बिलासपुर: लॉकडाउन के बाद से ही छत्तीसगढ़ में निजी स्कलों की फीस वसूली का मामला गर्माता जा रहा है. अभिभावक फीस माफी के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं. अभिभावकों की ओर से तर्क दिया जा रहा था कि लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद हैं. साथ ही सभी के कामकाज प्रभावित हैं. निजी स्कूल प्रबंधन क्लास बंद होने के बावजूद फीस की मांग कर रहे हैं. मामला हाईकोर्ट में था, जिस पर फैसला आ चुका है. लेकिन अब तक निजी स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच फीस को लेकर तनातनी जारी है.
क्या था हाईकोर्ट का फैसला ?
सरकार ने अभिभावकों की मांग को मानते हुए निजी स्कूलों के लिए फीस न वसूलने का आदेश जारी कर दिया था. जिसके बाद बिलासपुर के करीब 22 स्कूलों ने संयुक्त रूप से याचिका दाखिल कर कहा था कि उन्हें कम से कम ट्यूशन फीस लेने की अनुमति दी जाए. ताकि स्कूल के संचालन समेत शिक्षकों और दूसरे कर्मचारियों का वेतन भुगतान सही समय पर हो सके. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बीते 27 जुलाई को बिलासपुर के 22 स्कूलों की याचिका पर फैसला सुनाते हुए ट्यूशन फीस लेने की अनुमति प्रदान की थी.
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अभिभावकों के आरोप
अभिभावकों का कहना है कि हाईकोर्ट ने आदेश में ट्यूशन फीस लेने की अनुमति दी थी. साथ ही आदेश में कहा गया था कि अतिम वर्ष की दरों पर ही फीस लेनी है. लेकिन निजी स्कूल लगातार फीस के लिए परेशान कर रहे हैं. मांगी जा रही फीस ट्यूशन फीस से काफी अधिक है. साथ ही फीस नहीं देने वाले अभिभावकों को बच्चों को ऑनलाइन क्लास से बाहर कर देने की धमकी भी मिल रही है. अभिभावकों का कहना है कि छोटे-छोटे बच्चे जिनके ऑनलाइन क्लास नहीं लग रहे उनकी फीस के लिए भी स्कूलों की ओर से दबाव बनाया जा रहा है.