बिलासपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ आने वाले हैं. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अब राजनीतिक पार्टियां एक्टिव मोड पर आ चुकी है. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ में लगातार हो रही टूट के बाद प्रदेश में आम आदमी पार्टी सक्रिय हो चुकी है. रविवार को बिलासपुर में दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बड़ी सभा की. इस सभा में पंजाब के सीएम भगवंत मान भी पहुंचे थे. इस सभा के बाद अब बीजेपी और कांग्रेस दोनों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. क्योंकि जेपी नड्डा की सभा में जितनी भीड़ जुटी थी उससे कहीं ज्यादा आम आदमी पार्टी की सभा में थी. बताया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी की सभा में 25 हजार से ज्यादा की भीड़ जुटी थी.
बीजेपी के लिए नई मुसीबत : विधानसभा चुनाव के पहले आम आदमी पार्टी की सभा में जुटी भीड़ ने विरोधियों को बड़ा संदेश दिया है. जिसके बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में विकराल भीड़ जुटाने का लक्ष्य बीजेपी नेताओं को मिला है. क्योंकि जेपी नड्डा की सभा में बीजेपी ने दावा किया था कि वो 80 हजार की भीड़ जुटाएगी.लेकिन ऐसा हो ना सका.जेपी नड्डा की सभा में 20 हजार तक ही आंकड़ा पहुंच सका था. ऐसे में आम आदमी पार्टी की सभा में जुटी भीड़ ने कहीं ना कहीं ये संकेत दिया है कि आने वाले चुनाव में उसे कमतर आंकना गलती होगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आ रहे हैं रायपुर : छत्तीसगढ़ में बीजेपी सत्ता वापसी की राह देख रही है. जिसके लिए केंद्रीय नेतृत्व ने चुनाव के कई महीने पहले से ही प्रदेश में घेराबंदी करनी शुरु कर दी है. लेकिन अब तक बीजेपी की जितनी भी सभाएं प्रदेश में हुई हैं, उनमें उतना बड़ा जनसैलाब देखने को नहीं मिला जितना अक्सर देखने को मिलता है. ऐसे में आम आदमी पार्टी की सभा में जुटी भीड़ ने पीएम मोदी की सभा के लिए बीजेपी कार्यकर्ताओं को अलर्ट कर दिया है. लिहाजा मोदी की सभा के लिए कार्यकर्ताओं को ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने का टारगेट सौंपा गया है.
राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की सभा में नहीं जुटी थी भीड़ : बिलासपुर में केजरीवाल से पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दौरा किया था.लेकिन 15 साल तक राज करने वाली बीजेपी के लिए इस सभा में उसके कार्यकर्ता नजर नहीं आए.जिसके लिए स्थानीय नेताओं को नाराजगी भी झेलनी पड़ी थी.अब प्रधानमंत्री का दौरा प्रस्तावित है.ऐसे में यदि जेपी नड्डा की सभा जैसा हाल प्रधानमंत्री की सभा में रहा तो ये बीजेपी के लिए अच्छे संकेत नहीं माने जाएंगे.