बिलासपुर: महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में अध्यापन से जुड़े और देश के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार प्रोफेसर ओमप्रकाश भारती से ETV भारत ने खास बातचीत की. इस दौरान प्रोफेसर भारती ने कोरोना के संदर्भ में वैश्विक संकट और भारत की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अपना नजरिया पेश किया.
प्रोफेसर भारती ने ETV भारत से खास बातचीत में देश की वर्तमान परिस्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि 'देश की अर्थव्यवस्था लचर हो चुकी है. मजदूर अभी औद्योगिक मजदूर के रूप में काम कर रहे हैं'. प्रोफेसर ने कहा कि 'उन्होंने एक समय में कृषि मजदूर के रूप में देश की अर्थव्यवस्था को ताकत दी थी. शहर ने मजदूरों को भ्रमित किया है और उन्हें प्रलोभन दिया है'.
प्रोफेसर ओमप्रकाश भारती ने कहा कि 'शहर से अपनी गांव की ओर लौट रहे मजदूरों से एकबार फिर उम्मीद जगी है. यही मौका है कि इन मजदूरों का तहे दिल से स्वागत हो और इन्हें कृषि कार्य के लिए भरपूर मौका मिले'. प्रोफेसर भारती ने कहा कि 'भारत का गांव अगर आत्मनिर्भर होगा, तो शहर को भी खाना मिलेगा. वर्तमान परिस्थितियों में शहर ने अपना विश्वास खो दिया है. इन परिस्थितियों में साहित्यकारों-कवियों को चाहिए कि वो एक साथ खराब व्यवस्था पर प्रहार करें, उसकी खामियों को उजागर करें और देश का मार्गदर्शन कर आशा भी जगाएं'.
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बता दें, कि जानेमाने साहित्यकार प्रोफेसर ओम प्रकाश भारती महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में अध्यापन से जुड़े हुए हैं. प्रोफेसर भारती भारत सरकार के नाट्यकला विभाग के प्रभारी, भारत सरकार के संस्कृति विभाग के निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर अपनी भूमिका निभा चुके हैं. वे तकरीबन 12 नाटकों की रचना कर चुके हैं. उन्हें नाटक लेखन में दो राष्ट्रीय अवार्ड भी मिल चुके हैं. वे 24 शोधकार्य से भी जुड़े रहे और उन्हें मौलिक लेखन के क्षेत्र में इंदिरा गांधी राजभाषा सम्मान से भी नवाजा जा चुका है.