गौरेला पेण्ड्रा मरवाही: गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिले में किसानों को मिलने वाली राहत राशि और फसल बीमा के मुआवजे की मिलने वाली रकम में एक बड़ा घोटाला सामने आया है. जिसमें को-आपरेटिव बैंक मरवाही के बैंक प्रबंधन, सहकारी समिति लरकेनी, मेंढूंका समिति के पूर्व, निवर्तमान प्रबंधक पर सांठगांठ का आरोप है. पिछले 5 से 7 वर्षों में किसानों के खातों से फर्जी आहरण कर किसानों को करोड़ों का चूना लगाया गया है. किसानों को उनके साथ हुई धोखाधड़ी की जानकारी ना हो इसलिए बैंक ने किसानों के पास बुक में कई वर्षों से प्रविष्टि ही नहीं की. इस तरह अन्नदाता को इन वर्षों में लगभग 10 करोड़ से अधिक का चूना लगाए जाने का अनुमान है. खुलासे के बाद बैंक का उच्च प्रबंधन और मंत्री भी मामले में कार्रवाई की बात कर रहा है.
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किसानों के साथ बड़ी धोखाधड़ी: गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में कोऑपरेटिव बैंक मरवाही और सहकारी समिति लरकेनी मेंढूंका में सहकारिता की सोच को दरकिनार किया. किसानों के साथ बड़ी धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया है. इन समितियों के अंतर्गत आने वाले लरकेनी, मेंढूंका, खंता, बरवासन, कोटखर्रा जैसे दर्जनों गांवों के किसानों के सैकड़ों खाते में मुआवजा और राहत राशि के रूप में सरकार एवं बीमा कंपनियों द्वारा जमा की गई राशि में गड़बड़झाला करते हुए खाते से उनकी जानकारी के बगैर रुपयों का आहरण कर लिया गया है. ऐसा पिछले एक-दो वर्षों से नहीं बल्कि 5 से 7 वर्षों से लगातार किया जा रहा था. किसानों के भोले भाले अनपढ़ होने का फायदा समिति के निवर्तमान प्रबंधक और जिला सहकारी बैंक मरवाही के प्रबंधन ने जमकर उठाया.
किसानों द्वारा लगाए गए आरोप के अनुसार समिति के पूर्व प्रबंधक शिव कुमार मिश्रा जो बाद में सुपरवाइजर के पद पर भी कार्यरत थे. इनके द्वारा किसानों के साथ धोखाधड़ी करते हुए उनके खातों से लाखों रुपए की रकम निकाल ली. जिसके बारे में किसानों को कोई जानकारी तक नहीं है. कॉपरेटिव बैंक मरवाही से 40 किलोमीटर के लगभग की दूरी होने का फायदा कर्मचारियों ने बड़ी आसानी से उठाया. हमने अपनी तफ्तीश में किसानों के साथ धोखाधड़ी करने के 4 तरीके सामने आए हैं. जिससे किसानों के साथ धोखाधड़ी करते हुए उनके रकम हजम कर दिया गया.
इस तरीके से किया गया फर्जीवाड़ा: भोले-भाले किसानों को अपने झांसे में लेकर उनसे विड्रॉल फॉर्म ( भुगतान पर्ची) में हस्ताक्षर कराकर बैंक और उनके घर की दूरी का हवाला दिया. खुद रकम पहुंचा देने की बात कहते हुए उनके खाते से बड़ी राशि निकाली गई और कर कुछ राशि ही किसानों को दी गई. इसके अलावा दूसरे तरीके में खाद बीज और परमिट समायोजन के समय लगने वाले दस्तावेजों में किसान के हस्ताक्षर लेने के दौरान आहरण पर्ची (withdrawal ) में हस्ताक्षर करा लिया गया. यह बोलकर की खाद बीज एवं नगद ऋण में होने वाली कार्रवाई के दौरान इसकी जरूरत पड़ती है. बाद में जब किसानों के खाते में पैसे जमा होने पर उसी आहरण पर्ची का उपयोग करते हुए उनके खाते से रुपए आहरण कर लिए.
वहीं तीसरे तरीके में किसानों के खाते में कोचियों के साथ सांठगांठ कर धान बेचा और बाद में आहरण पर्ची से पैसे निकाल लिए. जबकि चौथे तरीके में सहकारी समिति में ही चेक बुक इश्यू कराने वाले फॉर्म में किसान के हस्ताक्षर कराकर चेक बुक इश्यू करा लिए. लगातार किसान के खाते से इस तरह रकम निकाली जाती रही.
पैसे का हेरफेर: इसका प्रमाण भी हमने खोज निकाला. किसान बृजभान पिता मोतीलाल के खाते से चेक द्वारा पूर्व प्रबंधक शिव कुमार मिश्रा के खाते में 243700 रुपए की रकम चेक के माध्यम से हस्तांतरित हुई है. मामले में किसान ने साफ इंकार किया कि उसने कभी कोई चेक बुक नहीं निकाला है. ना ही किसी प्रकार की रकम शिव कुमार मिश्रा के खाते में या उन्हें दी है. उम्र के अंतिम पड़ाव में पहुंच चुके किसान बैजनाथ के खाते में कई बार 92000-90 हजार और 65 हजार जैसी कई राशि की निकासी हुई है. जिसके बारे में उन्हें पता ही नहीं है. उन्होंने भोले-भाले ग्रामीण अंदाज में ही बताया कि हम आहरण पर्ची में हस्ताक्षर करके शिव कुमार मिश्रा को दे दिया. पिछले साल उन्हें 30,000 रुपये और एक बार 8000 की रकम ही मिली है. बाकी का लेन देन के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है. इस तरह करीब दर्जनों किसान हैं जिनके साथ ऐसी धोखाधड़ी हुई है.