बिलासपुर : राज्य का जातिगत आरक्षण मामला फिर हाईकोर्ट पहुंच गया है. इस बार आदिवासी नेता संत कुमार नेताम हाईकोर्ट पहुंच गए हैं. उन्होंने राज्य जातिगत आरक्षण को राजभवन में रोके जाने और किस अधिकार के तहत अब तक हस्ताक्षर या वापस नहीं किए जाने को लेकर याचिका लगाई है. इस याचिका में सुनवाई तो नहीं हो पाई है, लेकिन 1 मार्च को सुनवाई हो सकती है. वहीं राज्य सरकार के याचिका पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और एडवोकेट कपिल सिब्बल ने पैरवी की. इस पैरवी के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला अभी तक नहीं सुनाया है.
सचिवालय नोटिस मामले में फैसला सुरक्षित : राज्यपाल सचिवालय को मिले नोटिस के जवाब में सचिवालय हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. इस याचिका में हाई कोर्ट की जस्टिस रजनी दुबे की कोर्ट में बहस हुई और मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. आरक्षण विधेयक बिल को राजभवन में रोकने को राज्य शासन ने भी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इस याचिका के बाद हाईकोर्ट ने राजभवन सचिवालय को नोटिस जारी किया था. जिसमें उनसे आरक्षण पर साइन नहीं करने का कारण पूछा था.
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कब तक विधेयक को राजभवन में रखने का अधिकार : आरक्षण मामले में शुक्रवार को एक और याचिका दायर की गई है. इस याचिका को आदिवासी नेता संत कुमार नेताम ने लगाया है. संत कुमार नेताम ने अपनी याचिका में पूछा है कि राज्यपाल सचिवालय को किसी भी बिल को कब तक रखने का अधिकार है. याचिका में यह भी पूछा गया है कि राज्यपाल याचिका को कब तक अपने पास रख सकते हैं, और इस पर अपना निर्णय कब तक दे सकते हैं. इस मामले की सुनवाई 1 मार्च को हो सकती है.आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने आरक्षण संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित करने के बाद राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा था.लेकिन राजभवन ने अभी तक इस विधेयक पर साइन नहीं किए हैं.