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डामर घोटाला मामले में फिर हाइकोर्ट में लगी याचिका, सोमवार को अगली सुनवाई - डिवीजन बेंच

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)के बिलासपुर (Bilaspur) में हुए डामर घोटाले (Damar scam) के मामले में सुनवाई के दौरान लोक निर्माण सचिव (public works secretary) ने हाईकोर्ट (High Court) में शपथपत्र (Affidavit) प्रस्तुत कर दिया. अब इस मामले में सोमवार को सुनवाई होगी.

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डामर घोटाला मामले में फिर हाइकोर्ट में लगी याचिका
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Published : Nov 18, 2021, 10:19 PM IST

बिलासपुरः बिलासपुर (Bilaspur) में हुए डामर घोटाले (Damar scam) के मामले में सुनवाई के दौरान लोक निर्माण सचिव(public works secretary) ने हाईकोर्ट (High Court) में शपथपत्र (Affidavit)प्रस्तुत कर दिया. अब इस मामले में सोमवार को सुनवाई (hearing) होगी. बताया जा रहा है कि प्रदेश भर में हुए डामर घोटले का मामला एक बार फिर हाईकोर्ट में जनहित याचिका (Public interest litigation) के रूप में प्रस्तुत हुआ है.दरअसल, दायर की गई जनहित याचिका पर पहले जस्टिस एमएम श्रीवास्तव (Justice MM Srivastava) और जस्टिस विमला सिंह कपूर (Justice Vimla Singh Kapoor) की डिवीजन बेंच (Division bench) ने शासन को यह बताने के निर्देश दिए थे कि इस मामले में अब तक क्या-क्या कार्यवाई की गई है. शासन को 2 सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने निर्देश दिया गया था.

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कार्यवाही न होने पर दोबारा याचिका दायर की गई

वहीं, साल 2019 में सुनवाई के दौरान शासन ने कोर्ट से कहा था कि मामले में कार्रवाई होगी. मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने शासन के जवाब से संतुष्ट होकर निर्देश देते हुए जनहित याचिका को निराकृत कर दिया था. इसके बाद से अब तक कार्यवाही नहीं होने पर दोबारा जनहित याचिका दायर की गई है.गौर हो कि 2016 में रायपुर निवासी वीरेंद्र पाण्डे ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि प्रदेशभर में 21 सड़कों के निर्माण के लिए एडीबी से 12 सौ करोड़ का कर्ज लिया गया था. 12 सौ करोड़ में से तकरीबन 200 करोड़ का घोटाला किया गया है.

बिलासपुरः बिलासपुर (Bilaspur) में हुए डामर घोटाले (Damar scam) के मामले में सुनवाई के दौरान लोक निर्माण सचिव(public works secretary) ने हाईकोर्ट (High Court) में शपथपत्र (Affidavit)प्रस्तुत कर दिया. अब इस मामले में सोमवार को सुनवाई (hearing) होगी. बताया जा रहा है कि प्रदेश भर में हुए डामर घोटले का मामला एक बार फिर हाईकोर्ट में जनहित याचिका (Public interest litigation) के रूप में प्रस्तुत हुआ है.दरअसल, दायर की गई जनहित याचिका पर पहले जस्टिस एमएम श्रीवास्तव (Justice MM Srivastava) और जस्टिस विमला सिंह कपूर (Justice Vimla Singh Kapoor) की डिवीजन बेंच (Division bench) ने शासन को यह बताने के निर्देश दिए थे कि इस मामले में अब तक क्या-क्या कार्यवाई की गई है. शासन को 2 सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने निर्देश दिया गया था.

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कार्यवाही न होने पर दोबारा याचिका दायर की गई

वहीं, साल 2019 में सुनवाई के दौरान शासन ने कोर्ट से कहा था कि मामले में कार्रवाई होगी. मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने शासन के जवाब से संतुष्ट होकर निर्देश देते हुए जनहित याचिका को निराकृत कर दिया था. इसके बाद से अब तक कार्यवाही नहीं होने पर दोबारा जनहित याचिका दायर की गई है.गौर हो कि 2016 में रायपुर निवासी वीरेंद्र पाण्डे ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि प्रदेशभर में 21 सड़कों के निर्माण के लिए एडीबी से 12 सौ करोड़ का कर्ज लिया गया था. 12 सौ करोड़ में से तकरीबन 200 करोड़ का घोटाला किया गया है.

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