बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में खेल प्रतिभा की कमी नहीं है. समय समय पर प्रदेश के कई खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ का नाम रौशन करते आए हैं. ऐसे ही एक बैडमिंटन खिलाड़ी श्रेयांश जायसवाल हैं. जिन्होंने खेल सुविधाओं की कमी के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है. अपनी प्रतिभा के बल पर श्रेयांश जायसवाल ने विश्व बैडमिंटन खिलाड़ियों की सूची में टॉप 95 में जगह बनाई है. वह खेल कोटे से फिलहाल आयकर विभाग चेन्नई में कार्यरत हैं.
बिलासपुर से श्रेयांस जायसवाल का गहरा लगाव: बिलासपुर से श्रेयांश का गहरा लगाव है. उनका बचपन छत्तीसगढ़ में बीता. बिलासपुर में वह रहे. इसलिए बिलासपुर को वह अपनी कर्मस्थली भी मानते हैं. उन्होंने राज्य में बैडमिंटन खेल के विकास के लिए सुविधाओं की मांग की है. श्रेयांश का कहना है कि "खिलाड़ियों को छत्तीसगढ़ में बेहतर बैडमिंटन कोर्ट की जरूरत है. ताकि यहां के बैडमिंटन खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता की तैयारी के लिए मौका मिल सके". श्रेयांश जब भी बिलासपुर आते हैं यहां के बैडमिंटन खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देते हैं
कुंडा से श्रेयांश जायसवाल के खेल जीवन की हुई शुरुआत: श्रेयांश जायसवाल के खेल जीवन का सफर काफी रोचक है. उन्होंने 16 साल की उम्र में बैडमिंटन के इंटरनेशनल टूर्नामेंट में जगह बनाई. वे छोटी उम्र में ही बैडमिंटन के क्षेत्र में खिताब जीतने वाले इंडिया के नंबर वन खिलाड़ी बन गए थे. श्रेयांश की वर्ल्ड रैंकिंग 95वें हैं. बैडमिंटन में दर्जनों खिताब जीतने वाले श्रेयांश प्रदेश के गौरव बने रहे हैं. श्रेयांश महज 10 साल की उम्र में ही बैडमिंटन खेलने लगे थे. उन्होंने छत्तीसगढ़ के विश्रामपुर के कुंडा में अपने खेल की शुरुआत की थी. तब उनके पिता एसईसीएल कर्मी नरेंद्र कुमार जयसवाल की पोस्टिंग कुंडा में थी.
अच्छे कोच की कमी श्रेयांश को खली: अच्छा बैडमिंटन कोर्ट और कोच नहीं होने के बावजूद भी श्रेयांश अपनी लगन और मेहनत से बैडमिंटन खेलते रहे. धीरे-धीरे वे आगे बढ़ते रहे. श्रेयांश ने 16 साल की उम्र में ही कई खिताब अपने नाम कर लिए थे. श्रेयांश ने 10 साल की उम्र में स्कूल और ओपन बैडमिंटन में हिस्सा लेना शुरू किया और अंडर 10 वर्ग में प्रतियोगिता में स्टेट चैंपियनशिप का खिताब हासिल किया. 12 साल की उम्र में श्रेयांश हैदराबाद चले गए. वहां फॉर्मर इंडियन चीफ नेशनल कोच एस एम आरिफ के बाद चीफ नेशनल कोच पुलेला गोपीचंद के अंडर में प्रशिक्षण प्राप्त किया.
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15 साल की उम्र में श्रेयांस ने जिता पहला नेशनल खिताब: श्रेयांश ने 15 साल की उम्र में पहला नेशनल टाइटल का खिताब कोच्चि केरला में प्राप्त किया. इसके बाद पहला इंटरनेशनल खिताब 16 साल की उम्र में रुस में जीता. उसके बाद श्रेयांश की जीत का सिलसिला शुरू हो गया. श्रेयांश ने सिंगापुर, नेपाल, बांग्लादेश, ईरान और कोरिया में भी अपनी खेल प्रतिभा का जौहर दिखाया. श्रेयांश ने मुंबई की टीम से प्रीमीयर बैडमिंटन लीग टूर्नामेंट में भी हिस्सा लिया. उनके शानदार प्रदर्शन को देखते हुए इंडियन बैडमिंटन टीम में उनका चयन हुआ. छत्तीसगढ़ शासन ने वर्ष 2011-12 में शहीद कौशल अवॉर्ड और पंकज विक्रम पुरस्कार से श्रेयांश को सम्मानित किया. श्रेयांश ने 16 साल की उम्र में ही देश के नंबर वन खिलाड़ियों में अपनी जगह बना ली थी.
