ETV Bharat / state

जेल में बंद कैदियों को भी मिलना चाहिए वोटिंग का अधिकार, क्या कहते हैं इसपर कानून के जानकार - वोटिंग प्रतिशत

Bilaspur News कानून के जानकारों ने जेल में कैदियों को भी बैलेट पेपर के जरिए वोट देने का अधिकार मिलने की वकालत की है. बार काउंसिल के अध्यक्ष और सदस्य का मानना है कि, वोटिंग प्रतिशत में भी इजाफा होगा और सरकार चुनने का सबको अधिकार भी मिलेगा.

demanded prisoners should get the right
कैदियों को मिले वोट का अधिकार
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 30, 2023, 4:21 PM IST

Updated : Dec 2, 2023, 5:54 PM IST

कानून के जानकार चाहते हैं मिले वोट का अधिकार

बिलासपुर: जेल में बंद कैदी चुनाव तो लड़ सकता है, पर जेल में सजा काट रहा कैदी वोट नहीं दे सकता. दरअसल लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 62(5) के तहत, हिरासत में रहा शख्स और कारावास की सजा काट रहा आदमी वोट नहीं डाल सकता. कानून में प्रावधान है कि रासुका के तहत जेल में बंद कैदी को डाक मतपत्र के जरिए वोट का अधिकार है, अगर कैदी इसके लिए आवेदन करता है, तब रासुका की सजा भुगत रहा कैदी अगर जेल प्रबंधन से वोट देने की मांग करता है, तो उसे ये सुविधा दी जाती है. चूंकि जेल में ईवीएम ले जाने की अनुमति नहीं है, लिहाजा बैलेट पेपर से कैदी वोट कर सकता है.

तो बढ़ जाता वोटिंग प्रतिशत: बिलासपुर जेल में बंद तीन हजार से ज्यादा कैदियों ने अपने वोट का इस्तेमाल नहीं किया. जिन कैदियों ने अपने वोट का इस्तेमाल नहीं किया, उनको मतदान का अधिकार नहीं मिला था. बिलासपुर बार काउंसिल के अध्यक्ष और सदस्य दोनों का कहना है कि, कैदियों को भी मतदान का अधिकार मिलना चाहिए. जिस तरह से रासुका के कैदी को वोट का अधिकार है, वैसे ही दूसरे कैदियों को भी वोट का अधिकार दिया जाना चाहिए. बार काउंसिल के अध्यक्ष और बार काउंसिल के सदस्य का मानना है कि, इसपर चुनाव आयोग को जरूर विचार करना चाहिए. 3000 कैदियों ने अगर वोट का इस्तेमाल किया होता तो वोटिंग प्रतिशत में और इजाफा होता.

निर्वाचन आयोग से मांग: कानून के जानकार अधिवक्ता भी ये मानते हैं कि, जिस तरह से चुनाव कार्य में लगे कर्मचारी डाक मत पत्र से वोट देते हैं. उसी पैटर्न को फॉलो कर कैदियों को भी मतदान का अधिकार दिया जाना चाहिए. बार काउंसिल के अध्यक्ष ने कहा कि, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत ऑर्डर के साथ ही चालान और समन भेजने की प्रक्रिया को डिजिटल किये जाने की प्रक्रिया का समर्थन किया. कोर्ट ने कहा है कि यह प्रक्रिया अगर शुरू हो गई तो जमानत मिलने की तिथि पर ही कैदी की रिहाई हो सकती है. इसी तरह मतदान में इस प्रक्रिया को क्यों अपनाया नहीं जाता. भारत निर्वाचन आयोग की पहल से कैदियों को मताधिकार का अधिकार मिल सकता है.

बेमेतरा में काउंटिंग की तैयारियां पूरी, 2 दिसंबर को होगा फाइनल रिहर्सल, 3 दिसंबर को आएंगे नतीजे
कांकेर में महिला कर्मियों के हाथ काउंटिंग की कमान, जिले में दिखेगा आधी आबादी का दम
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने छत्तीसगढ़ चुनाव में किया जीत का दावा, कांग्रेस सरकार पर लगाया कुशासन का आरोप


कानून के जानकार चाहते हैं मिले वोट का अधिकार

बिलासपुर: जेल में बंद कैदी चुनाव तो लड़ सकता है, पर जेल में सजा काट रहा कैदी वोट नहीं दे सकता. दरअसल लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 62(5) के तहत, हिरासत में रहा शख्स और कारावास की सजा काट रहा आदमी वोट नहीं डाल सकता. कानून में प्रावधान है कि रासुका के तहत जेल में बंद कैदी को डाक मतपत्र के जरिए वोट का अधिकार है, अगर कैदी इसके लिए आवेदन करता है, तब रासुका की सजा भुगत रहा कैदी अगर जेल प्रबंधन से वोट देने की मांग करता है, तो उसे ये सुविधा दी जाती है. चूंकि जेल में ईवीएम ले जाने की अनुमति नहीं है, लिहाजा बैलेट पेपर से कैदी वोट कर सकता है.

तो बढ़ जाता वोटिंग प्रतिशत: बिलासपुर जेल में बंद तीन हजार से ज्यादा कैदियों ने अपने वोट का इस्तेमाल नहीं किया. जिन कैदियों ने अपने वोट का इस्तेमाल नहीं किया, उनको मतदान का अधिकार नहीं मिला था. बिलासपुर बार काउंसिल के अध्यक्ष और सदस्य दोनों का कहना है कि, कैदियों को भी मतदान का अधिकार मिलना चाहिए. जिस तरह से रासुका के कैदी को वोट का अधिकार है, वैसे ही दूसरे कैदियों को भी वोट का अधिकार दिया जाना चाहिए. बार काउंसिल के अध्यक्ष और बार काउंसिल के सदस्य का मानना है कि, इसपर चुनाव आयोग को जरूर विचार करना चाहिए. 3000 कैदियों ने अगर वोट का इस्तेमाल किया होता तो वोटिंग प्रतिशत में और इजाफा होता.

निर्वाचन आयोग से मांग: कानून के जानकार अधिवक्ता भी ये मानते हैं कि, जिस तरह से चुनाव कार्य में लगे कर्मचारी डाक मत पत्र से वोट देते हैं. उसी पैटर्न को फॉलो कर कैदियों को भी मतदान का अधिकार दिया जाना चाहिए. बार काउंसिल के अध्यक्ष ने कहा कि, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत ऑर्डर के साथ ही चालान और समन भेजने की प्रक्रिया को डिजिटल किये जाने की प्रक्रिया का समर्थन किया. कोर्ट ने कहा है कि यह प्रक्रिया अगर शुरू हो गई तो जमानत मिलने की तिथि पर ही कैदी की रिहाई हो सकती है. इसी तरह मतदान में इस प्रक्रिया को क्यों अपनाया नहीं जाता. भारत निर्वाचन आयोग की पहल से कैदियों को मताधिकार का अधिकार मिल सकता है.

बेमेतरा में काउंटिंग की तैयारियां पूरी, 2 दिसंबर को होगा फाइनल रिहर्सल, 3 दिसंबर को आएंगे नतीजे
कांकेर में महिला कर्मियों के हाथ काउंटिंग की कमान, जिले में दिखेगा आधी आबादी का दम
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने छत्तीसगढ़ चुनाव में किया जीत का दावा, कांग्रेस सरकार पर लगाया कुशासन का आरोप


Last Updated : Dec 2, 2023, 5:54 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.