ETV Bharat / state

दम तोड़ती स्वास्थ्य सेवाओं ने ली नवजात की जान, 3 दिन तक इलाज के लिए भटकती रही गर्भवती - स्वास्थ्य विभाग

एक बार फिर बिलासपुर से सटे गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल तस्वीर सामने आई है. यहां एक गर्भवती महिला कई अस्पताल के चक्कर लगाती रही. लेकिन महिला को इलाज नहीं मिल पाया.

Woman wandering for treatment
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, गौरेला
author img

By

Published : Sep 25, 2020, 10:46 PM IST

Updated : Sep 26, 2020, 7:19 AM IST

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल तस्वीर ने एक बार सूबे के अस्पतालों की पोल खोल दी है. गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में चिकित्सकों और अस्पताल प्रशासन का अमानवीय चेहरा एक बार फिर सामने आया है. पेंड्रा में एक गर्भवती महिला अपने इलाज के लिए जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौरेला और बिलासपुर सिम्स के चक्कर लगाती रही. लेकिन कहीं भी उसे इलाज नहीं मिला. बाद में गौरेला के निजी अस्पताल में महिला का इलाज किया गया. जहां उसके गर्भ से मृत बच्चे को बाहर निकाला गया.

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, गौरेला

गौरेला विकासखंड के पडवानीया गांव की रहने वाली 35 साल की महिला की तबीयत बीते बुधवार को खराब होने के बाद उसे बुधवार को एमसीएच अस्पताल गौरेला लाया गया था. वहां ड्यूटी पर पदस्थ डॉक्टर ने महिला का प्राथमिक उपचार करते हुए गर्भस्थ शिशु के हार्ट रेट न मिलने पर, अल्ट्रासाउंड की सलाह देते हुए सरकारी वाहन से बिलासपुर सिम्स के लिए रेफर कर दिया. जिसके बाद बुधवार को ही लगभग 3:30 बजे शाम को गर्भवती महिला को लेकर उसके परिजन सिम्स पहुंचे. परिजनों के मुताबिक लगभग 3 घंटे तक सिम्स के सभी जिम्मेदार अधिकारियों से मिलने के बावजूद पीड़ित महिला को सिम्स में भर्ती नहीं किया गया.

सिम्स में बनाया गया कोरोना का बहाना

अस्पताल में महिला को यह कह कर वापस भेज दिया गया कि यहां कोरोना फैला है, इसलिए इलाज नहीं हो सकता. 3 घंटे तक सिम्स के डॉक्टरों से भर्ती कराने की मिन्नतें करने के बाद पीड़ित परिवार गर्भवती महिला को लेकर वापस 120 किलोमीटर पेंड्रा रोड प्राइवेट अस्पताल पहुंचे. लेकिन प्राइवेट अस्पताल ने यह कह कर महिला को भर्ती करने से मना कर दिया कि जब तक बीएमओ की परमिशन नहीं होगी, हम आपको भर्ती नहीं कर सकते. आप सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाइए. जिसके बाद परिजन फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौरेला पहुंचे. यहां महिला को पूरी रात भर्ती रखा गया पर सुबह गुरुवार तक उसे इलाज नहीं मिला.

जांजगीर चांपा में सिस्टम की शर्मनाक तस्वीर, शव वाहन नहीं मिलने पर बाइक से शव ले गए परिजन

3 दिन पहले हो चुकी थी मौत

मामले पर जब एमसीएच अस्पताल के प्रभारी से बात की गई तो उन्होंने महिला को प्राथमिक उपचार के बाद सरकारी वाहन से बिलासपुर सिम्स रेफर करने की बात कही. वहीं निजी अस्पताल के चिकित्सक ने बताया कि महिला का इलाज जारी है. साथ ही गर्भस्थ शिशु की मौत हो चुकी है. जिसे दवाइयों से बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने यह भी बताया कि शिशु के मृत्यु लगभग 3 दिन पहले हो चुकी थी.

