बिलासपुर : सुसाइड के लिए उकसाने के मामले में 3 साल तक सजा भुगतने के बाद रंजना और उसकी मां को हाईकोर्ट ने दोषमुक्त करार देते हुए रिहा करने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने 5 साल तक प्रकरण की सुनवाई की और लगभग 3 साल की सजा के बाद दोनों को रिहा कर दिया है.
दरअसल, सकरी निवासी आरती पांडे ने 21 फरवरी 2012 को अपने ही घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. मामले में चकरभाटा पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू की. इसी दौरान मृतका के परिजनों ने सुसाइड नोट बरामद कर पुलिस को सौंपा था. इसके आधार पर पुलिस ने मृतका की भाभी रंजना पांडे और उसकी मां सुलोचना तिवारी, बंसीलाल तिवारी को आरोपी मानते हुए गिरफ्तार किया था.
सुसाइड नोट में मृतका की अश्लील सीडी बनाकर उसे प्रताड़ित करने की बात लिखी हुई थी. सुसाइड नोट के आधार पर जिला सत्र न्यायाधीश ने दोनों को दोषी मानते हुए मां-बेटी को 7 -7 साल सश्रम कारावास और एक हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई थी, वहीं रंजना के पिता को दोषमुक्त कर दिया गया था.
कोर्ट फैसले के खिलाफ रंजना पांडे ने 2015 में हाईकोर्ट में अपील की थी. मामले की पैरवी करते हुए उनके अधिवक्ता ने कहा कि सुसाइड नोट में तिथि और साल का उल्लेख नहीं किया गया था. साथ ही घटना के 7 दिन बाद परिजनों ने पुलिस को सुसाइड नोट दिया गया था, वहीं अश्लील सीडी को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई थी. इस पर हाईकोर्ट ने आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है.