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स्कूलों में छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई अनिवार्य करने पर हाईकोर्ट में लगी याचिका

छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना की प्रदेशाध्यक्ष लता राठौर ने जनहित याचिका लगाई है. जिसमें छत्तीसगढ़ी भाषा में पहली से आठवीं तक पढ़ाई को छत्तीसगढ़ के स्कूलों में अनिवार्य करने की मांग की गई है.

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Published : Aug 4, 2021, 10:52 PM IST

Chhattisgarh High Court
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ी भाषा में पहली से आठवीं तक पढ़ाई को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई है. छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना की प्रदेश अध्यक्ष लता राठौर ने जनहित याचिका लगाई है. इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट यशवंत ठाकुर ने कोर्ट में कहा है कि एनसीईआरटी के नेशनल करिकुलम फ्रेम वर्क में कहा गया है कि मातृ भाषा से यदि पढ़ाया जाता है तो बच्चों को पढ़ाई करने और समझने में आसानी होती है.

धोखाधड़ी का मामला: छत्तीसगढ़ HC ने कार डिजाइनर दिलीप छाबड़िया के खिलाफ कार्रवाई के दिए निर्देश

इस मामले की सुनवाई एक्टिंग चीफ जस्टिस की डिवीजन बैंच में हुई. याचिका में कहा गया है कि जिस तरह अन्य राज्यों में वहां की मातृ भाषा मे पढ़ाया जाता है. वैसे छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी भाषा में क्यों नहीं पढ़ाया जाता है. जबकि एनसीईआरटी ने तीन भाषा हिंदी, इंग्लिश और मातृ भाषा की पढ़ाई को मंजूरी दी है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है. इस मामले पर 26 अगस्त को अगली सुनवाई होगी.

छत्तीसगढ़ी में होता है पोस्ट ग्रेजुवेशन

प्रदेश के स्कूलों में हालांकि स्कूलों में छत्तीसगढ़ी में पढ़ाई नहीं हो रही है. इसको लेकर काफी लंबे समय से मांग की जा रही है. लेकिन पंडित रविशंकर शुक्ल विश्व विद्यालय में छत्तीसगढ़ी में एमए कराया जा रहा है. छत्तीसगढ़ी पोस्ट ग्रेजुवेशन विषय के तौर पर लंबे समय से विश्वविद्यालय में मौजूद है.

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ी भाषा में पहली से आठवीं तक पढ़ाई को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई है. छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना की प्रदेश अध्यक्ष लता राठौर ने जनहित याचिका लगाई है. इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट यशवंत ठाकुर ने कोर्ट में कहा है कि एनसीईआरटी के नेशनल करिकुलम फ्रेम वर्क में कहा गया है कि मातृ भाषा से यदि पढ़ाया जाता है तो बच्चों को पढ़ाई करने और समझने में आसानी होती है.

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छत्तीसगढ़ी में होता है पोस्ट ग्रेजुवेशन

प्रदेश के स्कूलों में हालांकि स्कूलों में छत्तीसगढ़ी में पढ़ाई नहीं हो रही है. इसको लेकर काफी लंबे समय से मांग की जा रही है. लेकिन पंडित रविशंकर शुक्ल विश्व विद्यालय में छत्तीसगढ़ी में एमए कराया जा रहा है. छत्तीसगढ़ी पोस्ट ग्रेजुवेशन विषय के तौर पर लंबे समय से विश्वविद्यालय में मौजूद है.

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