर में राम नाम का गोदना गुदा रहता है. ये टैटू किसी खास मशीन और स्याही से बनाया जाता है. इसी वजह से मिटता नहीं.जीवन के आखिरी समय में भी राम का नाम इनके शरीर के साथ जाता है. भगवान राम के प्रति श्रद्धा को देखते हुए इन्हें रामनामी समाज कहा जाता है.


सादगी से जीते हैं जीवन : रामनामी समाज के गोपाल कृष्ण रामानुज दास ने इस बारे में जानकारी दी है. रामानुज दास के मुताबिक ''आज के युवा राम नाम कहने में संकोच करते हैं. लेकिन जंगल में रहने वाले आदिवासी रामनामी लोग अपने पूरे शरीर पर राम नाम अंकित कराते हैं. आदिवासी राम की भक्ति में रम कर भजन करते हैं. रामनामी समाज से जुड़े लोग अपने पूरे जीवन में ना नशा करते हैं और ना ही मांसाहार लेते हैं. समाज सादगी से अपना पूरा जीवन बिताता है.''

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यूपी सरकार ने किया है आमंत्रित : उत्तरप्रदेश में राम नवमी के अवसर पर राम जन्मभूमि अयोध्या में कई आयोजन होने वाले हैं. इस आयोजन के लिए यूपी सरकार ने छत्तीसगढ़ के रामनामी समाज को आमंत्रित किया है. रामनामी समाज बिलासपुर से उत्तर प्रदेश जाकर रामनवमी पर समाज के मूल उद्देश्य और भगवान राम के प्रति उनकी श्रद्धा को लोगों तक पहुचाएंगे.

Last Updated : Mar 30, 2023, 8:06 AM IST
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