बिलासपुर : अक्सर देखा जाता है कि जब अपराध के बाद आरोपी नहीं मिलता तो पुलिस उसके परिजनों को पूछताछ के नाम पर थाने बुलाती है. यही नहीं थाने में परिजनों के साथ कई बार दुर्व्यवहार की शिकायतें भी आई हैं.कई मामलों में परिजनों के साथ मारपीट भी की गई है. लेकिन आरोपी के ना मिलने पर उनके परिजनों को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है.लेकिन क्या ऐसा कानून है कि आरोपी के ना मिलने पर उसके परिजनों को थाने में लाकर बिठाया जाए. और यदि कानून नहीं है तो फिर क्यों इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई जाती.no rule in law to make family of accused sit in police station
बिल्हा में युवक के ना मिलने पर परिवार प्रताड़ित : पिछले दिनों इसी तरह का एक मामला बिल्हा थाना (Bilha police station ) अंतर्गत आया था.जिसमें युवक की बाइक एक छात्रा से टकरा गई थी. छात्रा की मौखिक शिकायत के बाद बिल्हा थाना स्टाफ ने युवक के पिता को थाने में बिठा लिया था. परिजनों ने आरोप लगाया है कि मृतक के पिता के साथ मारपीट की गई. इस पर युवक ने पिता की मारपीट की जानकारी लगने पर थाना पहुंचा. तब उसके सामने उसके पिता को आरक्षक ने पीटा.यहीं नहीं आरक्षक ने युवक से पैसों की मांग की.जिसके तनाव में आकर युवक ने ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली. ऐसे में किस कानून के तहत पुलिस ने यह कार्रवाई की है, और यदि यह कानून में नहीं है तो पुलिस के खिलाफ अपराध कायम क्यों नहीं किया गया.
कोतवानी थाने में भी आया था मामला : अक्टूबर महीने में दुर्गा विसर्जन के दौरान दो पक्षों में मारपीट और डीजे में तोड़फोड़ हुई थी. इसमें कुदुदंड निवासी नवीन तिवारी का नाम आया था. उसके खिलाफ कोतवाली थाना में जुर्म दर्ज किया गया . इस मामले में नवीन तिवारी फरार हो गया. तब नवीन के पिता ओमप्रकाश तिवारी को कोतवाली पुलिस ने पूछताछ करने के नाम पर पूरे दिन थाना में बिठा लिया था. साथ ही नवीन की बहन को भी थाना आना पड़ा था. नवीन के पिता ओमप्रकाश तिवारी ने बताया कि उन्हें दो बार हार्ट अटैक हो चुका है और उनकी दवाई चल रही है.लेकिन कोतवाली पुलिस ने उन्हें पूछताछ के लिए 10 मिनट लगेगा. थाना चलो बोलकर कोतवाली थाना में पूरा दिन बिठाए रखा. इस मामले में नवीन के पिता और बहन निधि तिवारी ने कहा कि जब उनके बेटे के कुछ विवाद हुआ था. तो वो घटना स्थल पर थे. निधि ने बताया कि ''उनके पिता को दवाई खाने के लिए भी नही जाने दिया गया. उनके पिता हार्ट पेशेंट है और अगर घबराहट में उनकी तबीयत बिगड़ जाती और कुछ हो जाता तो इसकी जिम्मेदार कौन होता.''
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क्या कहते हैं कानून के जानकार : ऐसे मामलों को लेकर कानून के जानकार एडवोकेट चंद्रशेखर बाजपेई ने बताया कि '' यदि कोई अपराध करने के बाद लंबे समय तक फरार हो जाए तो उसके अचल संपत्ति का विवरण लेकर पुलिस उसे कोर्ट की सहमति लेकर कुर्क करा सकती है. पुलिस अपराध के विषय में पूछताछ करने के लिए आरोपी और उनके परिजनों को थाने ला सकती है. पूछताछ कर थोड़े समय में उन्हें वापस भेजने का नियम है. लेकिन यदि ऐसा कोई मामला हो जिसमें आरोपी के अपराध का बोध परिजनों को नहीं हो तो उनसे पूछताछ करने का पुलिस को अधिकार नहीं है. यदि पूछताछ करने उन्हें थाने लाया भी जाए तो थोड़े समय में उन्हें वापस भेज दिया जाना चाहिए. कानून में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि सुबह से शाम तक परिजनों को थाने में बिठाया जाए .उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाए यदि ऐसा किया जाता है तो वह कानून का उल्लंघन है.bilaspur latest news