बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के दौरान खोले गए शराब दुकानों को बंद कराने के लिए हाईकोर्ट में दो जनहित याचिका दायर की गई है. एक याचिका में दुकान खुले रहने की स्थिति में केंद्रीय गृह मंत्रालय से जारी निर्देश का सही तरीके से पालन कराने के आदेश देने की मांग की गई है. दोनों याचिकाओं में याचिकाकर्ता खुद पैरवी करेंगे. जनहित याचिकाएं अधिवक्ता तुषार धर दीवान के साथ-साथ रायगढ़ के रहने वाले राधेश्याम शर्मा ने हाईकोर्ट में प्रस्तुत की है. दोनों याचिकाओं पर इस हफ्ते सुनवाई होने की उम्मीद है.
दोनों याचिकाओं में राज्य भर में खोली गई शराब दुकानों को बंद कराने की मांग की गई है. जिसमें तुषार दीवान ने अपनी याचिका में मांग उठाई है कि जब तक दुकानें खुली हैं, तब तक शराब खरीदने वालों के बीच 6 फीट की दूरी बनाकर रखने, होम डिलीवरी के 120 रुपए चार्ज को कम करने की मांग की गई है. साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के हिसाब से शराब दुकानों के सामने लगने वाली भीड़ को नियंत्रित करने की मांग की है. इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान अन्य दिशा-निर्देशों का हवाला दिया गया है.
हाई पावर कमेटी गठन करने की मांग
याचिका में राज्य शासन के निर्देश का भी हवाला दिया गया है. जिसमें मृत्यु पर 20 लोग और शादी में 15 लोग से ज्यादा की अनुमति नहीं है. कहा गया है कि ऐसे में शराब दुकानों के सामने असंख्य भीड़ से कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ेगा. याचिका में राज्य सरकार के साथ, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव, पुलिस महानिदेशक, छत्तीसगढ़ राज्य बेवरेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध संचालक और केंद्र सरकार को पक्षकार बनाया गया है. याचिका में कहा गया है, एक हाई पावर कमेटी का गठन किया जाए. इसके साथ ही हर दिन शराब दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग की जांच की जाए.
'शराब लेने लाई जाए टोकन व्यवस्था'
होम डिलीवरी पर शराब पहुंचाने जाने वाले डिलीवरी ब्वाय को 'नो फिजिकल कॉन्टेक्ट डिलीवरी' की ट्रेनिंग दी जाए. शराब दुकानों के सामने सैनिटाइजेशन टनल लगाई जाए. शराब दुकानों के सेल्समेन को ट्रेनिंग के साथ इक्विपमेंट, ग्लव्स और मास्क दिया जाए. साथ ही शराब लेने के लिए महाराष्ट्र के पुणे की तर्ज पर टोकन व्यवस्था शुरू हो.
पढ़ें-
'शराब दुकानों को बंद करना जरूरी'
याचिका में यह भी कहा गया है कि शराब पीना खतरनाक होता है. इसके पीने से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होगी इसलिए शराब की मात्रा कम दी जाए. निम्न आय और मध्यमवर्गी परिवार में शराब की खपत ज्यादा होती है, उनके पास जीवनयापन के लिए भी पैसा नहीं है. ऐसे में शराब दुकानों पर लोग पैसा ज्यादा खपत करेंगे. इसलिए शराब दुकानों को बंद किया जाना जरूरी है. दोनों याचिकाओं पर एक साथ इसी हफ्ते सुनवाई हो सकती है.