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बिलासपुर: लॉकडाउन में दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हुआ समारू - खाने के लिए संघर्ष कर रहे गरीब

लॉकडाउन की वजह से कबाड़ बिनकर रोजी रोटी कमाने वाला समारू को खाना जुटाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है. प्रशासन की ओर से उस तक मदद नहीं पहुंच पा रही थी. फिर आरपीएफ पुलिस की ओर से उसे पिछले सप्ताह चावल दिया गया था.

poor are worried about having food in Bilaspur
दो वक्त की रोटी के लिए परेशान समारू
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Published : Apr 30, 2020, 10:55 PM IST

Updated : May 1, 2020, 12:11 PM IST

बिलासपुर: लॉकडाउन की वजह से रोज कमाने वालों को अपना पेट पालने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कबाड़ बीनकर गरीब अपना पेट पालने को मजबूर हैं. वहीं बाहर से आया समारू अपना पेट पालने को दर-दर भटकने को मजबूर है.

लॉकडाउन में दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हुआ समारू

बिलासपुर के रेलवे इलाके में गरीबों की मदद की बात तो सभी कर रहे हैं, लेकिन तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है. गरीब समारू, जैसे-तैसे खाने का इंतजाम कर अपना पेट भर रहा था, लेकिन पिछले एक सप्ताह से उसे कभी खाना मिलता था, तो कभी भूखा ही सोना पड़ता था. जब इस बात की जानकारी आरपीएफ पुलिस को लगी, तो उनकी ओर से चावल दिया गया, जिससे अब वो अपना पेट भर सकेगा.

समाज सेवी कर रहे गरीबों की सेवा

रेलवे कॉलोनी में ऐसे बहुत से लोग मिल जाएंगे, जो लॉकडाउन में किसी तरह से संघर्ष कर अपनी पेट की आग बुझा रहे हैं. उन्हें कभी सिर्फ एक वक्त का खाना मिलता है तो कभी वो भी नसीब नहीं हो पाता. शहर के कुछ समाज सेवक इन्हें बीच-बीच में खाना मुहैया कराते रहते हैं. प्रशासन आए दिन गरीबों की मदद करने के लिए योजना बना रहा है, वहीं समारू जैसे कुछ लोग ऐसे भी जिन्हें अभी भी उन फरिश्तों का इंतजार है, जो उन्हें खाना मुहैया कराकर पेट की आग बुझा सकें.

बिलासपुर: लॉकडाउन की वजह से रोज कमाने वालों को अपना पेट पालने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कबाड़ बीनकर गरीब अपना पेट पालने को मजबूर हैं. वहीं बाहर से आया समारू अपना पेट पालने को दर-दर भटकने को मजबूर है.

लॉकडाउन में दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हुआ समारू

बिलासपुर के रेलवे इलाके में गरीबों की मदद की बात तो सभी कर रहे हैं, लेकिन तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है. गरीब समारू, जैसे-तैसे खाने का इंतजाम कर अपना पेट भर रहा था, लेकिन पिछले एक सप्ताह से उसे कभी खाना मिलता था, तो कभी भूखा ही सोना पड़ता था. जब इस बात की जानकारी आरपीएफ पुलिस को लगी, तो उनकी ओर से चावल दिया गया, जिससे अब वो अपना पेट भर सकेगा.

समाज सेवी कर रहे गरीबों की सेवा

रेलवे कॉलोनी में ऐसे बहुत से लोग मिल जाएंगे, जो लॉकडाउन में किसी तरह से संघर्ष कर अपनी पेट की आग बुझा रहे हैं. उन्हें कभी सिर्फ एक वक्त का खाना मिलता है तो कभी वो भी नसीब नहीं हो पाता. शहर के कुछ समाज सेवक इन्हें बीच-बीच में खाना मुहैया कराते रहते हैं. प्रशासन आए दिन गरीबों की मदद करने के लिए योजना बना रहा है, वहीं समारू जैसे कुछ लोग ऐसे भी जिन्हें अभी भी उन फरिश्तों का इंतजार है, जो उन्हें खाना मुहैया कराकर पेट की आग बुझा सकें.

Last Updated : May 1, 2020, 12:11 PM IST
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