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महिलाओं की समस्याएं एक तो कानून अलग क्यों: रेखा शर्मा - महिला आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष रेखा शर्मा

महिला आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष रेखा शर्मा "एक विधान एक संविधान" की मांग महिलाओं के लिए कर रही है. रेखा शर्मा ने कहा कि कोरोनाकाल के बाद महिला और बच्चियों की तस्करी बढ़ गई है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर रेखा शर्मा ने कहा, महिलाओं की समस्याएं एक है तो महिलाओं के लिए कानून अलग क्यों.

President of National Womens Commission
महिला आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष
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Published : Mar 26, 2023, 1:51 PM IST

महिला आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष

गौरेला पेंड्रा मरवाही: महिला आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष रेखा शर्मा ने महिलाओं के लिए "एक विधान एक संविधान" की मांग की है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर सवाल उठाते हुए रेखा शर्मा ने कहा है कि " जब सब महिलाओं की तकलीफें एक है तो कानून अलग-अलग क्यों...? मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कारण महिला आयोग मुस्लिम महिलाओं की समस्याओं को नहीं सुन पा रहा. कोरोना काल के बाद महिला और बच्चियों की तस्करी बढ़ गई है, जिसके लिए महिला आयोग ने एंटी ट्रैफिकिंग सेल बनाया है, ये सेल पहले नहीं था. अब महिलाओं की सुरक्षा के लिए इस सेल को बनाया गया है.

"एक विधान एक संविधान" की मांग: "एक विधान एक संविधान" की मांग अब से पहले पार्टी कार्यकर्ता करते थे. हालांकि अब राष्ट्रीय महिला आयोग ने महिलाओं के हक के लिए "एक विधान एक संविधान" की मांग की है. मीडिया से मुखातिब हो रेखा शर्मा ने कहा, "मुस्लिम महिलाएं अपनी समस्याओं के लिए महिला आयोग के पास न जाकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का रुख करती है. महिलाओं से संबंधित सभी कानून एक जैसे होने चाहिए. महिलाएं चाहे किसी भी धर्म की हो, सभी की तकलीफें एक जैसी है. महिलाएं चाहे हिंदू हो, मुस्लिम हो, बौद्ध व जैन हो, जब हमारी तकलीफ एक है, परेशानियां एक ही है, तो कानून अलग-अलग क्यों?"

यह भी पढ़ें: Bhilai News दुर्ग में नवविवाहिता के खुद को जलाने के मामले में पति सास ससुर जेठ जेठानी ननद पर FIR

सरकार से महिला आयोग ने की सिफारिश: रेखा शर्मा ने कहा, "हमने यह बात सरकार के संज्ञान में भी लाया है. अलग-अलग फोरम में भी हम इस बात को उठाते रहे हैं. हिंदू, ईसाई, बौद्ध, जैन, सिख सब एक ही कानून मानते हैं, तो मुस्लिम पर्सनल लॉ अलग से क्यों ? क्या उनकी महिलाओं को वह तकलीफें नहीं है जो अन्य धर्म की महिलाओं को है. यदि कानून एक होगा तो हमारी मदद उन तक भी पहुंच सकेगी. सरकार भी अब इसमें परिवर्तन करने की सोच रही है. महिला आयोग ने भी इसकी सिफारिश की है.

छत्तीसगढ़ में बढ़ी मानव तस्करी: महिला आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा " छत्तीसगढ़ ही नहीं, झारखंड में, पश्चिम बंगाल में भी महिला और बच्चियों की तस्करी बढ़ी है. कोरोना काल के बाद जब लोगों की आय घटी है, तो महिलाएं और बच्चियां बेची गई है. आदिवासी महिलाओं को शहरों में काम दिलाने के नाम पर ले जाया जाता है. वहां जब उन्हें काम नहीं मिलता, तो उनके साथ गलत चीजें होती है. इससे बचने के लिए महिला आयोग ने एंटी ट्रैफकिंग सेल बनाया है, जो पहले नहीं था.

महिला आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष

गौरेला पेंड्रा मरवाही: महिला आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष रेखा शर्मा ने महिलाओं के लिए "एक विधान एक संविधान" की मांग की है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर सवाल उठाते हुए रेखा शर्मा ने कहा है कि " जब सब महिलाओं की तकलीफें एक है तो कानून अलग-अलग क्यों...? मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कारण महिला आयोग मुस्लिम महिलाओं की समस्याओं को नहीं सुन पा रहा. कोरोना काल के बाद महिला और बच्चियों की तस्करी बढ़ गई है, जिसके लिए महिला आयोग ने एंटी ट्रैफिकिंग सेल बनाया है, ये सेल पहले नहीं था. अब महिलाओं की सुरक्षा के लिए इस सेल को बनाया गया है.

"एक विधान एक संविधान" की मांग: "एक विधान एक संविधान" की मांग अब से पहले पार्टी कार्यकर्ता करते थे. हालांकि अब राष्ट्रीय महिला आयोग ने महिलाओं के हक के लिए "एक विधान एक संविधान" की मांग की है. मीडिया से मुखातिब हो रेखा शर्मा ने कहा, "मुस्लिम महिलाएं अपनी समस्याओं के लिए महिला आयोग के पास न जाकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का रुख करती है. महिलाओं से संबंधित सभी कानून एक जैसे होने चाहिए. महिलाएं चाहे किसी भी धर्म की हो, सभी की तकलीफें एक जैसी है. महिलाएं चाहे हिंदू हो, मुस्लिम हो, बौद्ध व जैन हो, जब हमारी तकलीफ एक है, परेशानियां एक ही है, तो कानून अलग-अलग क्यों?"

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सरकार से महिला आयोग ने की सिफारिश: रेखा शर्मा ने कहा, "हमने यह बात सरकार के संज्ञान में भी लाया है. अलग-अलग फोरम में भी हम इस बात को उठाते रहे हैं. हिंदू, ईसाई, बौद्ध, जैन, सिख सब एक ही कानून मानते हैं, तो मुस्लिम पर्सनल लॉ अलग से क्यों ? क्या उनकी महिलाओं को वह तकलीफें नहीं है जो अन्य धर्म की महिलाओं को है. यदि कानून एक होगा तो हमारी मदद उन तक भी पहुंच सकेगी. सरकार भी अब इसमें परिवर्तन करने की सोच रही है. महिला आयोग ने भी इसकी सिफारिश की है.

छत्तीसगढ़ में बढ़ी मानव तस्करी: महिला आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा " छत्तीसगढ़ ही नहीं, झारखंड में, पश्चिम बंगाल में भी महिला और बच्चियों की तस्करी बढ़ी है. कोरोना काल के बाद जब लोगों की आय घटी है, तो महिलाएं और बच्चियां बेची गई है. आदिवासी महिलाओं को शहरों में काम दिलाने के नाम पर ले जाया जाता है. वहां जब उन्हें काम नहीं मिलता, तो उनके साथ गलत चीजें होती है. इससे बचने के लिए महिला आयोग ने एंटी ट्रैफकिंग सेल बनाया है, जो पहले नहीं था.

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