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मरवाही विधानसभा उप चुनाव: मरवाही में बजा चुनावी बिगुल, किसे चुनेगी जनता - मरवाही विधानसभा उप चुनाव की तारीख

मरवाही विधानसभा सीट पर उप चुनाव होना है. निर्वाचन आयोग ने भी उप चुनाव की तारीख का एलान कर दिया है. इस विधानसभा क्षेत्र की एक और खासियत है कि ये दलबदलू नेताओं के लिए भी जाना जाता है. मरवाही के हर विधायक ने एक न एक बार अपनी पार्टी जरूर बदली है, या पार्टी छोड़कर चुनाव लड़ा है.

Marwahi Assembly By-election
मरवाही विधानसभा उप चुनाव
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Published : Sep 29, 2020, 4:23 PM IST

Updated : Sep 29, 2020, 10:20 PM IST

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: अजीत जोगी के निधन के बाद एक बार फिर मरवाही विधानसभा में उप चुनाव होना है. भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तारीखों का भी ऐलान कर दिया है. 3 नवंबर को मरवाही की जनता अपना विधायक चुनेगी. 10 नवंबर को उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा.

मरवाही विधानसभा सीट की कहानी

मातृत्व जिला बिलासपुर से अलग होकर 10 फरवरी 2020 को अलग जिला बने गौरेला-पेंड्रा-मरवाही की मरवाही विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है. साथ ही ये सीट बेहद दिलचस्प सीट मानी जाती है. छत्तीसगढ़ की मरवाही विधानसभा सीट से 2013 में वर्तमान विधायक अमित जोगी, कांग्रेस की ओर से विधानसभा पहुंचे थे. लेकिन 2018 में उन्होंने ये सीट अपने पिता और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत होगी के लिए छोड़ दी थी. पिछले 20 सालों से ये सीट जोगी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती थी. अजीत जोगी ने 2003 में उप चुनाव यहीं से जीतकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया था.

जिले में भालू बड़ी समस्या

मरवाही को भौगालिक दृष्टिकोण से देखें तो ये इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ है. ये जंगल करीब डेढ़ लाख हैक्टयेर में फैला हुआ है. भालुओं के लिए भी ये इलाका काफी मशहूर है. इस इलाके में दुर्लभ सफेद भालू भी पाए जाते हैं. लेकिन अब यही भालू यहां की सबसे बड़ी समस्या बन चुके हैं. दिवंगत स्व. अजीत जोगी ने मुख्यमंत्री रहते हुए इस समस्या से निपटने के लिए ऑपरेशन जामवंत प्रोजेक्ट चलाने की घोषणा की थी. लेकिन जोगी की सरकार जाते ही ये योजना फाइलों में गुम हो गई. यही वजह है कि चुनाव में यहां दूसरे मुद्दों के साथ भालू भी एक बड़ा मुद्दा बन ही जाता है.

  • 2018 का विधानसभा चुनाव

2018 के विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी. आंकाड़ों की बात करें तो पूर्व सीएम अजीत जोगी को 74 हजार 41 वोट मिले. तो वहीं बीजेपी के उम्मीदवार अर्चना पोर्ते को 27 हजार 579 वोट मिले. 2018 के चुनाव में कांग्रेस के गुलाब सिंह राज 20 हजार 40 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे.

  • 2013 का चुनाव

मरवाही विधानसभा सीट पर 2013 में 11 उम्मीदवार मैदान में थे. कांग्रेस से अमित जोगी पिता की विरासत को बचाने में ही नहीं, बल्कि रिकॉर्ड मतों से जीतने में कामयाब रहे थे. अमित जोगी को 82 हजार 909 वोट मिले थे. जबकि बीजेपी उम्मीदवार समीरा पैकरा को 36 हजार 659 वोट मिले थे. बाकी उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा सके थे.