अस्पताल प्रबंधन की खुली पोल

वैसे तो सरकार ने स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए 4 किलोमीटर के अंदर ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल और 50 बिस्तर का एमसीएच अस्पताल उपलब्ध कराया है. लेकिन आदिवासी महिला का 300 किलोमीटर का यह सफर नवगठित जिले की पूरी व्यवस्था की तो पोल खोलता ही है, साथ ही सिम्स जैसे प्रतिष्ठित सरकारी संस्था के डॉक्टरों का अमानवीय चेहरा भी दिखाता है.

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल तस्वीर ने एक बार सूबे के अस्पतालों की पोल खोल दी है. गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में चिकित्सकों और अस्पताल प्रशासन का अमानवीय चेहरा एक बार फिर सामने आया है. पेंड्रा में एक गर्भवती महिला अपने इलाज के लिए जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौरेला और बिलासपुर सिम्स के चक्कर लगाती रही. लेकिन कहीं भी उसे इलाज नहीं मिला. बाद में गौरेला के निजी अस्पताल में महिला का इलाज किया गया. जहां उसके गर्भ से मृत बच्चे को बाहर निकाला गया.

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, गौरेला

गौरेला विकासखंड के पडवानीया गांव की रहने वाली 35 साल की महिला की तबीयत बीते बुधवार को खराब होने के बाद उसे बुधवार को एमसीएच अस्पताल गौरेला लाया गया था. वहां ड्यूटी पर पदस्थ डॉक्टर ने महिला का प्राथमिक उपचार करते हुए गर्भस्थ शिशु के हार्ट रेट न मिलने पर, अल्ट्रासाउंड की सलाह देते हुए सरकारी वाहन से बिलासपुर सिम्स के लिए रेफर कर दिया. जिसके बाद बुधवार को ही लगभग 3:30 बजे शाम को गर्भवती महिला को लेकर उसके परिजन सिम्स पहुंचे. परिजनों के मुताबिक लगभग 3 घंटे तक सिम्स के सभी जिम्मेदार अधिकारियों से मिलने के बावजूद पीड़ित महिला को सिम्स में भर्ती नहीं किया गया.

सिम्स में बनाया गया कोरोना का बहाना

अस्पताल में महिला को यह कह कर वापस भेज दिया गया कि यहां कोरोना फैला है, इसलिए इलाज नहीं हो सकता. 3 घंटे तक सिम्स के डॉक्टरों से भर्ती कराने की मिन्नतें करने के बाद पीड़ित परिवार गर्भवती महिला को लेकर वापस 120 किलोमीटर पेंड्रा रोड प्राइवेट अस्पताल पहुंचे. लेकिन प्राइवेट अस्पताल ने यह कह कर महिला को भर्ती करने से मना कर दिया कि जब तक बीएमओ की परमिशन नहीं होगी, हम आपको भर्ती नहीं कर सकते. आप सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाइए. जिसके बाद परिजन फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौरेला पहुंचे. यहां महिला को पूरी रात भर्ती रखा गया पर सुबह गुरुवार तक उसे इलाज नहीं मिला.

जांजगीर चांपा में सिस्टम की शर्मनाक तस्वीर, शव वाहन नहीं मिलने पर बाइक से शव ले गए परिजन

3 दिन पहले हो चुकी थी मौत

मामले पर जब एमसीएच अस्पताल के प्रभारी से बात की गई तो उन्होंने महिला को प्राथमिक उपचार के बाद सरकारी वाहन से बिलासपुर सिम्स रेफर करने की बात कही. वहीं निजी अस्पताल के चिकित्सक ने बताया कि महिला का इलाज जारी है. साथ ही गर्भस्थ शिशु की मौत हो चुकी है. जिसे दवाइयों से बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने यह भी बताया कि शिशु के मृत्यु लगभग 3 दिन पहले हो चुकी थी.

अस्पताल प्रबंधन की खुली पोल

वैसे तो सरकार ने स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए 4 किलोमीटर के अंदर ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल और 50 बिस्तर का एमसीएच अस्पताल उपलब्ध कराया है. लेकिन आदिवासी महिला का 300 किलोमीटर का यह सफर नवगठित जिले की पूरी व्यवस्था की तो पोल खोलता ही है, साथ ही सिम्स जैसे प्रतिष्ठित सरकारी संस्था के डॉक्टरों का अमानवीय चेहरा भी दिखाता है.

Last Updated : Sep 26, 2020, 7:19 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.