बिलासपुर: हाईकोर्ट की खंड न्यायपीठ ने डॉ.आलोक शुक्ला की संविदा नियुक्ति के खिलाफ दायर रिट पिटीशन में हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान ईडी को चार हफ्ते का समय देते हुए जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने कहा है कि इन्वेस्टिगेशन कानून के अनुसार जांच होनी चाहिए. हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि जो जांच की जा रही है, ये कभी भी किसी भी तरह से उत्पीड़न का कारण नहीं बनेगी.
कानून के प्रावधानों को दी चुनौती
जस्टिस पी आर रामचंद्रा मेनन और जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की एकल पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय के मामले में अधिवक्ता अवि सिंह और अधिवक्ता आयुष भाटिया की याचिका पर सुनवाई की. इस याचिका में PMLA एक्ट की संवैधानिकता को चैलेंज करते हुए कानून के प्रावधानों को चुनौती दी गई है.
पढ़ें: PWD विभाग की समीक्षा बैठक आज, राम वन गमन पथ का बनेगा रोडमैप
देर रात तक पूछताछ करना अमानवीय
हाईकोर्ट के अधिवक्ता आयुष भाटिया ने बताया कि ED की इन्वेस्टिगेशन के चलते सीनियर IAS आलोक शुक्ला और अन्य लोगों को कोरोना महामारी के बाद भी निश्चित समय नहीं दिया जाता है. उन्हें बिना समन के जरिए अधिकार क्षेत्र के बाहर ED के दिल्ली आफिस बुला कर देर रात तक पूछताछ की जाती है. भाटिया ने कहा कि ऐसी पूछताछ अमानवीय और गैर सहानुभूतिपूर्ण होती है, जिसको लेकर याचिका दायर की गई है.