बिलासपुर: बिलासपुर के श्री वेंकटेश मंदिर में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस मंदिर में नागपंचमी से जारी झूला महोत्सव का समापन जन्माष्टमी पर किया जाता है. इस दिन सुबह से देर रात तक भक्तों का तांता लगा रहता है. हजारों भक्त जन्मोत्सव का कार्यक्रम देखने यहां देर रात तक मौजूद रहते हैं. यहां पूरे विधि विधान और मंत्रोच्चार के साथ जन्मोत्सव मनाया जाता है.
श्री वेंकटेश मंदिर क्यों है खास?: दक्षिण भारत के भगवान श्री वेंकटेश जी का एक मंदिर बिलासपुर में भी है. यह मंदिर 80 साल पुराना है. इस मंदिर में श्री कृष्ण जी की प्रतिमा को साउथ इंडियन स्टाइल में काले ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है. श्री वैष्णव रामानुज संप्रदाय के अनुयायियों ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. शहर का सबसे पुराना मंदिर होने के कारण यह भक्तों के आस्था का केंद्र भी है.
श्री कृष्ण का जन्मोत्सव की तैयारी पूरी: बिलासपुर का श्री वेंकटेश मंदिर जिले का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान श्री कृष्ण को वेंकटेश जी के रूप में पूजा जाता है. इस मंदिर में हर साल भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस मंदिर में जन्माष्टमी के अवसर पर हजारों भक्त भगवान के जन्म और झूला महोत्सव देखने देर रात तक मौजूद रहते हैं. इस साल श्री वेंकटेश मंदिर में भगवान की प्रतिमा का श्रृंगार और झूला महोत्सव की तैयारी पूरी है.
"यह मंदिर श्री वैष्णव रामानुज संप्रदाय के अनुययियों द्वारा निर्मित कराया गया है. उनके बताए अनुसार ही यहां पूजा के साथ ही शिक्षा दी जाती है. मंदिर में हर साल कृष्ण जन्मोत्सव के दौरान बड़ी संख्या श्रद्धालु उपस्थित होते हैं. मंदिर में झूला उत्सव का विशेष आयोजन होता है. जिसे नागपंचमी से शुरू किया जाता है और जन्माष्टमी में इसका समापन किया जाता है." - आचार्य प्रपन्नाचार्य, मंदिर के मुख्य पुजारी
80 साल में एक दिन भी नहीं हुई पूजा बंद: श्री वेंकटेश मंदिर में मंत्रोच्चार के साथ ही तमिल में भी पूजा किया जाता है. साउथ इंडिया की विधि विधान से पूजा अर्चना कर भगवान को भोग लगाया जाता है. यह सिलसिला मंदिर निर्माण के बाद से लगातार 80 साल से चला आ रहा है. कोरोनाकल के दौरान भी मंदिर में केवल मुख्य पुजारी पूजा करते थे. तब भी भगवान वेंकटेश की पूजा नहीं रुकी है.