बिलासपुर: बिलासपुर के पक्षी प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है. यहां जिले के तालाबों, बांध, झील, जलाशयों और खास कर कोपरा जलाशय में इन दिनों अप्रवासी पक्षियों का कलरव सुनाई देने लगा है. पानी में पक्षियों की चहलकदमी नजर आने लगी है. Kopra Reservoir buzzing with migratory birds कई प्रजाति के विदेशी पक्षियों ने जिले में डेरा जमाना शुरू कर दिया है. खानपान और अपना कुनबा बढ़ाने पक्षियों का दल यहां आता है. अप्रैल महीने तक ये पक्षी यहां रूकते हैं. फिर मंगोलिया, साइबेरिया और इसके आसपास के देश चले जाते हैं. यहां लगभग दर्जनों अलग अलग देशों के पक्षी प्रवास पर आते हैं और अपना कुनबा बढ़ाते हैं, फिर वापस चले जाते हैं.
कोपरा जलाशय बना प्रवासी पक्षियों की पहली पसंद: कोपरा जलाशय प्रवासी पक्षियों के लिए काफी सुकून की जगह है. यहां साइबेरिया सहित कई इलाकों के देशी विदेशी पक्षियों का डेरा लगा रहता है. यहां हजारों की संख्या में वे आसमान में एक कतार में उड़ते हैं. जलाशय में भोजन खोजते, क्रीड़ा करते हुए दिखाई देते हैं. यह दृश्य मनमोहक होता है. पक्षियों का यह झुंड आकाश की परिक्रमा करते, लय के साथ चहकते हुए सकरी पेंड्रीडीह बाइपास पर स्थित कोपरा जलाशय के तट पर पूरा दिन खाने की तलाश करता है. रात में आसपास के पेड़ों पर वास करता है. स्थानीय लोग इसे हंस या राजहंस कहते हैं. ये मंगोलियाई, यूरोप और एशिया के चीन, टर्की और कई देशों से आते हैं. कोपरा जलाशय में यदि व्यवधान पैदा नहीं हुआ तो ये मार्च-अप्रैल तक रुककर आगे वापसी की यात्रा शुरू करेंगे.
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क्यों निकलते है प्रवास पर अप्रवासी पक्षी: पक्षी प्रेमी प्राण चड्डा ने बताया कि "साइबेरिया, मंगोलिया, जापान, चाइना और इसके आसपास के लगभग एक दर्जन देशों से यह पक्षी भारत चाइना के दूसरे हिस्से, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों में प्रवास करते हैं. दरअसल यह प्रवासी पक्षी अपने देश से इसलिए प्रवास पर निकलते हैं, क्योंकि ठंड के दौरान उनके देशों में उनके चारागाह और खानपान मिलने वाले तालाब, झील और पोखर बर्फ से जम जाते हैं. बर्फ जमने की वजह से इन्हें खाना मिलने में कई दिक्कतें होती है. यह पंछी भूखे अपने देश से प्रवास पर निकलते हैं और भारत और उसके आसपास के देशों में ठंड के समय भी इन्हें बहुतायत में खानपान मिलता है और प्रजनन करने के लिए बेहतर स्थान मिलता है. इसलिए यह प्रवासी पक्षी प्रवास पर आते हैं."