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सरकारी अस्पताल में बदइंतजामी, मरीजों को मैन्यू के हिसाब से नहीं दिया जा रहा भोजन - जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के सरकारी अस्पतालों का हाल बेहाल है. यहां मरीजों को दिए जाने वाले खाने को लेकर प्रशासन ध्यान नहीं दिया जा रहा है. मरीजों को निर्धारित मैन्यू चार्ट के मुताबिक नाश्ता-खाना कुछ भी नहीं दिया जा रहा

Patients are not getting food in government hospitals
मरीजों को नहीं मिल रहा पूरा खाना
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Published : Nov 20, 2020, 5:29 PM IST

Updated : Nov 20, 2020, 7:55 PM IST

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: सरकारी अस्पताल में मरीजों का बुरा हाल है. यहां मरीजों को दिए जाने वाले खाने पर ठेकेदार डाका डाल रहे हैं. प्रसूताओं से लेकर दूसरे मरीजों को सरकार की ओर से निर्धारित मैन्यू चार्ट के मुताबिक नाश्ता-खाना कुछ भी नहीं दिया जा रहा है. पौष्टिक आहार, फल, अंडा, दूध तो छोड़िए. मरीजों को रोटी और हरी सब्जियां भी नहीं मिल रही है. हैरत की बात तो ये है कि सीएमएचओ (CMHO) को मामले की जानकारी ही नहीं है. उन्होंने ETV भारत के जरिए मामले की जानकारी मिलने के बाद जांच और कार्रवाई की बात कही है.

मरीजों को नहीं मिल रहा पूरा खाना

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत अस्पतालों में मरीजों के लिए खाने की व्यवस्था है. इन मरीजों में प्रसूता महिलाएं भी शामिल हैं. इसके तहत गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं के अलावा, सुपाच्य और हाई न्यूट्रिशंस युक्त खाना उपलब्ध कराना है. जिसके तहत सुबह 7:30 बजे चाय, दूध के साथ चार बिस्कुट टोस्ट, मूंगफली और राजगीरा का लड्डू दिया जाना है.

सुबह शाम दिया जाना है खाना और नाश्ता

सुबह 9 बजे नाश्ते में पोहा, उपमा, इडली, पराठा, उबला अंडा में से कोई एक, और 200ml दूध दिया जाना है. इसके बाद दोपहर 12 बजे खाने में रोटी, चावल, दाल, हरी सब्जी के अलावा पनीर या मशरूम की सब्जी के साथ फल दिया जाना है. इसके बाद शाम 4 बजे दोबारा चाय, दूध और बिस्कुट देना है. जबकि रात के खाने के लिए शाम 7 बजे दाल, चावल, रोटी, सब्जी के अलावा 200ml दूध दिया जाना है.

सूरजपुर: इन युवाओं की वजह से जिला अस्पताल में मरीज के घरवाले भूखे पेट नहीं सोते

कागजों तक सीमित हुई योजना

इसके अलावा अन्य बीमारियों में भर्ती हुए मरीजों के लिए भी खाने और चाय का प्रबंध होता है. लेकिन ये सब सिर्फ कागजों में ही सीमित है. गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के तीनों विकासखंड जिसमें पेंड्रा-गौरेला और मरवाही के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आते हैं, उनका आज एक साथ एक समय पर रियलिटी चेक किया गया. जो नतीजे सामने आए वह विभाग की पोल खोल रहे हैं.

घर से खाना ला रहे मरीज

मरवाही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तो ज्यादातर मरीजों को नाश्ता दिया ही नहीं गया. जो मरीज थे वह अपने घर से ही खाना लेकर आते हैं. वहीं पेंड्रा की बात करें तो यहां प्रसूताओं को भी खाने के लिए दाल, चावल, सब्जी ही दी गई थी. इसके बाद सीधे रात में खाना ही मिलता है. चाय और नाश्ता मेनू कार्ड तक ही सीमित है. वहीं जिला अस्पताल जो एमसीएच में ही संचालित है, उसका हाल और भी बुरा है. यहां भर्ती मरीजों को भी ठीक से भोजन नसीब नहीं होता. ज्यादातर मरीज अपने घर से ही खाना लेकर आते है. जबकि प्रसूताओं को सुबह चाय और दोपहर के खाने के साथ रात का खाना ही दिया जाता है. दोनों टाइम का नाश्ता, हरी सब्जी और फल मैन्यू से गायब है. अंडा भी किसी को नहीं दिया गया.

