बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी की अंतिम यात्रा रायपुर से सुबह निकली थी. अजीत जोगी का शुक्रवार को निधन हो गया था. गृह ग्राम जोगीसार से गौरेला के पैतृक जोगी निवास पहुंचने के बाद सेनेटोरियम (मरवाही विधानसभा) में उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार होना है, जिसकी तैयारी चल रही है. यहां लगातार प्रदेश के नेता, कैबिनेट मंत्री, जोगी समर्थक और आमजनों के जुटने का सिलसिला जारी है.
प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा भी पहुंच चुके हैं. उन्होंने अजीत जोगी को गरीबों का मसीहा बताया है, साथ उनके किए कई कार्यों को याद किया है. कवासी लखमा ने अजीत जोगी को अपना बड़ा भाई बताया. प्रदेशभर से लोग जोगी के अंतिम दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.
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बता दें कि अजीत जोगी हाईली क्वॉलीफाइड नेता रहे. उन्होंने बीई, एलएलबी, एमआईई की डिग्री हासिल की. राजनीति में आने से पहले बतौर शिक्षक और प्रशासनिक अधिकारी उन्होंने लंबी सेवा दी. उन्होंने 9 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. अजीत जोगी ने 2003 में पूरे छत्तीसगढ़ में विकास यात्रा का नेतृत्व किया था. साल 2000 से 2003 तक प्रदेश के मुखिया रहे अजीत जोगी 9 मई को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराए गए थे. गंगा इमली का बीज उनके गले में फंस गया था, जिसकी वजह से उनकी सांस रुक गई थी. निजी अस्पताल में डॉक्टरों की टीम जोगी का इलाज कर रही थी, लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था. आखिरकार 29 मई को उनका देहांत हो गया.