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नगर सरकार : बिलासपुर नगर निगम के ज्वलंत मुद्दे, न्यायधानी की समस्या

बिलासपुर के महापौर किशोर राय के काम काज को लेकर जनता ने अपनी राय दी. निगम के काम से कुछ हद तक लोग खुश हैं तो कुछ नाराज भी हैं.

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Published : Dec 11, 2019, 11:28 PM IST

Updated : Dec 11, 2019, 11:56 PM IST

नगर सरकार
नगर सरकार

बिलासपुर : नए परिसीमन और सीमांकन के बाद बिलासपुर नगर निगम का ये पहला चुनाव है. 1 जनवरी 1981 से लेकर अब तक निगम में कई बदलाव हुए. इस दौरान बिलासपुर ने विकास का लंबा दौर देखा तो वहीं कई अधूरे कामों में बिलासपुर के विकास में रोड़ा भी अटकाया. नेता और पार्टियां विकास के अपने-अपने दावे करते हैं लेकिन आम जनता की नजर में बिलासपुर न्यायधानी होने के नाते उतना विकास नहीं कर सकी जितना बाकि शहर आगे है.

बिलासपुर नगर निगम की रिपोर्ट

एक नजर बिलासपुर नगर निगम पर

  • कुल वार्ड - 70
  • कुल मतदाता - 4 लाख 41 हजार 584
  • पुरुष मतदाता - 2 लाख 23 हजार 109
  • महिला मतदाता - 2 लाख 18 हजार 429
  • अन्य मतदाता - 46

2014 नगरीय निकाय चुनाव के नतीजे

  • 2014 में कुल वार्ड - 66
  • बीजेपी- 39 पार्षद (महिला 11, पुरूष 28)
  • कांग्रेस- 24 पार्षद (महिला 8, पुरूष 16)
  • 3 निर्दलीय पार्षद चुने गए.

स्थानीय मुद्दे

  • न्यायधानी होने के बावजूद विकास में पिछड़ा
  • सड़क, पानी, बिजली जैसे बुनियादी सुविधाओं की कमी
  • बरसात के दिनों में जलभराव की स्थिति
  • अंडरग्राउंड सीवरेज प्रोजेक्ट अब भी अधूरा
  • ट्रैफिक और अतिक्रमण की समस्या

5 साल में हुए काम

  • 17000 एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाईं गईं.
  • 3 करोड़ की लागत से वर्किंग वूमंस हॉस्टल बनाया गया.
  • डोर-टू-डोर कचरा एकत्र करने की पहल.
  • स्वच्छता सर्वेक्षण में 22वां स्थान.
  • शहर में 3 बाईपास सड़क की उपलब्धि.

बिलासपुर नगर निगम का इतिहास

  • 31 दिसंबर 1980 तक बिलासपुर नगर पालिका रहा.
  • 1 जनवरी 1981 में बिलासपुर को निगम का दर्जा मिला.
  • 5 सितंबर 1983 में अशोक राव पहले मेयर बने.
  • 2 सितंबर 1984 में अशोक राव ने इस्तीफा दे दिया.
  • बलराम सिंह, कुमार अग्रवाल और फिर बलराम सिंह महापौर बने.
  • 1993 में वार्डों की संख्या 48 हो गई.
  • 1994 में राजेश पांडेय महापौर चुने गए.
  • 1998-99 में भाजपा के उमाशंकर जायसवाल महापौर बने.
  • वार्ड संख्या बढ़ाकर 48 से 55 कर दी गई.
  • 2005 में अशोक पिंगले महापौर चुने गए.
  • कार्यकाल के दौरान पिंगले का निधन हो गया, विनोद सोनी प्रभारी महापौर बनाए गए.
  • 2009 में कांग्रेस से वाणी राव पहली महिला महापौर चुनी गई.
  • 2015 में वार्डों की संख्या बढ़ाकर 66 कर दी गई.
  • 2015 में भाजपा किशोर राय महापौर चुने गए.

बिलासपुर नगर निगम की वर्तमान स्थिति

  • नए परिसीमन के तहत 18 गांव शामिल किए गए.
  • वार्डों की संख्या 66 से 70 की गई.
  • 25 साल बाद ये इतिहास दोहरा रहा है.

निगम में 5 विधायकों का दखल

  • नए परिसीमन से कई दिग्गजों के वार्डों का वजूद खत्म
  • बिलासपुर निगम में 5 विधायकों का हस्तक्षेप बढ़ा.

बीते चुनाव की स्थिति

  • पिछले साल में नगर विधायक बीजेपी के अमर अग्रवाल थे.
  • बीजेपी के किशोर राय मेयर चुने गए थे.
  • कांग्रेस के रामशरण यादव को हार सामना करना पड़ा.