उपचुनाव : 12 राज्यों की 56 सीटों पर नवंबर में होंगे मतदान

  • 2008 का विधानसभा चुनाव

कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार रहे पूर्व सीएम अजीत जोगी को 67 हजार 523 वोट मिले थे. वहीं बीजेपी के ध्यान सिंह पोर्ते को 25 हजार 431 वोट मिले थे.

  • 2003 का विधानसभा चुनाव

कांग्रेस के अजीत जोगी को 76 हजार 269 वोट मिले थे. वहीं बीजेपी के नंद कुमार साय को 22 हजार 119 को वोट मिले थे.

दलबदल नेताओं की सीट

मरवाही सीट की कहानी बेहद दिलचस्प है. ये दलबदलू विधायकों का क्षेत्र रहा है. इसकी शुरूआत बड़े आदिवासी नेता भंवर सिंह पोर्ते से ही हो जाती है. जिन्होंने 1972 ,1977 और 1980 के चुनाव जीत कर हैट्रिक लगाई. 1985 में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया और कांग्रेस के दीनदयाल विधायक बने. भंवर सिंह ने नाराज होकर कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और बीजेपी का दामन थाम लिया. जिसके बाद वे 1990 में एक बार फिर विधायक बने. 1993 में फिर बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया और कांग्रेस के पहलवान सिंह मरावी इस सीट से विधायक चुने गए.

जोगी का गढ़ या कांग्रेस का रण

मरवाही विधानसभा सीट जोगी का गढ़ बनने के पीछे विधानसभा में चुनाव में आने वाले चुनाव परिणाम हैं. जिसमें 2001 के बाद से ये विधानसभा जोगी परिवार की हो गई. साल 2003 और 2008 में अजीत जोगी लगातार यहां से विधायक रहे. 2013 में अमित जोगी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. जिसके बाद 2018 में अमित जोगी ने अपने पिता अजीत जोगी के लिए ये सीट छोड़ दी. राजनीतिक इतिहास बताता है कि यहां से भले ही दो बार बीजेपी के विधायक बने हैं, लेकिन इसकी तासीर कांग्रेसी ही है. हालांकि अमित जोगी मानते हैं कि ये कांग्रेस का नहीं बल्कि जोगी का गढ़ है. मरवाही की जनता मूल रूप से कांग्रेस पार्टी को ही अब तक चुनती आ रही है.

चुनाव से पहले सरकार मुझसे हार मान चुकी है: अमित जोगी

मरवाही विधानसभा क्षेत्र (क्रमांक 24) से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी-

  • सीट- अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित
  • कुल मतदाता संख्या - 1 लाख 91 हजार 244
  • पुरुष मतदाता - 93 हजार 843
  • महिला मतदाता - 97 हजार 397
  • मतदान केंद्र की संख्या - 283
  • सहायक मतदान केंद्र - 49
  • संवेदनशील मतदान केंद्र - 126

छत्तीसगढ़ में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और तत्कालीन पीसीसी चीफ भूपेश बघेल सूबे के मुखिया बने. जिसके बाद भूपेश बघेल ने 15 अगस्त 2019 में इस क्षेत्र को जिला बनाने की सौगात दी. जिसके बाद 10 फरवरी 2020 को गौरेला-पेंड्रा- मरवाही जिला अस्तित्व में आ गया.

क्षेत्र में विकासकार्यों की बहार

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला अस्तित्व में आने के बाद लगातार इस क्षेत्र में विकास के द्वार खोल दिए गए. इस बीच अचानक विधायक अजीत जोगी की तबीयत बिगड़ी और एक महीने तक कोमा में रहने के बाद उनका निधन हो गया. उनके निधन के बाद अब इस सीट पर उप चुनाव होना है. तो राज्य सरकार भी दिल खोलकर इस क्षेत्र के विकास के लिए एक के बाद एक घोषणा कर रही है. पिछले दिनों ही सीएम ने क्षेत्र को 332 करोड़ 64 लाख रुपयों के विकासकार्य की सौगात दी है. मरवाही को नगर पंचायत के साथ अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, पुलिस कार्यालय खोलने की घोषणा की. इतना ही नहीं गौरेला-पेंड्रा नगर पंचायत को नगर पालिका बनाने की घोषणा भी कर दी.

