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मेहंदी श्रृंगार से ऐसे शुरू हुआ रक्षाबंधन का पर्व - रक्षाबंधन 2022

मेहंदी लगाने के इस क्षेत्र में पुरुष भी उतर गए हैं. पुरुष महिलाओं को मेहंदी लगाकर जहां रुपए कमा (Rakshabandhan festival started with Mehndi in bilaspur) रहे हैं. वहीं मेहंदी के रचने से बहनें भी अपनी हाथों की खूबसूरती बढ़ा रही हैं.

rakshabandhan 2022
मेहंदी श्रृंगार और रक्षाबंधन 2022
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Published : Aug 10, 2022, 10:11 PM IST

बिलासपुर: राखी के पर्व की शुरुआत कई दिनों पहले से शुरू (raksha bandhan 2022) हो गई है. बहने भाइयों की कलाइयों में राखी बांधने राखियों की खरीदी के साथ ही अपने सोलह श्रृंगार के सामान भी खरीदने लगी है. बहनें अब अपने सोलह श्रृंगार की शुरुआत मेहंदी लगा कर शरू रही हैं. बाजार में इन दिनों बहनें अपने हाथों पर मेहंदी लगवाती दिखने (Rakshabandhan festival started with Mehndi in bilaspur)लगी हैं. बाकायदा इसके लिए दुकानों के सामने मेहंदी लगाने वाले भी अपनी दुकान सजा कर बैठे हुए हैं. यहां पहुंचकर बहनें अलग अलग डिजाइन की मेहंदी लगवा रही हैं. सभी बहनों ने राखी पर्व की तैयारी शुरू कर दी है.

मेहंदी श्रृंगार व रक्षाबंधन 2022
भाई बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाने के लिए राखी पर्व सबसे बेहतर माध्यम होता है. इस पर्व में भाइयों की कलाई में बहने राखी (rakshabandhan 2022) बांधकर उनसे जीवन भर साथ देने और रक्षा का वचन लेती है. बहनें राखी पर्व पर सोलह श्रृंगार कर भाइयों की कलाई पर राखिया बंधती हैं. श्रृंगार की शुरुआत में सबसे पहले नाम आता है मेहंदी का. पहले मेहंदी घर की महिलाएं एक दूसरे को लगाती थी, लेकिन अब मेहंदी लगाने का काम भी एक प्रोफेशन हो गया है. इस प्रोफेशन को पहले महिलाएं अपनाया करती थीं. लेकिन अब मेहंदी लगाने के इस क्षेत्र में पुरुष भी उतर गए हैं. पुरुष महिलाओं को मेहंदी लगाकर जहां रुपए कमा रहे हैं. वही मेहंदी के रचने से बहनें भी अपनी हाथों की खूबसूरती बढ़ा रही हैं.यह भी पढ़ें: रक्षाबंधन 2022: सोना चांदी की राखियों से रौशन हुआ रायपुर सराफा बाजार, जानिए कीमतेंसोलह श्रृंगार का महत्वपूर्ण अंग होती है मेहंदी: शादी, त्योहार और खुशियों के मौकों पर महिलाएं श्रृंगार करती हैं. महिलाएं हाथो के सुंदर दिखने के लिए मेहंदी लगवाती हैं. मेहंदी श्रृंगार का एक महत्वपूर्ण अंग होता है. मेहंदी से हाथ लाल रंग से रच जाती है. साथ ही इसे लगाने वाली महिलाएं खूबसूरत और खुशहाल नजर आती है. मेहंदी खुशियों का प्रतीक होता है और इसे लगाने वाली महिलाएं खुश रहती हैं.लाल के साथ काली शेडेड मेहंदी का भी है फैशन: मेहंदी लगाने सजे बाजार में पुरुष महिलाओं को मेहंदी लगा रहे हैं. अब अलग अलग डिजाइन और अलग स्टाइल से दिखने वाली मेहंदी लगाई जाती हैं. पहले हथेली पर ही मेहंदी लगाने का फैशन था, लेकिन अब हथेली के साथ ही कोहनी तक और हांथो के दोनों तरफ मेहंदी लगाई जाती है. मेहंदी रचने के बाद लाल रंग की हो जाती है. लेकिन अब कैमिकल के माध्यम से मेहंदी के रंग में भी परिवर्तन कर दिया गया है. कुछ मेहंदी लाल रंग के साथ डार्क रचती है और काली शेडेड हो जाती है. काली शेडेड मेहंदी का फैशन अभी ट्रेंड कर रहा है. मेहंदी में कैमिकल के उपयोग से मेहंदी लाल रचती है और फिर एक दो दिन में काली शेडेड हो जाती है.मेहंदी लगाने की ट्रेनिंग लेकर पुरुष कर रहे काम: बिलासपुर के अग्रसेन चौक के आसपास दुकानों के सामने तंबू लगाकर पुरुष मेहंदी लगाने का काम कर रहे हैं. यह लोग राजस्थान से आते हैं और तीज त्योहारों पर मेहंदी लगाने का काम करते हैं. मेहंदी लगाने वाले भूरेलाल ने बताया कि "वह मुंबई से ट्रेनिंग लेकर इस काम को शुरू किया है. तीज त्यौहारों पर वे देश के अलग अलग हिस्सों में जाकर मेहंदी लगाते हैं. इस काम से उन्हें अच्छी रकम मिल जाती है और वह अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.