बिलासपुर : नए परिसीमन और सीमांकन के बाद बिलासपुर नगर निगम का ये पहला चुनाव है. 1 जनवरी 1981 से लेकर अब तक निगम में कई बदलाव हुए. इस दौरान बिलासपुर ने विकास का लंबा दौर देखा तो वहीं कई अधूरे कामों में बिलासपुर के विकास में रोड़ा भी अटकाया. नेता और पार्टियां विकास के अपने-अपने दावे करते हैं लेकिन आम जनता की नजर में बिलासपुर न्यायधानी होने के नाते उतना विकास नहीं कर सकी जितना बाकि शहर आगे है.

बिलासपुर नगर निगम की रिपोर्ट

एक नजर बिलासपुर नगर निगम पर

  • कुल वार्ड - 70
  • कुल मतदाता - 4 लाख 41 हजार 584
  • पुरुष मतदाता - 2 लाख 23 हजार 109
  • महिला मतदाता - 2 लाख 18 हजार 429
  • अन्य मतदाता - 46

2014 नगरीय निकाय चुनाव के नतीजे

  • 2014 में कुल वार्ड - 66
  • बीजेपी- 39 पार्षद (महिला 11, पुरूष 28)
  • कांग्रेस- 24 पार्षद (महिला 8, पुरूष 16)
  • 3 निर्दलीय पार्षद चुने गए.

स्थानीय मुद्दे

  • न्यायधानी होने के बावजूद विकास में पिछड़ा
  • सड़क, पानी, बिजली जैसे बुनियादी सुविधाओं की कमी
  • बरसात के दिनों में जलभराव की स्थिति
  • अंडरग्राउंड सीवरेज प्रोजेक्ट अब भी अधूरा
  • ट्रैफिक और अतिक्रमण की समस्या

5 साल में हुए काम

  • 17000 एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाईं गईं.
  • 3 करोड़ की लागत से वर्किंग वूमंस हॉस्टल बनाया गया.
  • डोर-टू-डोर कचरा एकत्र करने की पहल.
  • स्वच्छता सर्वेक्षण में 22वां स्थान.
  • शहर में 3 बाईपास सड़क की उपलब्धि.

बिलासपुर नगर निगम का इतिहास

  • 31 दिसंबर 1980 तक बिलासपुर नगर पालिका रहा.
  • 1 जनवरी 1981 में बिलासपुर को निगम का दर्जा मिला.
  • 5 सितंबर 1983 में अशोक राव पहले मेयर बने.
  • 2 सितंबर 1984 में अशोक राव ने इस्तीफा दे दिया.
  • बलराम सिंह, कुमार अग्रवाल और फिर बलराम सिंह महापौर बने.
  • 1993 में वार्डों की संख्या 48 हो गई.
  • 1994 में राजेश पांडेय महापौर चुने गए.
  • 1998-99 में भाजपा के उमाशंकर जायसवाल महापौर बने.
  • वार्ड संख्या बढ़ाकर 48 से 55 कर दी गई.
  • 2005 में अशोक पिंगले महापौर चुने गए.
  • कार्यकाल के दौरान पिंगले का निधन हो गया, विनोद सोनी प्रभारी महापौर बनाए गए.
  • 2009 में कांग्रेस से वाणी राव पहली महिला महापौर चुनी गई.
  • 2015 में वार्डों की संख्या बढ़ाकर 66 कर दी गई.
  • 2015 में भाजपा किशोर राय महापौर चुने गए.

बिलासपुर नगर निगम की वर्तमान स्थिति

  • नए परिसीमन के तहत 18 गांव शामिल किए गए.
  • वार्डों की संख्या 66 से 70 की गई.
  • 25 साल बाद ये इतिहास दोहरा रहा है.

निगम में 5 विधायकों का दखल

  • नए परिसीमन से कई दिग्गजों के वार्डों का वजूद खत्म
  • बिलासपुर निगम में 5 विधायकों का हस्तक्षेप बढ़ा.

