गौरेला पेंड्रा मरवाही : मरवाही विधानसभा चुनाव मिशन 2023 की तैयारियों को लेकर एक बार फिर सियासी पारा गर्म हो चुका है. स्थानीय विधायक प्रत्याशी की मांग उठने लगी है. सर्व आदिवासी समाज के स्थानीय लोगों नें एकजुट होकर आगामी विधानसभा चुनाव में स्थानीय आदिवासी विधायक प्रत्याशी मैदान में उतारने की बात कही है. साथ ही वर्तमान विधायक डॉक्टर केके ध्रुव की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए हैं.
कहां हुई बैठक : सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले पूर्व विधायक और कांग्रेस के आदिवासी नेता पहलवान सिंह मरावी के निवास स्थान में यह बैठक आयोजित की गई.इस बैठक में भाजपा,कांग्रेस,जोगी कांग्रेस,आम आदमी पार्टी, गोंडवाना पार्टी सहित अन्य दल के आदिवासी नेता कार्यकर्ता मौजूद रहे.जिसमें सबसे ज्यादा कांग्रेस पार्टी के नेता कार्यकर्ताओं ने उपस्थिति दर्ज कराई.कई आदिवासी नेताओं ने अपने अपने विचार साझा किए. साथ ही आगामी चुनाव में रणनीति बनाकर एकजुट होकर स्थानीय आदिवासी विधायक प्रत्याशी मैदान में उतारने को लेकर कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई और बैठक संपन्न हुई.
स्थानीय प्रत्याशी उतारने की मांग : मरवाही क्षेत्र में कांग्रेस विधायक है और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की सरकार है. इसलिए मरवाही क्षेत्र से इस बार आगामी चुनाव में क्षेत्रीय विधायक प्रत्याशी के लिए सब एकजुट होकर हाईकमान को प्रस्ताव भेजने की मांग कर रहे हैं. मांग पूरी नहीं होने पर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतारने का फैसला लिया गया. वहीं कांग्रेस के जिला अध्यक्ष और विधायक केके ध्रुव को लेकर कांग्रेसी नेता कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जाहिर की है. इस मुद्दे पर उन्होंने कहा है कि ''आदिवासी विधायक होने के बावजूद भी इस क्षेत्र का विकास नहीं हो रहा है.आदिवासी आगे जाने के बजाय पीछे हो रहे हैं." आम जनताओं और आदिवासियों की कोई सुध लेने वाला नहीं है.''
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विधायक से क्यों नाराज हैं जनता : विधायक केके ध्रुव पर भी जिला अध्यक्ष से घिरे होने का आरोप लगा है. साथ ही प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारियों में भी सत्ता सरकार होने के बावजूद भी विधायक का दबदबा नहीं है. जिसकी वजह से क्षेत्र में अफसरशाही हावी होने की बात कही गई. जिसका खामियाजा आम जनता और भोले-भाले आदिवासियों को झेलना पड़ता है.आगामी दिनों में होने वाले विधानसभा चुनाव में सर्व आदिवासी समाज इसका मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयारी कर रही है. अभी से समाज लोगों को रिचार्ज करने में जुट गया है. अब देखने वाली बात ये होगी कि सर्व आदिवासी समाज की एकजुटता किस तरह उभर कर सामने आएगी.