बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने के बाद से ही कांग्रेस की सरकार ने राजस्व मामले के निपटारे को लेकर बड़ा ऐलान (land transfer case in bilaspur) किया था. प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दावा किया था कि जिनके भी राजस्व प्रकरण लंबित हैं उसका निपटारा जल्द किया जाएगा. सरकार के दावों की धीरे-धीरे पोल खुलती जा रही है. पूरे प्रदेश में लाखों की संख्या में जमीन सबंधी शिकायते लंबित है. जिले के तहसीलों की बात करें तो हजारो की संख्या में जमीन नामांतरण के मामले लंबित हैं. बिलासपुर में लगभग साढ़े तीन हजार मामले पेंडिंग हैं, जिन्हें पूरा करवाने को ग्रामीण तहसीलों के चक्कर काट रहे हैं.
धीमी गति से चल रही प्रक्रिया: बिलासपुर में अक्टूबर 2021 से अब तक 13 हजार से भी ज्यादा नामांतरण के आवेदन विभिन्न तहसीलों से आ चुके हैं. इन आवेदनों को ग्रामीण और शहरी तहसीलों में ऑफलाइन जमा किये गए है. ऑफलाइन आवेदन जमा करने से ग्रामीणों के नामांतरण कार्य की प्रक्रिया धीमी गति से की जा रही है. धीमी गति से कार्य करने के मामले में तहसील कार्यालय के अधिकारी कहते हैं कि कई आवेदनों में त्रुटियां होती है, जिससे उनके कार्यो को पूरा करने में समय लगता है.
अधिकारी कह रहे काम चल रहा है: सभी आवेदनों में काम चलने की बात अधिकारी कह रहे हैं. हालांकि कार्य की धीमी गति से आवेदनकर्ता काफी परेशान हो गए हैं. सरकारी दावों और हकीकत में जमीन आसमान का फर्क दिख रहा है. बिलासपुर तहसील में नामांतरण के लिए आने वाले ग्रामीणों की मानें तो उनका आवेदन 6-7 साल से भी ज्यादा समय से लंबित है. जिसमें कोई काम नहीं हुआ है.
अधिकारी कर रहे टालमटोल: शहर से लगे ग्राम बहतराई के रहने वाले शिवमंगल मिश्रा की मानें तो "उनका पैतृक जमीन पिता की मृत्यु के बाद उनके और उनके भाई के नाम से जमीन का नामांतरण करवाने आवेदन लगाए गए हैं. उन्हें नामांतरण के लिए आवेदन दिए 6 साल हो गए हैं, लेकिन काम अब तक नहीं हो पाया है. कभी कोई अधिकारी कहता है कि कागजात पूरा नहीं है तो कभी काम चल रहा है का आश्वासन दिया जा रहा है. इसी तरह अलग-अलग गांवो से आये कई ग्रामीणों के साथ भी यही स्थिति है".
ऑनलाइन आवेदन की दी जा रही नसीहत: जिले में नामांतरण मामलों के लंबित होने से लोगों की परेशानी बढ़ी है. समय पर नामान्तरण प्रकरणों का निराकरण नहीं हो पा रहा है. हालात ये हैं कि नामांतरण प्रकरण 3600 के करीब लंबित है. ऑफलाइन आवेदन करने के कारण प्रकरणों के निराकरण में देरी हो रही है. हालंकि सीएम के दौरे को देखते हुए अब राजस्व विभाग ने नामांतरण के लंबित मामलों को खत्म करने का टारगेट सेट किया है. 31 मई तक सभी मामले निपटाने के निर्देश दिए गए हैं.
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सीएम के दौरे को लेकर किया जा रहा जल्द निपटारा: बड़ा जिला होने के साथ यहां नामांतरण के मामले भी उसी तरह राजस्व न्यायालयों में बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.अधिकांश प्रकरणों में ऑफलाइन आवेदन दिए गए हैं. यही नहीं नामांतरण के पूर्व सीमांकन और अन्य कठिन प्रक्रिया का भी पालन करना होता है. इससे भी मामलों की पेंडेंसी बढ़ गई है. बढ़े हुए पेंडेंसी और सीएम के दौरे को देखते हुए अब राजस्व विभाग ने नामांतरण के मामलों के निपटारे का टारगेट सेट कर दिया है. 31 मई तक सभी लंबित प्रकरणों के निपटारे के निर्देश जारी किए गए हैं.
ऊंची पहुंच वालों का जल्दी होता है काम: नामांतरण के लिए आए फरियादियों की मानें तो कई मामले ऐसे हैं, जिनमें तहसील कार्यालय जल्द से जल्द नामांतरण प्रक्रिया पूरी कर लेता है. यह उन लोगों के नामांतरण के मामले होते हैं, जिनकी प्रशासन या नेताओं से ऊंची पहुंच होने की वजह से अधिकारी भी उनके काम जल्दी कर देते हैं. लेकिन ग्रामीणों के काम को लटका दिया जाता है.
राजस्व मामलों में देनी पड़ती है घूस: तहसील कार्यालय में नामांतरण के मामले में आए ग्रामीणों की मानें तो "उन्हें राजस्व अधिकारियों के सामने अपने काम को करने के लिए चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है. ग्रामीणों की मानें तो चढ़ावा कई किस्म का होता है. कभी उन्हें शराब देनी पड़ती है, तो कभी पैसे". पिछले दिनों मस्तूरी तहसील कार्यालय में जब ग्रामीण अपने जमीन संबंधी काम कराने पहुंचे थे तो उनसे नायब तहसीलदार ने एक महंगी अंग्रेजी शराब मांगी थी. जिसका वीडियो भी वायरल हुआ था. वायरल वीडियो के कारण नायब तहसीलदार को निलंबित भी किया गया था.