बीते चुनाव की स्थिति

  • पिछले साल में नगर विधायक बीजेपी के अमर अग्रवाल थे.
  • बीजेपी के किशोर राय मेयर चुने गए थे.
  • कांग्रेस के रामशरण यादव को हार सामना करना पड़ा.
Intro:नए परिसीमन और सीमा वृद्धि के बाद बिलासपुर नगर निगम का यह पहला चुनाव है जो काफी अहम माना जा रहा है। राज्य सरकार ने 1 जनवरी 1981 को बिलासपुर को निगम का दर्जा दिया था,तब से बिलासपुर नगर निगम में कई सियासी उठापटक देखने को मिली । 5 सितम्बर 1983 को बिलासपुर के पहले मेयर के रूप में अशोक राव चुने गए थे । आज एक बार फिर 25 वर्ष बाद पुराने सिस्टम से अप्रत्यक्ष प्रणाली के तहत बिलासपुर में मेयर का चुनाव होना है जो कई मायनों में काफी दिलचस्प हो सकता है...पेश है एक ख़ास रिपोर्ट ।






Body:इससे पहले वर्ष 1994 में पार्षदों ने ही मेयर का चुनाव किया था उसके बाद फिर यह व्यवस्था बदल दी गई थी ।
खींचतान में गुजरे 5 साल... शहर सरकार के बीते 5 साल भी खींचतान में गुजर गया । न्यायधानी दूसरे शहर व खासकर राजधानी के मुकाबले काफी पिछड़ती नजर आई । शहर की आबादी बढ़ती गई । एक के बाद एक जनप्रतिनिधि चुने गए लेकिन समस्या जस की तस बनी रही । शहर अभी भी सड़क,पानी,बिजली, नाली जैसी बुनियादी सुविधाओं से दो चार होते रहता है । शहर के कई इलाकों में आज भी बरसात के दिनों में जलभराव जैसी स्थिति बन जाती है सड़कों का हाल खास्ता नजर आता है । शहर में सबसे बड़ा नासूर सीवरेज प्रोजेक्ट बन गया जो एक दशक के बाद भी अपूर्ण है और निर्माणाधीन सीवरेज प्रोजेक्ट का खामियाजा कइयों ने अपनी जान गंवा के दी है । 2 साल में पूरी होने वाली योजना आज 8 से 10 साल में भी अपूर्ण है । शहर में ट्रैफिक और अतिक्रमण की समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है । कुल मिलाकर यहां सिर्फ नेताओं का आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला ही दिखा और शहर को उस स्वरूप में नहीं लाया गया जितनी उम्मीद की गई थी ।

निगम में 5 विधायकों का दखल--
नए परिसीमन से कई दिग्गजों के वार्डों का वजूद ही खत्म हो गया है । पहले ननि में सिर्फ नगर विधायक का ही वजूद रहता था लेकिन आगामी चुनाव के मद्देनजर अब बेलतरा,मस्तूरी, तखतपुर, और बिल्हा विधानसभा के 18 गांवों के सीमा में आने के बाद बिलासपुर निगम में कुल 5 विधायकों का हस्तक्षेप बढ़ गया है । इस बार मेयर के दावेदारों को पहले पार्षद का चुनाव जीतना होगा । यदि पार्षद चुनाव हार जाते हैं तो यहीं से उनकी दावेदारी खत्म हो जाएगी । लिहाजा शहर के बड़े बड़े सुरमा अभी अपनी वार्ड बचाने में लगे हैं ।

शहर में 18 गांवों के साथ 70 वार्ड की तस्वीर कुछ ऐसी होगी--

निगम में पहली बार 70 वार्ड हुए हैं । अबतक 15 गांव निगम के दायरे में आते थे अब 18 गाँव शामिल हो चुके हैं । पहले एक नगरपालिका और नगर पंचायत के मतदाता चुनाव में भाग लेते थे वो इस बार निगम पार्षद का चुनाव करेंगे ।

बीते चुनाव की स्थिति---

पिछले सत्र में जब प्रदेश में bjp की सरकार थी और बिलासपुर में नगर विधायक bjp के ही अमर अग्रवाल थे तब bjp से किशोर राय मेयर चुने गए थे । बीते चुनाव में किशोर राय का मुकाबला रामशरण यादव से हुआ था और किशोर राय ने 32 हजार वोट से जीत हासिल की थी । लेकिन अब प्रदेश व शहर विधायक के सीट पर कांग्रेस का कब्जा है । ऐसे में चुनावी समीकरण में उलट फेर हो सकती है,इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता ।

पिछले 5 साल में निगम की उपलब्धि.....शहर में तकरीबन 17000 एलईडी लाइट लगाई गई। 3 करोड़ के लागत का वर्किंग वूमंस हॉस्टल बनाया गया । डोर टू डोर कचरा भी एक उपलब्धि है । स्वच्छता सर्वेक्षण में देश में बिलासपुर शहर ने 22 वां स्थान प्राप्त किया था । रहनेवाले शहरों में देश में बिलासपुर ने 13वां स्थान बनाकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की । बिलासपुर के मेयर किशर राय बताते हैं कि उन्होंने अपने शहर में 3 बाईपास सड़क,मैक्नेनाइज्ड स्वीपिंग मशीन,निर्माणाधीन ई लाइब्रेरी,यातयात सुगम करने जैसी कई उपलब्धियां हासिल की लेकिन निगम क्षेत्र में स्कूलों की संख्या ना बढ़ाने का उन्हें मलाल भी है ।


कब कौन मेयर और इतिहास....