कई बड़े खिलाड़ियों को श्रेयांश ने दी मात: बैडमिंटन खिलाड़ी श्रेयांश जायसवाल ने बताया कि" वह छत्तीसगढ़ के पहले खिलाड़ी हैं, जिन्हें इंडिया में नंबर वन का खिताब हासिल हुआ था. इसके अलावा नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर भी उन्हें खेलने का मौका मिला. उन्होंने समीर वर्मा, सौरभ वर्मा, अजय जयराम, शिरिल वर्मा, आदित्य जोशी को कई मुकाबलों में हराया है".
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पीवी सिंधु, साइना नेहवाल के साथ कई प्रतियोगिता में श्रेयांश ने लिया हिस्सा: इंटरनेशनल बैडमिंटन खिलाड़ी श्रेयांश जायसवाल का कहना है कि "उन्होंने इंटरनेशनल प्लेयर पीवी सिंधु, साइना नेहवाल सहित कई इंटरनेशनल प्लेयर के साथ पार्टिसिपेट किया है. जिस स्थान पर इंटरनेशनल प्लेयर्स को प्रशिक्षण दिया जाता है उस स्थान पर उनके साथ खेलने का मौका भी मिला. इसके बावजूद अब तक ना तो किसी का सपोर्ट मिला और ना किसी की ओर से स्पॉन्सरशिप का ऑफर मिला. जिसकी वजह से उनका खेल अब रुका हुआ दिख रहा है. हालांकि वे अपने खर्चे से ही अपने खेल को आगे बढ़ा रहे हैं".
केंद्र और राज्य सरकार से नहीं मिली मदद: श्रेयांश ने बताया कि प्रदेश में अच्छे खिलाड़ियों की कमी नहीं है. लेकिन संसाधनों की कमी के चलते खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. श्रेयांश को बचपन में अच्छे कोच की कमी महसूस हुई. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि "न तो उन्हें केंद्र सरकार की तरफ से और न ही राज्य सरकार की तरफ से कोई प्रोत्साहन मिला. अभी भी खेल के लिए किसी प्रकार की सहायता उन्हें नहीं मिल रही है".
श्रेयांश के बड़े भाई भी हैं बैडमिंटन खिलाड़ी: श्रेयांश के बड़े भाई देवांश जायसवाल भी बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. उन्होंने बताया कि "उनके पापा नरेंद्र जयसवाल खेलों के प्रति रुझान तो रखते थे, लेकिन काम और जिम्मेदारी की वजह से कोई खेल खेलने में असमर्थ रहे. लेकिन उन्होंने अपना शौक अपने बेटों पर पूरा किया. वे अपने दोनों बेटों को अच्छा खिलाड़ी बनाना चाहते थे और इसलिए वे दोनों को खेलों के प्रति प्रोत्साहन देने लगे. यही कारण है कि आज उनके दोनों बेटे बैडमिंटन में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं". जहां श्रेयांश भारत सरकार के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में चेन्नई में कार्यरत हैं वही उनके बड़े भाई देवांश कुमार जयसवाल राज्य सरकार के अधीन शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं. दोनों भाई पीएससी से पासआउट हैं. देवांश ने बताया कि वे खेल के प्रति दिलचस्पी रखते हैं.
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श्रेयांश और देवांश के दोस्त पिछले 15 सालों से उनके साथ बैडमिंटन की प्रैक्टिस करते हैं. शुरुआत से ही दोनों के खेलों को देखकर उन्हें लगता था कि दोनों भाई खेल के प्रति काफी सजग और आने वाले समय में वह कुछ बेहतर कर सकेंगे और आज दोनों भाइयों को देखकर उन्हें काफी खुशी होती है. वे आज खेल के साथ जिंदगी में भी अच्छे मुकाम पर पहुंच गए हैं. श्रेयांश नए खिलाड़ियों को कहना चाहते हैं कि "भले ही अभाव क्यों ना हो लेकिन किसी भी खेल को खेलने में इमानदारी से मेहनत करें तो सफलता अवश्य मिलेगी".