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: सरकारी अस्पताल में मरीजों का बुरा हाल है. यहां मरीजों को दिए जाने वाले खाने पर ठेकेदार डाका डाल रहे हैं. प्रसूताओं से लेकर दूसरे मरीजों को सरकार की ओर से निर्धारित मैन्यू चार्ट के मुताबिक नाश्ता-खाना कुछ भी नहीं दिया जा रहा है. पौष्टिक आहार, फल, अंडा, दूध तो छोड़िए. मरीजों को रोटी और हरी सब्जियां भी नहीं मिल रही है. हैरत की बात तो ये है कि सीएमएचओ (CMHO) को मामले की जानकारी ही नहीं है. उन्होंने ETV भारत के जरिए मामले की जानकारी मिलने के बाद जांच और कार्रवाई की बात कही है.

मरीजों को नहीं मिल रहा पूरा खाना

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत अस्पतालों में मरीजों के लिए खाने की व्यवस्था है. इन मरीजों में प्रसूता महिलाएं भी शामिल हैं. इसके तहत गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं के अलावा, सुपाच्य और हाई न्यूट्रिशंस युक्त खाना उपलब्ध कराना है. जिसके तहत सुबह 7:30 बजे चाय, दूध के साथ चार बिस्कुट टोस्ट, मूंगफली और राजगीरा का लड्डू दिया जाना है.

सुबह शाम दिया जाना है खाना और नाश्ता

सुबह 9 बजे नाश्ते में पोहा, उपमा, इडली, पराठा, उबला अंडा में से कोई एक, और 200ml दूध दिया जाना है. इसके बाद दोपहर 12 बजे खाने में रोटी, चावल, दाल, हरी सब्जी के अलावा पनीर या मशरूम की सब्जी के साथ फल दिया जाना है. इसके बाद शाम 4 बजे दोबारा चाय, दूध और बिस्कुट देना है. जबकि रात के खाने के लिए शाम 7 बजे दाल, चावल, रोटी, सब्जी के अलावा 200ml दूध दिया जाना है.

सूरजपुर: इन युवाओं की वजह से जिला अस्पताल में मरीज के घरवाले भूखे पेट नहीं सोते

कागजों तक सीमित हुई योजना

इसके अलावा अन्य बीमारियों में भर्ती हुए मरीजों के लिए भी खाने और चाय का प्रबंध होता है. लेकिन ये सब सिर्फ कागजों में ही सीमित है. गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के तीनों विकासखंड जिसमें पेंड्रा-गौरेला और मरवाही के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आते हैं, उनका आज एक साथ एक समय पर रियलिटी चेक किया गया. जो नतीजे सामने आए वह विभाग की पोल खोल रहे हैं.

घर से खाना ला रहे मरीज

मरवाही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तो ज्यादातर मरीजों को नाश्ता दिया ही नहीं गया. जो मरीज थे वह अपने घर से ही खाना लेकर आते हैं. वहीं पेंड्रा की बात करें तो यहां प्रसूताओं को भी खाने के लिए दाल, चावल, सब्जी ही दी गई थी. इसके बाद सीधे रात में खाना ही मिलता है. चाय और नाश्ता मेनू कार्ड तक ही सीमित है. वहीं जिला अस्पताल जो एमसीएच में ही संचालित है, उसका हाल और भी बुरा है. यहां भर्ती मरीजों को भी ठीक से भोजन नसीब नहीं होता. ज्यादातर मरीज अपने घर से ही खाना लेकर आते है. जबकि प्रसूताओं को सुबह चाय और दोपहर के खाने के साथ रात का खाना ही दिया जाता है. दोनों टाइम का नाश्ता, हरी सब्जी और फल मैन्यू से गायब है. अंडा भी किसी को नहीं दिया गया.

Last Updated : Nov 20, 2020, 7:55 PM IST
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