31 दिसम्बर 1980 तक बिलासपुर नगर पालिका रहा, जिसमें 36 वार्ड थे जिसके अंतिम अध्यक्ष डॉ श्रीधर मिश्र थे । राज्य सरकार ने 1 जनवरी 1981 को बिलासपुर को निगम का दर्जा दिया फिर वार्ड बढ़कर 42 हो गए । 1983 को पहले मेयर के रूप में अशोक राव चुने गए । उस समय महापौर का चुनाव 1 वर्ष का होता था । 2 सितम्बर 1984 को अशोक राव के त्यागपत्र के बाद बलराम सिंह,श्री कुमार अग्रवाल और फिर बलराम सिंह महापौर बने । यह सभी का कार्यकाल 1 वर्ष तक चला जो 4 सितंबर 1987 तक चला । 1987 के बाद शासन ने प्रशासक बैठा दिया जो वर्ष 1993 तक था । और इस बीच नए परिसीमन के तहत वार्डों की संख्या 48 हो गई । दिसम्बर 1983 में वार्ड पार्षदों के चुनाव हुए और नियमों का संशोधन कर महापौर का चयन हुआ । 1994 में राजेश पांडेय महापौर चुने गए । उनका कार्यकाल ढाई साल का था जिसे 5 साल कर दिया गया। 1998-99 में फिर चुनाव हुआ जिसमें भाजपा के उमाशंकर जयसवाल महापौर बनाये गए । इसके बाद शासन ने नियम में बदलाव कर महापौर का चुनाव विधायको की तरह जनता से कराने का निर्णय लिया,फिर नए परिसीमन के तहत 55 वार्ड बनाये गए । 2005 में अशोक पिंगले महापौर चुने गए । कार्यकाल के दौरान उनका निधन हो गया तब विनोद सोनी प्रभारी महापौर बनाये गए । वर्ष 2010 का चुनाव कांग्रेस की वाणी राव ने जीती थी और पहली बार महिला मेयर निगम में आई । वर्ष 2015 में वार्डों का परिसीमन कर 66 वार्ड बनाये गए और फिर किशर राय महापौर चुने गए । इस बार निगम में नए परिसीमन के तहत 18 गांव शामिल हुए और वार्डों की संख्या 66 से 70 कर दिया गया ।

फैक्ट फिगर.....

बिलासपुर ननि(2019)
कुल वार्ड...70
कुल मतदाता...4 लाख 41 हजार 584
पुरुष..............2 लाख 23 हजार 109
महिला...........2 लाख 18 हजार 429
अन्य..............46
बीते चुनाव में कुल 66 वार्ड में bjp के 39(महिला11,पुरूष28),
कांग्रेस के 24(महिला 8,पुरुष 16),
निर्दलीय से 3 थे ।
कुल मतदाता 5 लाख 61 हजार 997 थी । जिले में नगर निगम 1,नगर पालिका 2,नगर पंचायत 6 हैं ।


















































Conclusion:चुनावी समीक्षक की मानें तो दशकों पहले यह क्षेत्र कांग्रेस का एक गढ़ हुआ करता था लेकिन वर्ष 1989 के आसपास bjp की मंडल के जवाब में कमंडल की राजनीति सामने आई उससे प्रदेश की राजनीति भी प्रभावित हुई और एक बिलासपुर में भी एक बहुत बड़ा वोटरों का हिस्सा bjp के तरफ पोलराइज़्ड हो गया,जिसका खामियाजा आज भी कांग्रेस भुगत रहा है । वर्तमान में यह कहना जरा मुश्किल है कि वोटर बीते 15 साल के भाजपा के सत्ता विरोधी लहर को देखकर या फिर एक साल के वर्तमान सरकार के सत्ता विरोधी लहर को देखकर अपना निर्णय लेती है । लेकिन बीते 1 वर्ष में कुछ बुनियादी कामों का प्रभाव पड़ सकता है । समीक्षक की मानें तो अप्रत्यक्ष प्रणाली ने तमाम समीकरण को अस्तव्यस्त कर दिया है और अब सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण प्रत्याशी का चेहरा हो चुका है ।
बाईट.... किशर राय, महापौर(टोपी पहने हुए)
बाईट...अनिल तिवारी,राजनीतिक समीक्षक
बाईट...शहर के आम व ख़ास लोगों का
विशाल झा..... बिलासपुर
Last Updated : Dec 11, 2019, 11:56 PM IST
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