किसकी होगी जीत

विकास की बयार बहने के बाद अब देखना होगा कि मरवाही की जनता किसे अपना विधायक चुनती है. मरवाही का ये चुनाव सच में कांग्रेस की सीट है या फिर जोगी परिवार की, ये तो चुनाव परिणाम ही बताएगा.

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: अजीत जोगी के निधन के बाद एक बार फिर मरवाही विधानसभा में उप चुनाव होना है. भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तारीखों का भी ऐलान कर दिया है. 3 नवंबर को मरवाही की जनता अपना विधायक चुनेगी. 10 नवंबर को उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा.

मरवाही विधानसभा सीट की कहानी

मातृत्व जिला बिलासपुर से अलग होकर 10 फरवरी 2020 को अलग जिला बने गौरेला-पेंड्रा-मरवाही की मरवाही विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है. साथ ही ये सीट बेहद दिलचस्प सीट मानी जाती है. छत्तीसगढ़ की मरवाही विधानसभा सीट से 2013 में वर्तमान विधायक अमित जोगी, कांग्रेस की ओर से विधानसभा पहुंचे थे. लेकिन 2018 में उन्होंने ये सीट अपने पिता और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत होगी के लिए छोड़ दी थी. पिछले 20 सालों से ये सीट जोगी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती थी. अजीत जोगी ने 2003 में उप चुनाव यहीं से जीतकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया था.

जिले में भालू बड़ी समस्या

मरवाही को भौगालिक दृष्टिकोण से देखें तो ये इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ है. ये जंगल करीब डेढ़ लाख हैक्टयेर में फैला हुआ है. भालुओं के लिए भी ये इलाका काफी मशहूर है. इस इलाके में दुर्लभ सफेद भालू भी पाए जाते हैं. लेकिन अब यही भालू यहां की सबसे बड़ी समस्या बन चुके हैं. दिवंगत स्व. अजीत जोगी ने मुख्यमंत्री रहते हुए इस समस्या से निपटने के लिए ऑपरेशन जामवंत प्रोजेक्ट चलाने की घोषणा की थी. लेकिन जोगी की सरकार जाते ही ये योजना फाइलों में गुम हो गई. यही वजह है कि चुनाव में यहां दूसरे मुद्दों के साथ भालू भी एक बड़ा मुद्दा बन ही जाता है.

  • 2018 का विधानसभा चुनाव

2018 के विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी. आंकाड़ों की बात करें तो पूर्व सीएम अजीत जोगी को 74 हजार 41 वोट मिले. तो वहीं बीजेपी के उम्मीदवार अर्चना पोर्ते को 27 हजार 579 वोट मिले. 2018 के चुनाव में कांग्रेस के गुलाब सिंह राज 20 हजार 40 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे.

  • 2013 का चुनाव

मरवाही विधानसभा सीट पर 2013 में 11 उम्मीदवार मैदान में थे. कांग्रेस से अमित जोगी पिता की विरासत को बचाने में ही नहीं, बल्कि रिकॉर्ड मतों से जीतने में कामयाब रहे थे. अमित जोगी को 82 हजार 909 वोट मिले थे. जबकि बीजेपी उम्मीदवार समीरा पैकरा को 36 हजार 659 वोट मिले थे. बाकी उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा सके थे.

उपचुनाव : 12 राज्यों की 56 सीटों पर नवंबर में होंगे मतदान

  • 2008 का विधानसभा चुनाव

कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार रहे पूर्व सीएम अजीत जोगी को 67 हजार 523 वोट मिले थे. वहीं बीजेपी के ध्यान सिंह पोर्ते को 25 हजार 431 वोट मिले थे.

  • 2003 का विधानसभा चुनाव

कांग्रेस के अजीत जोगी को 76 हजार 269 वोट मिले थे. वहीं बीजेपी के नंद कुमार साय को 22 हजार 119 को वोट मिले थे.