बिलासपुर: राखी के पर्व की शुरुआत कई दिनों पहले से शुरू (raksha bandhan 2022) हो गई है. बहने भाइयों की कलाइयों में राखी बांधने राखियों की खरीदी के साथ ही अपने सोलह श्रृंगार के सामान भी खरीदने लगी है. बहनें अब अपने सोलह श्रृंगार की शुरुआत मेहंदी लगा कर शरू रही हैं. बाजार में इन दिनों बहनें अपने हाथों पर मेहंदी लगवाती दिखने (Rakshabandhan festival started with Mehndi in bilaspur)लगी हैं. बाकायदा इसके लिए दुकानों के सामने मेहंदी लगाने वाले भी अपनी दुकान सजा कर बैठे हुए हैं. यहां पहुंचकर बहनें अलग अलग डिजाइन की मेहंदी लगवा रही हैं. सभी बहनों ने राखी पर्व की तैयारी शुरू कर दी है.

मेहंदी श्रृंगार व रक्षाबंधन 2022
भाई बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाने के लिए राखी पर्व सबसे बेहतर माध्यम होता है. इस पर्व में भाइयों की कलाई में बहने राखी (rakshabandhan 2022) बांधकर उनसे जीवन भर साथ देने और रक्षा का वचन लेती है. बहनें राखी पर्व पर सोलह श्रृंगार कर भाइयों की कलाई पर राखिया बंधती हैं. श्रृंगार की शुरुआत में सबसे पहले नाम आता है मेहंदी का. पहले मेहंदी घर की महिलाएं एक दूसरे को लगाती थी, लेकिन अब मेहंदी लगाने का काम भी एक प्रोफेशन हो गया है. इस प्रोफेशन को पहले महिलाएं अपनाया करती थीं. लेकिन अब मेहंदी लगाने के इस क्षेत्र में पुरुष भी उतर गए हैं. पुरुष महिलाओं को मेहंदी लगाकर जहां रुपए कमा रहे हैं. वही मेहंदी के रचने से बहनें भी अपनी हाथों की खूबसूरती बढ़ा रही हैं.यह भी पढ़ें: रक्षाबंधन 2022: सोना चांदी की राखियों से रौशन हुआ रायपुर सराफा बाजार, जानिए कीमतेंसोलह श्रृंगार का महत्वपूर्ण अंग होती है मेहंदी: शादी, त्योहार और खुशियों के मौकों पर महिलाएं श्रृंगार करती हैं. महिलाएं हाथो के सुंदर दिखने के लिए मेहंदी लगवाती हैं. मेहंदी श्रृंगार का एक महत्वपूर्ण अंग होता है. मेहंदी से हाथ लाल रंग से रच जाती है. साथ ही इसे लगाने वाली महिलाएं खूबसूरत और खुशहाल नजर आती है. मेहंदी खुशियों का प्रतीक होता है और इसे लगाने वाली महिलाएं खुश रहती हैं.लाल के साथ काली शेडेड मेहंदी का भी है फैशन: मेहंदी लगाने सजे बाजार में पुरुष महिलाओं को मेहंदी लगा रहे हैं. अब अलग अलग डिजाइन और अलग स्टाइल से दिखने वाली मेहंदी लगाई जाती हैं. पहले हथेली पर ही मेहंदी लगाने का फैशन था, लेकिन अब हथेली के साथ ही कोहनी तक और हांथो के दोनों तरफ मेहंदी लगाई जाती है. मेहंदी रचने के बाद लाल रंग की हो जाती है. लेकिन अब कैमिकल के माध्यम से मेहंदी के रंग में भी परिवर्तन कर दिया गया है. कुछ मेहंदी लाल रंग के साथ डार्क रचती है और काली शेडेड हो जाती है. काली शेडेड मेहंदी का फैशन अभी ट्रेंड कर रहा है. मेहंदी में कैमिकल के उपयोग से मेहंदी लाल रचती है और फिर एक दो दिन में काली शेडेड हो जाती है.मेहंदी लगाने की ट्रेनिंग लेकर पुरुष कर रहे काम: बिलासपुर के अग्रसेन चौक के आसपास दुकानों के सामने तंबू लगाकर पुरुष मेहंदी लगाने का काम कर रहे हैं. यह लोग राजस्थान से आते हैं और तीज त्योहारों पर मेहंदी लगाने का काम करते हैं. मेहंदी लगाने वाले भूरेलाल ने बताया कि "वह मुंबई से ट्रेनिंग लेकर इस काम को शुरू किया है. तीज त्यौहारों पर वे देश के अलग अलग हिस्सों में जाकर मेहंदी लगाते हैं. इस काम से उन्हें अच्छी रकम मिल जाती है और वह अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.
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