बिलासपुर: बिलासपुर में पिछले कुछ सालों से दान खरीदी के लिए पीडिएस के राशन दुकानों से बारदाना की खरीदी की जाती रही है, लेकिन अब तक पीडिए राशन दुकान संचालकों को भुगतान नहीं किया गया है. इस बार राशन दुकानों से बारदाना की खरीदी करने की तैयारी की जनकारी पर दुकान संचालकों को अपने पुराने पैसे मिलने की उम्मीद जग गई है. इस बार फिर पैसे नहीं मिले तो क्या होगा. पीडीएस राशन दुकान संचालक सरकार से तीन साल से अटकी भुगतान राशि की मांग करने तैयारी कर रहे हैं.
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राज्य शासन ने समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की शुरुआत कर दी है. धान खरीदी के लिए राज्य शासन हर साल मार्कफेड के माध्यम से पीडीएस राशन दुकानों से बारदाने की खरीदी करती है. इस साल एक बार फिर राज्य सरकार मार्कफेड के माध्यम से बारदाने की खरीदी शुरू कर दी है. इस साल भी पीडीएस के राशन दुकान संचालकों को मार्कफेड ने बारदाने के भुगतान का झुनझुना पकड़ा दिया है. पिछले तीन सालों से दुकान संचालकों को बारदाने का भुगतान नहीं किया गया है. मार्कफेड ने पीडीएस की दुकानों को भुगतान नहीं किया. जिसके लगभग 4 करोड़ 80 हजार रुपए बकाया है.
पीडीएस दुकान संचालकों का कहना है कि "उन्हें पिछली बार के बारदाने की पूरी राशि नहीं मिली है और इस बार फिर उनसे खरीदी की जाएगी. एक राशन दुकान के पिछले तीन साल के भुगतान की राशि अब ढाई से तीन लाख रुपए हो गई है. जिले के सभी पीडीएस राशन दुकानों की बात करे तो लगभग 4 करोड़ 80 हजार रुपए हो गए है.
आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला: बारदाने के भुगतान को लेकर राशन दुकान के संचालकों ने कहा है कि "चाहे राज्य सरकार हो, जिला प्रशासन या फिर मार्कफेड के अधिकारी, उन्हें हर किसी ने हर साल आश्वासन ही दिया है. आश्वासन के अलावा उन्हें भुगतान अब तक नहीं मिल पाया है." मसानगंज वार्ड 32 के गणेश प्राथमिक उचित मूल्य दुकान के संचालक नानकराम नागदेव ने बताया कि "जिले में सैकड़ों ऐसे दुकान है जहां पर हजार से ऊपर राशन कार्ड उनकी दुकानो में है और उन्हें हर माह लगभग 7 से साढ़े सात हजार रुपए का बारदाना मिलता है. यदि उसे मार्केट में भी बेचे तो लगभग 12 से 15000 का मासिक मुनाफा होगा, लेकिन मार्कफेड उनसे सात से साढ़े सात हजार में खरीदता है और उसका भी पैसा उन्हें नहीं दिया गया है. वार्ड नंबर 28 के राशन दुकान संचालक सुरेश कुमार का कहना है कि पिछले 3 सालों में किसी के एक से डेढ़ लाख है तो किसी के 2 से ढाई लाख रुपए है, ऐसे में आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिला है, और पूरे साल बारदाने को रखने और चूहों से बचाने में हजारो रुपए अलग खर्च होते है."
जिला प्रशासन को दी गलत जानकारी: इस मामले में जिला प्रशासन ने संज्ञान में लेकर पीडीएस राशन दुकान संचालकों का मार्कफेड को शीघ्र बकाया राशि भुगतान करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन मार्कफेड ने अपना हिसाब किताब करके 4 करोड़ 80 हजार के स्थान पर महज 3 हजार रुपए शेष भुगतान बताया है. इस हास्यास्पद हिसाब से पीडीए संचालकों की परेशानी बढ़ गई है. अब उन्हें उनकी बकाया राशि डूबती नजर आ रही है. इस मामले में पीडीएस दुकान संचालक असमंजस में हैं, और यदि उन्हें अब उनका पैसा डूबते नजर आ रहा है.