दलबदल नेताओं की सीट

मरवाही सीट की कहानी बेहद दिलचस्प है. ये दलबदलू विधायकों का क्षेत्र रहा है. इसकी शुरूआत बड़े आदिवासी नेता भंवर सिंह पोर्ते से ही हो जाती है. जिन्होंने 1972 ,1977 और 1980 के चुनाव जीत कर हैट्रिक लगाई. 1985 में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया और कांग्रेस के दीनदयाल विधायक बने. भंवर सिंह ने नाराज होकर कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और बीजेपी का दामन थाम लिया. जिसके बाद वे 1990 में एक बार फिर विधायक बने. 1993 में फिर बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया और कांग्रेस के पहलवान सिंह मरावी इस सीट से विधायक चुने गए.

जोगी का गढ़ या कांग्रेस का रण

मरवाही विधानसभा सीट जोगी का गढ़ बनने के पीछे विधानसभा में चुनाव में आने वाले चुनाव परिणाम हैं. जिसमें 2001 के बाद से ये विधानसभा जोगी परिवार की हो गई. साल 2003 और 2008 में अजीत जोगी लगातार यहां से विधायक रहे. 2013 में अमित जोगी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. जिसके बाद 2018 में अमित जोगी ने अपने पिता अजीत जोगी के लिए ये सीट छोड़ दी. राजनीतिक इतिहास बताता है कि यहां से भले ही दो बार बीजेपी के विधायक बने हैं, लेकिन इसकी तासीर कांग्रेसी ही है. हालांकि अमित जोगी मानते हैं कि ये कांग्रेस का नहीं बल्कि जोगी का गढ़ है. मरवाही की जनता मूल रूप से कांग्रेस पार्टी को ही अब तक चुनती आ रही है.

चुनाव से पहले सरकार मुझसे हार मान चुकी है: अमित जोगी

मरवाही विधानसभा क्षेत्र (क्रमांक 24) से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी-

  • सीट- अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित
  • कुल मतदाता संख्या - 1 लाख 91 हजार 244
  • पुरुष मतदाता - 93 हजार 843
  • महिला मतदाता - 97 हजार 397
  • मतदान केंद्र की संख्या - 283
  • सहायक मतदान केंद्र - 49
  • संवेदनशील मतदान केंद्र - 126

छत्तीसगढ़ में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और तत्कालीन पीसीसी चीफ भूपेश बघेल सूबे के मुखिया बने. जिसके बाद भूपेश बघेल ने 15 अगस्त 2019 में इस क्षेत्र को जिला बनाने की सौगात दी. जिसके बाद 10 फरवरी 2020 को गौरेला-पेंड्रा- मरवाही जिला अस्तित्व में आ गया.

क्षेत्र में विकासकार्यों की बहार

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला अस्तित्व में आने के बाद लगातार इस क्षेत्र में विकास के द्वार खोल दिए गए. इस बीच अचानक विधायक अजीत जोगी की तबीयत बिगड़ी और एक महीने तक कोमा में रहने के बाद उनका निधन हो गया. उनके निधन के बाद अब इस सीट पर उप चुनाव होना है. तो राज्य सरकार भी दिल खोलकर इस क्षेत्र के विकास के लिए एक के बाद एक घोषणा कर रही है. पिछले दिनों ही सीएम ने क्षेत्र को 332 करोड़ 64 लाख रुपयों के विकासकार्य की सौगात दी है. मरवाही को नगर पंचायत के साथ अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, पुलिस कार्यालय खोलने की घोषणा की. इतना ही नहीं गौरेला-पेंड्रा नगर पंचायत को नगर पालिका बनाने की घोषणा भी कर दी.

किसकी होगी जीत

विकास की बयार बहने के बाद अब देखना होगा कि मरवाही की जनता किसे अपना विधायक चुनती है. मरवाही का ये चुनाव सच में कांग्रेस की सीट है या फिर जोगी परिवार की, ये तो चुनाव परिणाम ही बताएगा.

Last Updated : Sep 29, 2020, 10:20 PM IST
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